नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल दिल्ली अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने शिरोमणि कमेटी के खर्चों पर उंगली उठाने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा की सख्त शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि लालपुरा को शिरोमणि कमेटी द्वारा श्री आनंदपुर साहिब में महंगी कीमत पर संपत्ति खरीदने पर किसी तरह की टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, सिखों की मुख्य प्रतिनिधि पार्टी होने के साथ-साथ एक स्वतंत्र और स्वायत्त संगठन है, जिसके प्रतिनिधि सिख समुदाय द्वारा चुने जाते हैं.
ये भी पढ़ें: DSGMC Election Result : जीत के बाद बोले सरना- संगत ने बादलों को किया रिजेक्ट
शिरोमणि कमेटी फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है. यदि वह जवाबदेह है तो केवल श्री अकाल तख्त साहिब और सिख समुदाय के प्रति. किसी भी सरकार या आयोग को शिरोमणि कमेटी के फैसलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. सरना ने कहा कि लालपुरा का काम अल्पसंख्यकों के हितों की बात करना है न कि उनके आंतरिक मामलों में दखल देना.
हालांकि उनका अधिकार दिल्ली कमेटी के बारे में भी नहीं है, लेकिन अगर उन्हें इतना ही शौक है तो उन्हें कालका-सिरसा के तहत दिल्ली कमेटी पर 330 करोड़ से अधिक के कर्ज के बोझ के बारे में बात करनी चाहिए. सरना ने कहा कि दिल्ली कमेटी से संबंधित सिख स्कूल बंद होने की कगार पर हैं. और जल्द उनकी मान्यता रद्द होने जा रही है. सरदार लालपुरा को कालका और सिरसा की अध्यक्षता में दिल्ली में विरासत सिख संस्थानों के विनाश पर अपनी चिंता व्यक्त करनी चाहिए. लेकिन अगर वह दिल्ली कमेटी की दयनीय स्थिति के बारे में एक शब्द भी नहीं बोल सकते हैं तो शिरोमणि कमेटी के कार्यो पर बोलने का भी उनको कोई अधिकार नहीं है.
सरना ने यह भी कहा कि एक तरफ शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के बीच फिर से गठबंधन की बात चल रही है, लेकिन लालपुरा के ऐसे बयानों से इस संभावित गठबंधन की संभावनाओं पर भी असर पड़ेगा.
ये भी पढ़ें: शिरोमणि अकाली दल दिल्ली ने गुरुद्वारा कमेटी के स्कूलों में 300 करोड़ के घाटे पर उठाए सवाल