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वाह! री सरकार: बारिश में भीग नाली में बह गया लाखों टन अनाज

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली  में हुई  बारिश और ओलों ने दिल्ली को खुशनुमा तो बना दिया लेकिन दिल्ली-एनसीआर के किसानों की उम्मीदों पर पानी भी फेर दिया. जहां एक तरफ फसलों का नुकसान हुआ वहीं दूसरी तरफ मंडियों में भी अनाज की बर्बादी और प्रशासन की लापरवाही दिखी.

वाह! री सरकार: बारिश में भीग नाली में बह गया लाखों टन अनाज
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Published : Feb 9, 2019, 1:38 PM IST

कुछ ऐसा ही नजारा दिखा दिल्ली के नजफगढ़ नई अनाज मंडी का जहां लाखों टन अनाज बारिश में भीगा. ये अनाज नालियों में बहता रहा और प्रशासन मूक दर्शक बन कर देखता रहा.

हमारे देश के नेता कितना भी अपने भाषणों में देश की उन्नति और विकास की बात करें लेकिन आज भी देश में ऐसे लोग है जिसे भर पेट खाना नसीब नहीं होता और भूखें सोते हैं.

दूसरी तरफ देश के किसान हैं, जो अनाज पैदा करने में दिनरात मेहनत करते है पर उन्हें अपनी मेहनत का वाजिब फल नहीं मिलता और कर्ज तले मजबूर हो कर किसान आत्महत्या कर बैठता.

वाह! री सरकार: बारिश में भीग नाली में बह गया लाखों टन अनाज
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ऐसे में यदि खून पसीने से पैदा किया गया अनाज सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते नालियों में बह जाये और खुले आसमान के तले भीग कर सड़ जाये तो भला गलती किसकी होगी ?

कुछ ऐसा ही नजारा है देश की राजधानी दिल्ली का. जहां तेज बारिश और ओलों में हजारों टन अनाज बारिश के पानी में भीगा और नालियों में बह गया. प्रशासन अपनी लापरवाही को छुपा न सका.

दिल्ली के नजफगढ़ की अनाज मंडी में अनाज बारिश में लगातार भीगता रहा. मंडी में जलभराव के चलते यही अनाज पानी में बहकर नालियों में पहुंच गया. वहीं जानकारी के मुताबिक यह मंडी सालों से इसी हालात में चलाई जा रही है.

जहां अनाज का आसमान के नीचे खुले में ढेर लगा दिया जाता है और यहां लाया गया हर एक प्रकार का अनाज बहार आसमान के नीचे ही पड़ा रहता है.

अनाज को रखने के लिए किसी प्रकार के सेड या गोदाम नहीं बनाये गए हैं. जो बने भी हैं वह इतने छोटे हैं की उनमे इतनी जगह नहीं की मंडी में लाया गया सारा अनाज वहा रखा जा सके.

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कुछ ऐसा ही नजारा दिखा दिल्ली के नजफगढ़ नई अनाज मंडी का जहां लाखों टन अनाज बारिश में भीगा. ये अनाज नालियों में बहता रहा और प्रशासन मूक दर्शक बन कर देखता रहा.

हमारे देश के नेता कितना भी अपने भाषणों में देश की उन्नति और विकास की बात करें लेकिन आज भी देश में ऐसे लोग है जिसे भर पेट खाना नसीब नहीं होता और भूखें सोते हैं.

दूसरी तरफ देश के किसान हैं, जो अनाज पैदा करने में दिनरात मेहनत करते है पर उन्हें अपनी मेहनत का वाजिब फल नहीं मिलता और कर्ज तले मजबूर हो कर किसान आत्महत्या कर बैठता.

वाह! री सरकार: बारिश में भीग नाली में बह गया लाखों टन अनाज
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ऐसे में यदि खून पसीने से पैदा किया गया अनाज सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते नालियों में बह जाये और खुले आसमान के तले भीग कर सड़ जाये तो भला गलती किसकी होगी ?

कुछ ऐसा ही नजारा है देश की राजधानी दिल्ली का. जहां तेज बारिश और ओलों में हजारों टन अनाज बारिश के पानी में भीगा और नालियों में बह गया. प्रशासन अपनी लापरवाही को छुपा न सका.

दिल्ली के नजफगढ़ की अनाज मंडी में अनाज बारिश में लगातार भीगता रहा. मंडी में जलभराव के चलते यही अनाज पानी में बहकर नालियों में पहुंच गया. वहीं जानकारी के मुताबिक यह मंडी सालों से इसी हालात में चलाई जा रही है.

