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यमुना को प्रदूषित होने से रोकने के लिए पुजारियों की कार्यशाला आयोजित, LG सक्सेना ने कहा- लोगों को मुहिम में करें शामिल - पुरोहितों के लिए एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम

यमुना की सफाई को लेकर एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली के पुजारियों और पुरोहितों के लिए एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया, जिसमें यमुना में प्रदूषण की रोकथाम के लिए पुजारियों की भूमिका पर चर्चा की गई. इसमें यह बताया गया कि कैसे लोगों को पूजा पाठ की सामग्री के बारे में जागरूक कर यमुना को स्वच्छ रखा जा सकता है.

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Published : Apr 10, 2023, 7:31 PM IST

नई दिल्लीः यमुना में लगातार बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सोमवार को कन्वेंशन सेंटर में अलग-अलग मंदिरों से बुलाए गए पुजारी के लिए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. उन्होंने पुजारियों को जागरूक करने और बदलाव लाने वाले की भूमिका निभाने का आग्रह किया. यह ट्रेनिंग प्रोग्राम रामनवमी उत्सव पर आयोजित की गई, जिसमें वहां मौजूद पुजारियों को धार्मिक कचरे को यमुना में ना बहाए जाने की अपील की गई.

एलजी वीके सक्सेना ने कहा कि पुजारी और पुरोहित विभिन्न आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं के संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे धार्मिक आयोजनों के दौरान जो कचरा इकट्ठा होता है, उसे यमुना में फेंक दिया जाता है. इस तरह के निस्तारण से यमुना में प्रदूषण हो रहा है. इस संदर्भ में यमुना प्रदूषण को रोकने और नदी की पवित्रता की रक्षा करने में पुजारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

एलजी ने जोर देकर कहा कि यमुना नदी कायाकल्प के किसी भी प्रयास में अनिवार्य रूप से दिल्ली के लोगों को शामिल करना बेहद जरूरी है, जो इस कार्य में सबसे बड़े हितधारक हैं. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुजारियों को विशिष्ट तरीकों के बारे में बताया गया जो यमुना में प्रदूषण को रोकने में मदद कर सकता है. इनमें धार्मिक क्रियाकलाप में पर्यावरण के अनुरूप सामग्रियों के उपयोग को बढ़ावा देना, नदी में कचरा विशेषकर प्लास्टिक के डंपिंग को रोकना और लोगों को नदी किनारे स्थित मंदिरों और आश्रमों में अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना शामिल है. उन्होंने पुजारियों से जागरूकता बढ़ाने, स्थानीय समुदाय और अन्य हितधारकों के साथ पर्यावरण के अनुकूल स्थाई प्रथाओं को बढ़ावा देने का भी अनुरोध और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर इस काम को आगे बढ़ाने की बात की गई.

ये भी पढ़ेंः Shraddha Murder Case: चार्जशीट के साथ लगाई गई ऑडियो क्लिप के प्रसारण पर कोर्ट ने लगाई रोक

एलजी ने बताया कि लोगों और धार्मिक संस्थानों को फूल, भोजन, प्लास्टिक या अन्य गैर बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं सहित किसी भी तरह के कचरे को नदी में फेंकने पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए. पुजारी लोगों को अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में सूचित करें कि कचरे को ठीक से एकत्र किया जाना चाहिए और निर्धारित कूड़ेदान में इससे निपटाया जाना चाहिए या उचित निपटारे के लिए नदी तट से दूर ले जाया जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने पुजारियों से कहा कि पर्यावरण के अनुकूल सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए.

ये भी पढ़ेंः Shah in Arunachalpradesh : अरुणाचल जाकर शाह ने चीन को दिया जवाब, 'सूई भर भी जमीन नहीं ले सकता कोई'

नई दिल्लीः यमुना में लगातार बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सोमवार को कन्वेंशन सेंटर में अलग-अलग मंदिरों से बुलाए गए पुजारी के लिए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. उन्होंने पुजारियों को जागरूक करने और बदलाव लाने वाले की भूमिका निभाने का आग्रह किया. यह ट्रेनिंग प्रोग्राम रामनवमी उत्सव पर आयोजित की गई, जिसमें वहां मौजूद पुजारियों को धार्मिक कचरे को यमुना में ना बहाए जाने की अपील की गई.

एलजी वीके सक्सेना ने कहा कि पुजारी और पुरोहित विभिन्न आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं के संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे धार्मिक आयोजनों के दौरान जो कचरा इकट्ठा होता है, उसे यमुना में फेंक दिया जाता है. इस तरह के निस्तारण से यमुना में प्रदूषण हो रहा है. इस संदर्भ में यमुना प्रदूषण को रोकने और नदी की पवित्रता की रक्षा करने में पुजारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

एलजी ने जोर देकर कहा कि यमुना नदी कायाकल्प के किसी भी प्रयास में अनिवार्य रूप से दिल्ली के लोगों को शामिल करना बेहद जरूरी है, जो इस कार्य में सबसे बड़े हितधारक हैं. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुजारियों को विशिष्ट तरीकों के बारे में बताया गया जो यमुना में प्रदूषण को रोकने में मदद कर सकता है. इनमें धार्मिक क्रियाकलाप में पर्यावरण के अनुरूप सामग्रियों के उपयोग को बढ़ावा देना, नदी में कचरा विशेषकर प्लास्टिक के डंपिंग को रोकना और लोगों को नदी किनारे स्थित मंदिरों और आश्रमों में अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना शामिल है. उन्होंने पुजारियों से जागरूकता बढ़ाने, स्थानीय समुदाय और अन्य हितधारकों के साथ पर्यावरण के अनुकूल स्थाई प्रथाओं को बढ़ावा देने का भी अनुरोध और सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर इस काम को आगे बढ़ाने की बात की गई.

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एलजी ने बताया कि लोगों और धार्मिक संस्थानों को फूल, भोजन, प्लास्टिक या अन्य गैर बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं सहित किसी भी तरह के कचरे को नदी में फेंकने पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए. पुजारी लोगों को अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में सूचित करें कि कचरे को ठीक से एकत्र किया जाना चाहिए और निर्धारित कूड़ेदान में इससे निपटाया जाना चाहिए या उचित निपटारे के लिए नदी तट से दूर ले जाया जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने पुजारियों से कहा कि पर्यावरण के अनुकूल सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए.

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