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विदेश में नौकरी लगाने का झांसा देकर ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार - CHEATER ARRESTED IN DELHI

सोशल मीडिया से करते थे फ्रॉड, रोजगार वीजा नियुक्ति से ठगी, नियुक्ति पत्र जाली होता था, पुलिस ने किया गरफ़्तार

झांसा देकर ठगी करने वाले गिरफ्तार
झांसा देकर ठगी करने वाले गिरफ्तार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 28, 2024, 7:51 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपने आप को वीएफएस ग्लोबल कर्मचारी बता कर विदेश में नौकरी लगाने का झांसा देकर ठगी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है. यह गैंग लोगों को अपने जाल में फंसने के लिए नकली वीजा भी उपलब्ध कराते थे. क्राइम ब्रांच ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी की पहचान चंदन बरनवाल, आजाद प्रताप राव और रितेश तिवारी के तौर पर हुई है. सभी, हट्टा, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के निवासी हैं. आरोपी एक बड़े घोटाले में शामिल थे.

सोशल मीडिया पर फ्रॉड कारोबार

क्राइम ब्रांच के एडिशनल कमिश्नर संजय भाटिया ने बताया कि वीएफएस ग्लोबल के सलाहकार आनंद सिंह की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया था, जो वीजा, पासपोर्ट और काउंसलर सेवाओं के लिए आउटसोर्सिंग और प्रौद्योगिकी सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि परवीन साहू और अजीत साहू ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए खुद को वीएफएस अधिकारी के रूप में गलत तरीके से पेश किया.

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वीएफएस ग्लोबल नाम का ग़लत दुरुपयोग
उन्होंने आवेदकों से बड़ी रकम के बदले जाली वीजा नियुक्ति पत्र जारी किए. आरोपियों ने अपने ऑनलाइन प्रोफाइल में वीएफएस लोगो का दुरुपयोग किया और धोखाधड़ी वाले ईमेल आईडी के जरिए पीड़ितों से संवाद किया, जिससे धोखाधड़ी और बढ़ गई. शिकायत पर मामला दर्ज किया गया और सेंट्रल रेंज, क्राइम ब्रांच, दिल्ली द्वारा जांच की गई. फेसबुक, एक्स, लिंकडिन आदि सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कथित व्यक्तियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी ऑनलाइन प्रोफाइल की पहचान की गई,

पुलिस ने जहां यह पाया गया कि वे खुद को वीएफएस ग्लोबल के अधिकृत प्रतिनिधि होने का दावा करके वीएफएस लोगो का उपयोग कर रहे थे और वीएफएस ग्लोबल द्वारा वास्तव में प्रदान की जा रही सभी वीजा संबंधी सेवाएं प्रदान करने का आश्वासन दे रहे थे. वे विभिन्न देशों के लिए वीजा संबंधी सेवाएं/नियुक्तियां प्रदान करने/व्यवस्थित करने के लिए भोले-भाले पीड़ितों और वीजा चाहने वालों से वीएफएस की ओर से मोटी रकम ठग रहे थे.

रोजगार वीजा नियुक्ति से ठगी
आरोपी व्यक्तियों ने खुद को वीएफएस अधिकारी दिखाने के लिए कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यानी फेसबुक/इंस्टाग्राम/लिंकडिन आदि का इस्तेमाल किया. वे इस उद्देश्य के लिए वीएफएस लोगो का भी इस्तेमाल कर रहे थे. वे सोशल मीडिया के माध्यम से वीजा नियुक्ति पत्र के लिए जरूरतमंद लोगों से संपर्क करते थे और उन्हें बताते थे कि वे हर श्रेणी के लिए वीजा नियुक्ति पत्र प्रदान करेंगे. मूल रूप से, उन्होंने उन लोगों को टारगेट किया जिन्हें रोजगार वीजा नियुक्ति की आवश्यकता थी. क्योंकि रोजगार वीजा नियुक्ति मिलना मुश्किल है.

आरोपी लोगों को बहला-फुसलाकर उनसे अलग-अलग खातों में मोटी रकम ट्रांसफर करवा लेते थे. इसके लिए वे टूरिस्ट/बिजनेस कैटेगरी का वीजा अपॉइंटमेंट लेटर लेते थे और ‘लव पीडीएफ एडिटर’ की मदद से उसे एडिट करके एंप्लॉयमेंट कैटेगरी में डालकर लोगों को भेज देते थे.

