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Delhi Cyber fraud: जानिए, किस तरह से लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं साइबर जालसाज

जामताड़ा के साइबर ठगों को जाल पूरे देश में फैल गया है. लोगों को आसानी से अपने जाल में फंसाते हैं और उनसे लाखों ठग लेते हैं. जांच में यह बात भी सामने आई है कि ये सोशल मीडिया पर अपना प्रमोशन कराने के लिए हर महीने 10 लाख रुपए खर्च करते हैं. आइए, जानते हैं वो किस तरह लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं...

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Published : Apr 19, 2023, 8:37 PM IST

नई दिल्ली: जामताड़ा के साइबर ठगों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम ने इनसे पूछताछ की तो इन्होंने कई बड़े खुलासे किए. ठगों ने बताया कि वह जामताड़ा में बैठे-बैठे देशभर में कहीं किसी भी किसी कोने में लोगों को आसानी से ठगी का शिकार बना सकते हैं. वे सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति के मोबाइल में किसी न किसी बहाने से एनीडेस्क एप डाउनलोड करवाते हैं. इसके बाद उनके मोबाइल का सारा डाटा और पासवर्ड उनके पास आ जाता है.

इस दौरान आरोपी कोई भी ट्रांजैक्शन करता है तो पीड़ित को अपनी बातों में फंसाकर ट्रांजैक्शन का ओटीपी ले लेते हैं. जब तक पीड़ित को इस बात का एहसास होता है, उसके साथ ठगी हुई है तब तक उसके बैंक अकाउंट से लाखों रुपए निकल चुके होते हैं.

ऐड पर हर महीने 10 लाख खर्च करते हैंः डीसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि ये ठग हर महीने करीब 10 लाख रुपए गूगल, फेसबुक समेत विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने मोबाइल नंबरों को विभिन्न बैंकों और बीमा कंपनियों के कस्टमर केयर नंबर के नाम पर प्रचारित करने पर खर्च करते हैं. कोई व्यक्ति किसी बैंक या बीमा कंपनी का कस्टमर केयर नंबर खोजता है तो सबसे ऊपर इनका ही नंबर आ जाता है. और यही से व्यक्ति उनके जाल में फंसे लगता है.

यह भी पढ़ेंः जामताड़ा से फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले रैकेट का खुलासा, दिल्ली पुलिस ने 6 को दबोचा, 20 हजार सिम बरामद

हजारों में खरीदते हैं डाटा, फिर उससे करोड़ों कमाते हैंः पुलिस जांच में पता चला है कि साइबर ठगी करने वाले आरोपी बैंकों, बीमा कंपनियों, बिजली वितरण कंपनियों के कर्मचारियों की मिलीभगत से डाटा हासिल कर लेते हैं. इसीलिए जब ये लोग किसी को फोन करते हैं कि आपकी बीमा पॉलिसी मैच्योर होने वाली है तो उस व्यक्ति को विश्वास होता है कि यह लोग बीमा कंपनी से ही बोल रहे हैं. क्योंकि वह इनकी पॉलिसी के बारे में सही जानकारी दे रहे होते हैं.

यह भी पढ़ेंः Cyber Fraud: दुबई से आए युवक के फोन ने खोले जामताड़ा के पोल, जानें कैसे

इसी तरह यह लोग जब पीड़ित को बोलते हैं कि उसका एटीएम कार्ड एक्सपायर होने वाला है, उसे रिन्यू कराने का समय आ गया है तो व्यक्ति विश्वास कर लेता है कि उसे बैंक की ओर से ही कॉल किया गया है. ये लोग बिजली कंपनियों की ओर से इस उपभोक्ताओं का डाटा हासिल कर लेते हैं, जिन्होंने अपना बिल भुगतान नहीं किया है. इसके बाद उन्हें ठगी का शिकार बनाते हैं. यह डाटा उन्हें भले ही हजारों में मिल जाता है, लेकिन ये ठग उससे करोड़ों रुपए की ठगी कर लेते हैं.

लोगों को फंसाने वाले कुछ तरीके

  1. आरोपी कॉल करके पीड़ित को बताते हैं कि उसकी जीवन बीमा पॉलिसी मैच्योर होने वाली है. मेच्योरिटी अमाउंट पाने के लिए उन्हें अपने बैंक अकाउंट की डिटेल देनी होगी. बैंक अकाउंट लेने के बाद आरोपी ट्रांजैक्शन ओटीपी भेजते हैं. ओटीपी बताते ही अकाउंट से लाखों रुपए गायब हो जाते हैं.
  2. कुछ ग्राहकों को कॉल करके आरोपी बताते हैं कि उनका एटीएम कार्ड ब्लॉक हो गया है या होने वाला है. यदि वह अपना एटीएम कार्ड आगे चालू रखना चाहते हैं तो उसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसी प्रक्रिया के बहाने आरोपी पीड़ित से ओटीपी मांग लेते हैं और उसका बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं.
  3. कॉल कर कहते हैं कि बिजली का बिल भुगतान नहीं हुआ है कनेक्शन कट जाएगा. भुगतान के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें... मैसेज भेजते हैं. लिंक पर क्लिक करते ही बैंक ट्रांजैक्शन शुरू हो जाता है और लेकर के पैसे अकाउंट से उड़ जाते हैं.

