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बेहतर रिजल्ट देखकर दूसरे स्कूलों को भी को-एड बनाने की तैयारी में केजरीवाल सरकार

दिल्ली के जिन सरकारी स्कूलों में को-ऐड शिक्षा की व्यवस्था है. वहां के बेहतर परीक्षा परिणाम को देखते हुए सरकार काफी उत्साहित है इसलिए फैसला किया है कि सभी स्कूलों को को-ऐड कर दिया जाएगा.

सरकारी स्कूलों को को-एड बनाने की तैयारी में केजरीवाल सरकार, etv bharat
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Published : Aug 9, 2019, 9:26 AM IST

नई दिल्ली: अपने कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कई प्रयोग कर चुके केजरीवाल सरकार अब एक और प्रयोग करना चाहती है. यह प्रयोग यूं ही नहीं, बल्कि इसे करने से पहले शिक्षा विभाग ने ढेर सारा डाटा एकत्रित किया और उस डाटा के आधार पर अब सरकारी स्कूलों में को-एड (सह शिक्षा) शिक्षा देकर व्यवस्था में सुधारने की कोशिश की जाएगी.

सरकारी स्कूलों को को-एड बनाने की तैयारी में केजरीवाल सरकार

दिल्ली के जिन सरकारी स्कूलों में को-ऐड शिक्षा की व्यवस्था है. वहां के बेहतर परीक्षा परिणाम को देखते हुए सरकार काफी उत्साहित है इसलिए फैसला किया है कि सभी स्कूलों को को-ऐड कर दिया जाएगा.

इसके साथ ही संभावना जताई जा रही है कि स्कूलों में दोपहर की शिफ्ट बंद हो जाएगी. लेकिन, एकाएक सवाल उठेगा बच्चों की संख्या के अनुपात में स्कूल की बिल्डिंग और वहां मौजूद संसाधनों की, तो सरकार पहले होम वर्क कर इसे अमल में लाना चाहती है.

'लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर भी विशेष ध्यान देना होगा'
दिल्ली सरकार की मौजूदा स्कूल दो शिफ्ट में चलती है. सुबह की पाली में छात्राओं को पढ़ाया जाता है तो दोपहर की पाली में छात्रों को पढ़ाया जाता है.

शिफ्ट मर्ज करने के बाद बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त कमरे और अन्य सुविधाओं की जरूरत पड़ेगी. अभी तक अलग-अलग शिफ्ट के चलते समुचित रूप से स्कूल चल रहे हैं. इसके अलावा छात्र- छात्राओं के एक साथ पढ़ने पर लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर भी विशेष ध्यान देना होगा.

सुधरेगा परीक्षा का परिणाम
दिल्ली की स्कूली शिक्षा पर तैयार किए गए एक डेटा का विश्लेषण करने के बाद सभी सरकारी स्कूलों को को-एड बनाने के विषय पर चर्चा की गई. उनका मानना है कि ऐसा करने से स्कूलों में परीक्षा परिणाम खासतौर पर 10वीं 12वीं बोर्ड के परीक्षा के परिणाम में सुधार होगा.

को-एड स्कूलों के नतीजे बेहतर
वर्तमान में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत कुल 1031 सरकारी स्कूल चल रहे हैं. जिसमें को-एड स्कूलों की संख्या सिर्फ 410 है. आगामी दिनों में स्कूलों की संख्या में इजाफा होने की पूरी उम्मीद है.

जानकारी के मुताबिक दिल्ली में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग से चलने वाले बाल व बालिका विद्यालयों की तुलना में इन 410 को-एड स्कूलों का बोर्ड परीक्षा परिणाम बेहतर रहा है.

स्कूलों में 10वीं पास प्रतिशत 88.16% और 12वीं का पास प्रतिशत 98.03% रहा. वहीं छात्राओं के स्कूलों में 10 वीं में 82%, 12वीं में 97.42% और छात्रों के स्कूलों में दसवीं में 74.81% और 12वीं में 93.42% छात्र पास हुए हैं. इसीलिए सभी स्कूलों को को-एड बनाने पर चर्चा चल रही है.

