कुछ ऐसा ही नजारा दिखा दिल्ली के नजफगढ़ नई अनाज मंडी का जहां लाखों टन अनाज बारिश में भीगा. ये अनाज नालियों में बहता रहा और प्रशासन मूक दर्शक बन कर देखता रहा.
हमारे देश के नेता कितना भी अपने भाषणों में देश की उन्नति और विकास की बात करें लेकिन आज भी देश में ऐसे लोग है जिसे भर पेट खाना नसीब नहीं होता और भूखें सोते हैं.
दूसरी तरफ देश के किसान हैं, जो अनाज पैदा करने में दिनरात मेहनत करते है पर उन्हें अपनी मेहनत का वाजिब फल नहीं मिलता और कर्ज तले मजबूर हो कर किसान आत्महत्या कर बैठता.
ऐसे में यदि खून पसीने से पैदा किया गया अनाज सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते नालियों में बह जाये और खुले आसमान के तले भीग कर सड़ जाये तो भला गलती किसकी होगी ?
कुछ ऐसा ही नजारा है देश की राजधानी दिल्ली का. जहां तेज बारिश और ओलों में हजारों टन अनाज बारिश के पानी में भीगा और नालियों में बह गया. प्रशासन अपनी लापरवाही को छुपा न सका.
दिल्ली के नजफगढ़ की अनाज मंडी में अनाज बारिश में लगातार भीगता रहा. मंडी में जलभराव के चलते यही अनाज पानी में बहकर नालियों में पहुंच गया. वहीं जानकारी के मुताबिक यह मंडी सालों से इसी हालात में चलाई जा रही है.
जहां अनाज का आसमान के नीचे खुले में ढेर लगा दिया जाता है और यहां लाया गया हर एक प्रकार का अनाज बहार आसमान के नीचे ही पड़ा रहता है.
अनाज को रखने के लिए किसी प्रकार के सेड या गोदाम नहीं बनाये गए हैं. जो बने भी हैं वह इतने छोटे हैं की उनमे इतनी जगह नहीं की मंडी में लाया गया सारा अनाज वहा रखा जा सके.