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JNU छात्रों को मंजूर नहीं एग्जीक्यूटिव काउंसिल का फैसला, प्रदर्शन जारी

इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि विश्वविद्यालय में हड़ताल जारी है और जो मेजर रोल बैक कहा जा रहा है, वैसा कोई रोल बैक नहीं हुआ है.

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Published : Nov 14, 2019, 2:41 PM IST

छात्रों को मंजूर नहीं EC का फैसला, प्रदर्शन लगातार जारी

नई दिल्ली: JNU में हॉस्टल मैनुअल और फीस को लेकर एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में लिए गए फैसले के बाद भी छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है. छात्र एडमिन ब्लॉक से लेकर जंतर-मंतर तक 28 अक्टूबर के फैसले को वापस लेने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं इन प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि जब तक कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार आकर नहीं मिलते हैं और बढ़ी हुई हॉस्टल मैनुअल को पूरी तरह से वापस नहीं लेते हैं प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा.

जेएनयू प्रोटेस्ट: छात्र लगातार कर रहे हैं प्रदर्शन

इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि विश्वविद्यालय में हड़ताल जारी है और जो मेजर रोल बैक कहा जा रहा है, वैसा कोई रोल बैक नहीं हुआ है. प्रशासन ने किसी भी तरह से कोई चार्ज नहीं हटाया है. बल्कि छात्रों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन जेएनयू छात्र प्रशासन के बहकावे में आने वाले नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग थी कि प्रशासन हॉस्टल मैनुअल और बढ़ी हुई फीस को वापस ले और जब तक ऐसा नहीं होता है प्रदर्शन जारी रहेगा.

Jnu students still protesting against fees and university manual
छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन लगातार जारी
आइशी ने कहा कि केंद्र सरकार छात्रों पर नई शिक्षा नीति थोपना चाहती है जोकि होने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा नीति के जरिए सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाहती है जिसको छात्र कभी होने नहीं देंगे. क्योंकि अगर शिक्षा का अगर निजीकरण होता है तो आम जनता अच्छी शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.

नई दिल्ली: JNU में हॉस्टल मैनुअल और फीस को लेकर एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में लिए गए फैसले के बाद भी छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है. छात्र एडमिन ब्लॉक से लेकर जंतर-मंतर तक 28 अक्टूबर के फैसले को वापस लेने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं इन प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि जब तक कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार आकर नहीं मिलते हैं और बढ़ी हुई हॉस्टल मैनुअल को पूरी तरह से वापस नहीं लेते हैं प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा.

जेएनयू प्रोटेस्ट: छात्र लगातार कर रहे हैं प्रदर्शन

इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि विश्वविद्यालय में हड़ताल जारी है और जो मेजर रोल बैक कहा जा रहा है, वैसा कोई रोल बैक नहीं हुआ है. प्रशासन ने किसी भी तरह से कोई चार्ज नहीं हटाया है. बल्कि छात्रों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन जेएनयू छात्र प्रशासन के बहकावे में आने वाले नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग थी कि प्रशासन हॉस्टल मैनुअल और बढ़ी हुई फीस को वापस ले और जब तक ऐसा नहीं होता है प्रदर्शन जारी रहेगा.

Jnu students still protesting against fees and university manual
छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन लगातार जारी
आइशी ने कहा कि केंद्र सरकार छात्रों पर नई शिक्षा नीति थोपना चाहती है जोकि होने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा नीति के जरिए सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाहती है जिसको छात्र कभी होने नहीं देंगे. क्योंकि अगर शिक्षा का अगर निजीकरण होता है तो आम जनता अच्छी शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.
Intro:नई दिल्ली ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ी हुई हॉस्टल मैनुअल और फीस को लेकर छात्रों का एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में लिए गए फैसले के बाद भी प्रदर्शन लगातार जारी है. छात्र एडमिन ब्लॉक से लेकर जंतर मंतर तक अपनी 28 अक्टूबर के फैसले को वापस लेने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं इन प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि जब तक कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार आकर नहीं मिलते हैं और बढ़ी हुई हॉस्टल मैनुअल को पूरी तरह से वापस नहीं लेते हैं प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा.


Body:वहीं इस पूरे मामले को लेकर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि विश्वविद्यालय में हड़ताल जारी है और जो मेजर रोल बैक कहा जा रहा है वह कोई रोल बैक नहीं हुआ है. प्रशासन ने किसी भी तरह से कोई चार्ज नहीं हटाया है बल्कि छात्रों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन जेएनयू का प्रशासन के बहकावे में आने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग थी कि प्रशासन हॉस्टल मैनुअल और बढ़ी हुई फीस को वापस ले और जब तक ऐसा नहीं होता है प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा.

वहीं आइशी ने कहा कि केंद्रीय सरकार छात्रों पर नई शिक्षा नीति थोपना चाहता जोकि होने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा नीति के जरिए सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाहती है जिसको छात्र कभी होने नहीं देंगे. क्योंकि अगर शिक्षा का अगर निजीकरण होता है तो आम जनता अच्छी शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.


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