नई दिल्ली: गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन को लगभग 3 महीने पूरे होने को हैं. तीन कृषि कानून की वापसी और एमएसपी पर गारंटी की मांग को लेकर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. अब किसानों के समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में विपक्षी राजनीतिक पार्टियों द्वारा महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में आयोजित होने वाले महापंचायत को लेकर किसानों की क्या राय है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने कुछ किसानों से बातचीत की.
'भाजपा ने दिया मौका'
महापंचायत के आयोजन पर किसान नेताओं का कहना है कि विपक्षी पार्टियों को अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करने का मौका भाजपा ने दिया है. अगर भाजपा किसानों की मांग मान लेती तो महापंचायत की नौबत ही नहीं आती. विपक्षी पार्टियां महापंचायत कर रही हैं. किसानों की हक की बात कर रही हैं. इसलिए उसमें किसान शामिल हो रहे हैं, लेकिन पूरी गलती इसमें भाजपा की है, जिन्होंने विपक्षी पार्टियों को महापंचायत करने का मौका दिया है.
'2022 के विधानसभा चुनाव में दिखेगा असर'
किसानों का कहना है कि पंजाब के निकाय चुनाव में जो हश्र भाजपा का हुआ. वही हश्र भारतीय जनता पार्टी का 2022 के विधानसभा चुनाव में होगा. महापंचायत के माध्यम से किसान एकजुट हो रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने मौका दिया है. किसानों को एकजुट होने का. किसानों में पहले छोटे-मोटे मतभेद थे वह अब दूर हो चुके हैं और सभी किसान एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
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'केजरीवाल ने किया है काम'
मेरठ में 28 फरवरी को आम आदमी पार्टी की महापंचायत से जुड़े सवाल पर किसानों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल ने किसानों के लिए काम किया है. जब गाजीपुर बॉर्डर पर बिजली पानी की सप्लाई रोक दी गई थी तब आम आदमी पार्टी ने यहां बिजली और पानी की आपूर्ति की थी. किसी राजनीतिक दल की मानसिकता क्या है. यह किसान नहीं जानता, लेकिन जो किसानों की बात करेगा. किसान उसका समर्थन करेंगे.