जहां अनाज का आसमान के नीचे खुले में ढेर लगा दिया जाता है और यहां लाया गया हर एक प्रकार का अनाज बहार आसमान के नीचे ही पड़ा रहता है.

अनाज को रखने के लिए किसी प्रकार के सेड या गोदाम नहीं बनाये गए हैं. जो बने भी हैं वह इतने छोटे हैं की उनमे इतनी जगह नहीं की मंडी में लाया गया सारा अनाज वहा रखा जा सके.

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Intro:लोकेशन--दिल्ली/नजफगढ़ 
स्लग--अनाज की बर्बादी 
रिपोर्ट-ओपी शुक्ला 


राजधानी दिल्ली  में गुरूवार हुई  बारिश और ओलों ने जहाँ दिल्ली को खुस नुमा बना दिया वहीं दिल्ली और एनसीआर के किशानो की उम्मीदों पर पानी फेर दिया जहाँ एक तरफ फसलों का नुक्सान हुआ वहीँ दूसरी तरफ मंडियों में भी अनाज की बर्बादी और प्रशासन की लापरवाही दिखी कुछ ऐसा ही नजारा दिखा  दिल्ली  के नजफगढ़ नई अनाज मंडी का जहाँ लाखों तन अनाज बारिश में भीगा  ही नहीं बल्कि नालियों में बह चला और प्रशासन मूक दर्शक बन कर देखता रहा 


Body:हमारे देश के नेता कितना भी अपने भाषणों में देश की उन्नति और विकास की बात करें लेकिन आज भी देश में ऐसे लोग है जिसे भर पेट खाना नसीब नहीं होता और भूखें सोते है वहीँ दूसरी तरफ देश के किसान है जो अनाज पैदा करने में दिनरात मेहनत करते है पर उन्हें अपनी मेहनत का वाजिब  फल नहीं मिलता और कर्ज तले मजबूर हो कर किसान आत्महत्त्या कर बैठता है वहीँ देश में अनाजों की कमी कहकर मेह्गाई बढ़ जाती है और देश का प्रत्येक इंसान  मेह्गाई से लड़ने और दो वक्त की रोटी के लिए दिनरात एक करता है पर फिर भी कमिया पूरी नहीं होती ऐसे में यदि खून पसीने से पैदा किया गया अनाज सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते नालियों में बह जाये और खुले आसमान के तले भीग कर सड़ जाये तो भला गलती किसकी होगी , क्या उस किसान की जिसने अनाज पैदा किया और सरकार के सुपुर्द किया या फिर देश की उस जनता की जो अनाज की कमियों के चलते मेह्गाई की मार झेल रहा है आईये कुछ ऐसे ही नज़ारे से आपको रूबरू करते है यह नजारा कहीं और का नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली का है जहाँ गुरूवार को आई तेज बारिश और ओलों  में हजारों टन अनाज बारिश के पानी में भीगा और नालियों में बह गया जहाँ प्रशासन अपनी लापरवाही को छुपा न सका यह वाकिया है दिल्ली के नजफगढ़ अनाज मंडी का जहाँ गुरुवार की बारिश में लगातार आनाज भीगता रहा और मंडी में जल भराव के चलते अनाज पानी में बहकर नालियों में पहुँच गया वहीँ जानकारी के मुताबिक यह मंडी  वर्षों से इसी हालात में चलाई जा रही है जहाँ अनाज का  आसमान के निचे खुले में ढेर लगा दिया जाता है और यहाँ लाया गया हर एक प्रकार का अनाज बहार आसमान के निचे ही पड़ा रहता है जहाँ अनाज को रखने के लिए किसी प्रकार के सेड या गोदाम नहीं बनाये  गए है और जो बने भी है वह इतने छोटे है की उनमे इतनी जगह  नहीं की मंडी में लाया गया सारा अनाज वहा रखा जा सके ऐसे में किसान के खून पसीने की मेहनत  से पैदा किया गया आनाज मंडी में प्रशासन और सरकार ली लापरवाही के चलते बर्बाद हो जाता है जिसका खामियाजा किसान ,मंडी व्यापारी और मेह्गाई के रूप में आम जनता चुकाती है हालांकि इस मंडी में  असोसिएसन भी है पर इसके बावजूद मंडी के हालत बदसे बत्तर है जहाँ इस मंडी में हर बारिश में इसी तरह से अनाजों की बर्बादी होती है 


Conclusion:बाईट--मंडी के मुनीम 

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