नई दिल्ली: जामताड़ा के साइबर ठगों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम ने इनसे पूछताछ की तो इन्होंने कई बड़े खुलासे किए. ठगों ने बताया कि वह जामताड़ा में बैठे-बैठे देशभर में कहीं किसी भी किसी कोने में लोगों को आसानी से ठगी का शिकार बना सकते हैं. वे सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति के मोबाइल में किसी न किसी बहाने से एनीडेस्क एप डाउनलोड करवाते हैं. इसके बाद उनके मोबाइल का सारा डाटा और पासवर्ड उनके पास आ जाता है.

इस दौरान आरोपी कोई भी ट्रांजैक्शन करता है तो पीड़ित को अपनी बातों में फंसाकर ट्रांजैक्शन का ओटीपी ले लेते हैं. जब तक पीड़ित को इस बात का एहसास होता है, उसके साथ ठगी हुई है तब तक उसके बैंक अकाउंट से लाखों रुपए निकल चुके होते हैं.

ऐड पर हर महीने 10 लाख खर्च करते हैंः डीसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि ये ठग हर महीने करीब 10 लाख रुपए गूगल, फेसबुक समेत विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने मोबाइल नंबरों को विभिन्न बैंकों और बीमा कंपनियों के कस्टमर केयर नंबर के नाम पर प्रचारित करने पर खर्च करते हैं. कोई व्यक्ति किसी बैंक या बीमा कंपनी का कस्टमर केयर नंबर खोजता है तो सबसे ऊपर इनका ही नंबर आ जाता है. और यही से व्यक्ति उनके जाल में फंसे लगता है.

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हजारों में खरीदते हैं डाटा, फिर उससे करोड़ों कमाते हैंः पुलिस जांच में पता चला है कि साइबर ठगी करने वाले आरोपी बैंकों, बीमा कंपनियों, बिजली वितरण कंपनियों के कर्मचारियों की मिलीभगत से डाटा हासिल कर लेते हैं. इसीलिए जब ये लोग किसी को फोन करते हैं कि आपकी बीमा पॉलिसी मैच्योर होने वाली है तो उस व्यक्ति को विश्वास होता है कि यह लोग बीमा कंपनी से ही बोल रहे हैं. क्योंकि वह इनकी पॉलिसी के बारे में सही जानकारी दे रहे होते हैं.

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इसी तरह यह लोग जब पीड़ित को बोलते हैं कि उसका एटीएम कार्ड एक्सपायर होने वाला है, उसे रिन्यू कराने का समय आ गया है तो व्यक्ति विश्वास कर लेता है कि उसे बैंक की ओर से ही कॉल किया गया है. ये लोग बिजली कंपनियों की ओर से इस उपभोक्ताओं का डाटा हासिल कर लेते हैं, जिन्होंने अपना बिल भुगतान नहीं किया है. इसके बाद उन्हें ठगी का शिकार बनाते हैं. यह डाटा उन्हें भले ही हजारों में मिल जाता है, लेकिन ये ठग उससे करोड़ों रुपए की ठगी कर लेते हैं.

लोगों को फंसाने वाले कुछ तरीके

  1. आरोपी कॉल करके पीड़ित को बताते हैं कि उसकी जीवन बीमा पॉलिसी मैच्योर होने वाली है. मेच्योरिटी अमाउंट पाने के लिए उन्हें अपने बैंक अकाउंट की डिटेल देनी होगी. बैंक अकाउंट लेने के बाद आरोपी ट्रांजैक्शन ओटीपी भेजते हैं. ओटीपी बताते ही अकाउंट से लाखों रुपए गायब हो जाते हैं.
  2. कुछ ग्राहकों को कॉल करके आरोपी बताते हैं कि उनका एटीएम कार्ड ब्लॉक हो गया है या होने वाला है. यदि वह अपना एटीएम कार्ड आगे चालू रखना चाहते हैं तो उसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसी प्रक्रिया के बहाने आरोपी पीड़ित से ओटीपी मांग लेते हैं और उसका बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं.
  3. कॉल कर कहते हैं कि बिजली का बिल भुगतान नहीं हुआ है कनेक्शन कट जाएगा. भुगतान के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें... मैसेज भेजते हैं. लिंक पर क्लिक करते ही बैंक ट्रांजैक्शन शुरू हो जाता है और लेकर के पैसे अकाउंट से उड़ जाते हैं.
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