नई दिल्ली: एमएसपी पर कानून बनाने को लेकर सोमवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसानों की महापंचायत हुई. इसमें देश के अलग-अलग राज्यों से बड़ी संख्या में किसान पहुंचे. इस दौरान किसान एमएसपी की मांग को लेकर एकजुट हुए और इस पर ठोस कानून बनाए जाने की मांग की. इसी क्रम में दक्षिण भारत के किसान भी एमएसपी पर कानून बनाए जाने की मांग को लेकर मंगलवार को दिल्ली पहुंचे. ये यात्रा 2 मार्च को कन्याकुमारी से यात्रा निकली थी. इसमें शामिल किसानों ने जंतर मंतर पर एमएसपी पर कानून बनाए जाने को लेकर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
यात्रा छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान, बिहार, चंडीगढ़ ,पंजाब जैसे राज्यों से होकर दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंची. किसानों ने बताया कि वे गैर शासित बीजेपी राज्यों में वहां के नेताओं से मिलकर उन्हें इस बारे में ज्ञापन देकर आए हैं. इस एक किसान संगठन के उपाध्यक्ष राजविंदर सिंह ने बताया कि हमारी मांग है कि सरकार को एमएसपी पर कानून बनाने के साथ, जिन किसानों पर प्रदर्शन के दौरान मुकदमे दर्ज हुए उन्हें वापस लिया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन ऐसा होने की बजाए किसान घाटे में जा रहा है. इसलिए हमें मजबूरन यात्रा निकालनी पड़ रही है. हम गैर बीजेपी शासित राज्यों से होकर आ रहे हैं. वहां की सरकारों को हमने ज्ञापन देकर और उनसे मांग की है कि केंद्र सरकार को इस मामले से अवगत कराएं.
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इस यात्रा में शामिल हुए किसान जन संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वमिंद्र ने कहा कि, पहले तो सरकार को लगता था कि प्रदर्शन केवल उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान ही प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन अब इसके लिए दक्षिण भारत के किसान भी आगे आ रहे हैं. वहां के किसानों को भी एमएसपी नहीं मिलती है, जिसके कारण दक्षिण भारत के कई इलाकों से किसान, कन्याकुमारी से चलकर दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचे हैं. एमएसपी को लेकर सरकार ने किसानों को धोखे में रखा और उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
सिर्फ 6 प्रतिशत लोगों को ही इसका फायदा मिलता है और बाकि इससे वंचित रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि, लखीमपुर खीरी में जिन किसानों के साथ अत्याचार हुआ, उनके परिवारों के सदस्यों को नौकरी दी जाए इस दौरान मारे गए किसानों को शहीदों का दर्जा दिया जाए. साथ ही जिन किसानों के ऊपर सरकार के द्वारा मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन मुकदमों को सरकार वापस ले, नहीं तो आने वाले लोकसभा चुनाव में सरकार को उसका अंजाम भुगतना पड़ेगा.
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