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राशन वितरण, सर्वे और फिर ऑनलाइन क्लास, कहानी एक कोरोना सर्वाइवर शिक्षक की

विकास कुमार दिल्ली सरकार के स्कूल में शिक्षक हैं. कोरोना काल में उन्होंने राशन वितरण भी किया, सर्वे काम भी किया और इस दौरान ऑनलाइन क्लासेज भी लेते रहे. संक्रमित भी हुए, लेकिन ठीक होने के अगले दिन ही फिर से ड्यूटी ज्वाइन कर ली. देखें खास रिपोर्ट...

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Published : Jul 29, 2020, 10:46 PM IST

know corona survivor teacher vikas kumar story
कोरोना सर्वाइवर शिक्षक

नई दिल्ली: कोरोना ने यूं तो काम करने के तरीकों के साथ साथ लोगों की भूमिका में भी परिवर्तन कर दिया. लेकिन इस दौरान सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों के शिक्षकों को कोरोना से जुड़ी ड्यूटी में लगाया है. ऐसे ही एक शिक्षक हैं विकास कुमार, जो पश्चिमी दिल्ली के सुभाष नगर सर्वोदय विद्यालय में फिजिकल शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं.

जानें कोरोना सर्वाइवर शिक्षक की कहानी

1 जून से राशन वितरण की ड्यूटी

कोरोना के कारण विकास का स्कूल भी बंद था, लेकिन उन्हें ड्यूटी से छुट्टी नहीं मिली थी और न ही वे छुट्टी लेना चाहते थे. विकास कहते हैं कि यह महामारी का समय समाज के लिए कुछ करने का समय है. 1 जून से वे स्कूलों में राशन वितरण की ड्यूटी में लग गए. यह ड्यूटी 17 जून से हेल्थ डिस्पेंसरी के जरिए कोरोना संक्रमण वाले इलाकों में सर्वे में बदल गई. इस दौरान हर शाम विकास ऑनलाइन क्लास भी लेते रहे.

ऑनलाइन क्लास के लिए 3-4 घंटे

ईटीवी भारत से बातचीत में विकास ने बताया कि सुबह 9 से 3 बजे तक ड्यूटी करके लौटने के बाद 3-4 घंटे ऑनलाइन क्लासेज में लगते हैं. चूंकि वे फिजिकल टीचर हैं, इसलिए गेम्स, गेम्स टेक्निक, योग और वर्तमान समय में कैसे इम्यूनिटी बढ़ाएं, इन सबको लेकर बच्चों को पढ़ाते हैं. लेकिन इससे पहले खुद भी तैयारी करनी पड़ती है. कोरोना काल में विकास का पूरा समय इन्हीं सब में गुजर रहा है.

खुद भी हो गए संक्रमित

इस दौरान उन्हें खुद कोरोना का शिकार होना पड़ा. विकास बताते हैं कि शायद कोरोना संक्रमित इलाकों में सर्वे के दौरान उन्हें संक्रमण हो गया. 30 जून को विकास ने अपना टेस्ट कराया, जिसकी पॉजिटिव रिपोर्ट आई 1 जुलाई को. अगले 16 दिन वे होम आइसोलेशन में रहे. विकास बताते हैं कि इस दौरान किताबों ने नहीं होने दिया. उनके कमरे में हमें एक चार्ट भी दिखा, जिसपर हर एक दिन को क्रॉस किया गया था, ये वो दिन थे, जिन्हें होम आइसोलेशन के दौरान विकास ने गुजारा था

यही है सभी शिक्षकों की कहानी!

गौर करने वाली बात यह है कि रिपोर्ट नेगेटिव आने और होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने के अगले ही दिन 17 जुलाई से उन्होंने फिर ड्यूटी ज्वाइन कर ली. विकास बताते हैं कि दिल्ली सरकार से उन्हें पूरा सहयोग मिला, सुविधा व व्यवस्था को लेकर सरकार से कोई शिकायत नहीं है. विकास की यह कहानी दिल्ली के उन सभी शिक्षकों की कहानी है, जो बिना खुद की परवाह किए कोरोना से देश व समाज को मुक्त करने के लिए कार्य कर रहे हैं.

नई दिल्ली: कोरोना ने यूं तो काम करने के तरीकों के साथ साथ लोगों की भूमिका में भी परिवर्तन कर दिया. लेकिन इस दौरान सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों के शिक्षकों को कोरोना से जुड़ी ड्यूटी में लगाया है. ऐसे ही एक शिक्षक हैं विकास कुमार, जो पश्चिमी दिल्ली के सुभाष नगर सर्वोदय विद्यालय में फिजिकल शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं.

जानें कोरोना सर्वाइवर शिक्षक की कहानी

1 जून से राशन वितरण की ड्यूटी

कोरोना के कारण विकास का स्कूल भी बंद था, लेकिन उन्हें ड्यूटी से छुट्टी नहीं मिली थी और न ही वे छुट्टी लेना चाहते थे. विकास कहते हैं कि यह महामारी का समय समाज के लिए कुछ करने का समय है. 1 जून से वे स्कूलों में राशन वितरण की ड्यूटी में लग गए. यह ड्यूटी 17 जून से हेल्थ डिस्पेंसरी के जरिए कोरोना संक्रमण वाले इलाकों में सर्वे में बदल गई. इस दौरान हर शाम विकास ऑनलाइन क्लास भी लेते रहे.

ऑनलाइन क्लास के लिए 3-4 घंटे

ईटीवी भारत से बातचीत में विकास ने बताया कि सुबह 9 से 3 बजे तक ड्यूटी करके लौटने के बाद 3-4 घंटे ऑनलाइन क्लासेज में लगते हैं. चूंकि वे फिजिकल टीचर हैं, इसलिए गेम्स, गेम्स टेक्निक, योग और वर्तमान समय में कैसे इम्यूनिटी बढ़ाएं, इन सबको लेकर बच्चों को पढ़ाते हैं. लेकिन इससे पहले खुद भी तैयारी करनी पड़ती है. कोरोना काल में विकास का पूरा समय इन्हीं सब में गुजर रहा है.

खुद भी हो गए संक्रमित

इस दौरान उन्हें खुद कोरोना का शिकार होना पड़ा. विकास बताते हैं कि शायद कोरोना संक्रमित इलाकों में सर्वे के दौरान उन्हें संक्रमण हो गया. 30 जून को विकास ने अपना टेस्ट कराया, जिसकी पॉजिटिव रिपोर्ट आई 1 जुलाई को. अगले 16 दिन वे होम आइसोलेशन में रहे. विकास बताते हैं कि इस दौरान किताबों ने नहीं होने दिया. उनके कमरे में हमें एक चार्ट भी दिखा, जिसपर हर एक दिन को क्रॉस किया गया था, ये वो दिन थे, जिन्हें होम आइसोलेशन के दौरान विकास ने गुजारा था

यही है सभी शिक्षकों की कहानी!

गौर करने वाली बात यह है कि रिपोर्ट नेगेटिव आने और होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने के अगले ही दिन 17 जुलाई से उन्होंने फिर ड्यूटी ज्वाइन कर ली. विकास बताते हैं कि दिल्ली सरकार से उन्हें पूरा सहयोग मिला, सुविधा व व्यवस्था को लेकर सरकार से कोई शिकायत नहीं है. विकास की यह कहानी दिल्ली के उन सभी शिक्षकों की कहानी है, जो बिना खुद की परवाह किए कोरोना से देश व समाज को मुक्त करने के लिए कार्य कर रहे हैं.

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