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ स्कूलों को को-एड बनाने पर बातचीत कर रहे हैं और उनकी राय जान रहे हैं. एक बैठक के दौरान सिसोदिया ने अपने संबोधन में कहा कि विभिन्न आयामों पर सोसाइटी को शिक्षित करने की जरूरत है.

नई दिल्ली: अपने कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कई प्रयोग कर चुके केजरीवाल सरकार अब एक और प्रयोग करना चाहती है. यह प्रयोग यूं ही नहीं, बल्कि इसे करने से पहले शिक्षा विभाग ने ढेर सारा डाटा एकत्रित किया और उस डाटा के आधार पर अब सरकारी स्कूलों में को-एड (सह शिक्षा) शिक्षा देकर व्यवस्था में सुधारने की कोशिश की जाएगी.

सरकारी स्कूलों को को-एड बनाने की तैयारी में केजरीवाल सरकार

दिल्ली के जिन सरकारी स्कूलों में को-ऐड शिक्षा की व्यवस्था है. वहां के बेहतर परीक्षा परिणाम को देखते हुए सरकार काफी उत्साहित है इसलिए फैसला किया है कि सभी स्कूलों को को-ऐड कर दिया जाएगा.

इसके साथ ही संभावना जताई जा रही है कि स्कूलों में दोपहर की शिफ्ट बंद हो जाएगी. लेकिन, एकाएक सवाल उठेगा बच्चों की संख्या के अनुपात में स्कूल की बिल्डिंग और वहां मौजूद संसाधनों की, तो सरकार पहले होम वर्क कर इसे अमल में लाना चाहती है.

'लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर भी विशेष ध्यान देना होगा'
दिल्ली सरकार की मौजूदा स्कूल दो शिफ्ट में चलती है. सुबह की पाली में छात्राओं को पढ़ाया जाता है तो दोपहर की पाली में छात्रों को पढ़ाया जाता है.

शिफ्ट मर्ज करने के बाद बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त कमरे और अन्य सुविधाओं की जरूरत पड़ेगी. अभी तक अलग-अलग शिफ्ट के चलते समुचित रूप से स्कूल चल रहे हैं. इसके अलावा छात्र- छात्राओं के एक साथ पढ़ने पर लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर भी विशेष ध्यान देना होगा.

सुधरेगा परीक्षा का परिणाम
दिल्ली की स्कूली शिक्षा पर तैयार किए गए एक डेटा का विश्लेषण करने के बाद सभी सरकारी स्कूलों को को-एड बनाने के विषय पर चर्चा की गई. उनका मानना है कि ऐसा करने से स्कूलों में परीक्षा परिणाम खासतौर पर 10वीं 12वीं बोर्ड के परीक्षा के परिणाम में सुधार होगा.

को-एड स्कूलों के नतीजे बेहतर
वर्तमान में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत कुल 1031 सरकारी स्कूल चल रहे हैं. जिसमें को-एड स्कूलों की संख्या सिर्फ 410 है. आगामी दिनों में स्कूलों की संख्या में इजाफा होने की पूरी उम्मीद है.

जानकारी के मुताबिक दिल्ली में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग से चलने वाले बाल व बालिका विद्यालयों की तुलना में इन 410 को-एड स्कूलों का बोर्ड परीक्षा परिणाम बेहतर रहा है.

स्कूलों में 10वीं पास प्रतिशत 88.16% और 12वीं का पास प्रतिशत 98.03% रहा. वहीं छात्राओं के स्कूलों में 10 वीं में 82%, 12वीं में 97.42% और छात्रों के स्कूलों में दसवीं में 74.81% और 12वीं में 93.42% छात्र पास हुए हैं. इसीलिए सभी स्कूलों को को-एड बनाने पर चर्चा चल रही है.