जांच के दौरान आरोपी व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे 6 फेसबुक/जीमेल अकाउंट की जानकारी गूगल और अन्य रजिस्टर से मिली है. पता चला है कि उक्त आईडी/ऑनलाइन सोशल मीडिया अकाउंट के लिए अलग-अलग लोगों के नाम से कई सिम कार्ड इस्तेमाल किए गए हैं.

नियुक्ति पत्र जाली निकला
तकनीकी जांच के आधार पर पीड़ितों में शामिल शख्स की पहचान की गई. पोलैंड के वीजा के लिए नियुक्ति पत्र के लिए उनसे 2.5 लाख रुपये ठगे गए थे, जो जाली निकला. टीम ने कई ईमेल आईडी, फर्जी सिम कार्ड और व्यापक बैंक और वीएफएस रिकॉर्ड का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया. कड़ी मेहनत के माध्यम से, टीम ने जालसाजों द्वारा इस्तेमाल किए गए बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का पता लगाया.

मास्टरमाइंड, चंदन बरनवाल, जिसका नाम परवीन साहू था, को 06.11.2024 को यूपी से पकड़ा गया. छापेमारी के दौरान, दस्तावेज़ जालसाजी के लिए इस्तेमाल किए गए हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर, मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप और धोखाधड़ी वाले भुगतान प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किए गए बैंक खातों सहित बहुमूल्य साक्ष्य जब्त किए गए.

पैसे कैसे ट्रांसफर करते थे
बैंक रिकॉर्ड की विस्तृत जाँच से पता चला कि इस अवैध ऑपरेशन के ज़रिए वीज़ा अपॉइंटमेंट लेटर के लिए कई बुकिंग की गई थीं. पूछताछ और आगे की गिरफ़्तारियाँ अपने कबूलनामे में, आरोपी चंदन बरनवाल ने खुलासा किया कि उसे हट्टा, कुशीनगर, यूपी के एक अन्य मुख्य आरोपी रितेश तिवारी और आज़ाद प्रताप राव ने मदद की थी. चंदन बरनवाल और रितेश ने असली अपॉइंटमेंट लेटर बदलने, वीज़ा कैटेगरी बदलने में सहयोग किया, जबकि आज़ाद प्रताप ने बैंक खाते का विवरण दिया, जहाँ धोखाधड़ी से प्राप्त धन को स्थानांतरित किया गया था. इसके बाद रितेश तिवारी और आजाद प्रताप राव दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.

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पुलिस ने जहां यह पाया गया कि वे खुद को वीएफएस ग्लोबल के अधिकृत प्रतिनिधि होने का दावा करके वीएफएस लोगो का उपयोग कर रहे थे और वीएफएस ग्लोबल द्वारा वास्तव में प्रदान की जा रही सभी वीजा संबंधी सेवाएं प्रदान करने का आश्वासन दे रहे थे. वे विभिन्न देशों के लिए वीजा संबंधी सेवाएं/नियुक्तियां प्रदान करने/व्यवस्थित करने के लिए भोले-भाले पीड़ितों और वीजा चाहने वालों से वीएफएस की ओर से मोटी रकम ठग रहे थे.

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आरोपी लोगों को बहला-फुसलाकर उनसे अलग-अलग खातों में मोटी रकम ट्रांसफर करवा लेते थे. इसके लिए वे टूरिस्ट/बिजनेस कैटेगरी का वीजा अपॉइंटमेंट लेटर लेते थे और ‘लव पीडीएफ एडिटर’ की मदद से उसे एडिट करके एंप्लॉयमेंट कैटेगरी में डालकर लोगों को भेज देते थे.

जांच के दौरान आरोपी व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे 6 फेसबुक/जीमेल अकाउंट की जानकारी गूगल और अन्य रजिस्टर से मिली है. पता चला है कि उक्त आईडी/ऑनलाइन सोशल मीडिया अकाउंट के लिए अलग-अलग लोगों के नाम से कई सिम कार्ड इस्तेमाल किए गए हैं.

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