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ स्कूलों को को-एड बनाने पर बातचीत कर रहे हैं और उनकी राय जान रहे हैं. एक बैठक के दौरान सिसोदिया ने अपने संबोधन में कहा कि विभिन्न आयामों पर सोसाइटी को शिक्षित करने की जरूरत है.

Intro:नई दिल्ली.अपने कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कई प्रयोग कर चुके केजरीवाल सरकार अब एक और प्रयोग करना चाहती है. यह प्रयोग यूं ही नहीं, बल्कि इसे करने से पहले शिक्षा विभाग ने ढेर सारा डाटा एकत्रित किया और उस डाटा के आधार पर अब सरकारी स्कूलों में को-एड (सह शिक्षा) शिक्षा देकर व्यवस्था में सुधारने की कोशिश की जाएगी.


Body:दिल्ली के जिन सरकारी स्कूलों में को-ऐड शिक्षा की व्यवस्था है, वहां के बेहतर परीक्षा परिणाम को देखते हुए सरकार काफी उत्साहित है इसलिए फैसला किया है कि सभी स्कूलों को को-ऐड कर दिया जाएगा. इसके साथ ही संभावना जताई जा रही है कि स्कूलों में दोपहर की शिफ्ट बंद हो जाएगी. लेकिन एकाएक सवाल उठेगा बच्चों की संख्या के अनुपात में स्कूल की बिल्डिंग और वहां मौजूद संसाधनों की, तो सरकार पहले होम वर्क कर इसे अमल में लाना चाहती है.

दरअसल, दिल्ली सरकार की मौजूदा स्कूल दो शिफ्ट में चलती है. सुबह की पाली में छात्राओं को पढ़ाया जाता है तो दोपहर की पाली में छात्रों को पढ़ाया जाता है. शिफ्ट मर्ज करने के बाद बच्चों को बैठने के लिए पर्याप्त कमरे और अन्य सुविधाओं की जरूरत पड़ेगी. अभी तक अलग-अलग शिफ्ट के चलते समुचित रूप से स्कूल चल रहे हैं. इसके अलावा छात्र- छात्राओं के एक साथ पड़ने पर लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर भी विशेष ध्यान देना होगा.

दिल्ली की स्कूली शिक्षा पर तैयार किए गए एक डेटा का विश्लेषण करने के बाद सभी सरकारी स्कूलों को को-एड बनाने के विषय पर चर्चा की गई. ऐसा करके सरकार स्कूलों में परीक्षा परिणाम खासतौर पर 10वीं 12वीं बोर्ड के परीक्षा परिणाम को भी सुधरेगी.

को-एड स्कूलों में 10 वीं और 12 वीं के नतीजे बेहतर

वर्तमान में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत कुल 1031 सरकारी स्कूल चल रहे हैं. जिसमें को-एड स्कूलों की संख्या सिर्फ 410 है. आगामी दिनों में स्कूलों की संख्या में इजाफा होने की पूरी उम्मीद है. जानकारी के मुताबिक दिल्ली में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग से चलने वाले बाल व बालिका विद्यालयों की तुलना में इन 410 को-एड स्कूलों का बोर्ड परीक्षा परिणाम बेहतर रहा है. स्कूलों में 10 वीं पास प्रतिशत 88.16% और 12 वीं का पास प्रतिशत 98.03% रहा. वहीं छात्राओं के स्कूलों में 10 वीं में 82%, 12वीं में 97.42% और छात्रों के स्कूलों में दसवीं में 74.81% और 12वीं में 93.42% छात्र पास हुए हैं. इसीलिए सभी स्कूलों को को-एड बनाने पर चर्चा चल रही है.


Conclusion:शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ योजना पर काम कर रही है सरकार

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ स्कूलों को को-एड बनाने पर बातचीत कर रहे हैं और उनकी राय जान रहे हैं. एक बैठक के दौरान सिसोदिया ने अपने संबोधन में कहा कि विभिन्न आयामों पर सोसाइटी को शिक्षित करने की जरूरत है.

समाप्त, आशुतोष झा
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