नई दिल्ली: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को प्रत्यर्पित करने के लिए अमेरिका की मंजूरी मिल गई है. इसके बाद अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक टीम उसे वापस लाने के लिए जल्द ही अमेरिका का दौरा करेगी. जांच एजेंसी ने प्रत्यावर्तन प्रक्रिया के लिए महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम तैयार की है.
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, "एनआईए की टीम को इस दिशा में गृह मंत्रालय के साथ-साथ विदेश मंत्रालय से भी मंजूरी मिल चुकी है और टीम जल्द ही रवाना होगी." राणा के भारत प्रत्यर्पण को डोनाल्ड ट्रंप के नए अमेरिकी प्रशासन ने मंजूरी दी थी.
ईटीवी भारत से बात करते हुए इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के पूर्व विशेष निदेशक यशोवर्धन झा आजाद ने कहा कि तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की घोषणा भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.आजाद ने कहा, "वह आतंकी हमले के प्रमुख आरोपियों में से एक था. पहली बार मुंबई आतंकी हमले के किसी आरोपी को प्रत्यर्पित किया जाएगा. यह बहुत महत्वपूर्ण है." आजाद ने कहा, "भारत लंबे समय से राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित करने का प्रयास कर रहा है. ऐसे में यह भारत के लिए एक बड़ी सफलता है."
#WATCH | Washington, DC: US President Donald Trump says, " i am pleased to announce that my administration has approved the extradition of one of the plotters (tahawwur rana) and one of the very evil people of the world, having to do with the horrific 2008 mumbai terrorist attack… pic.twitter.com/HxgI5zaelO
— ANI (@ANI) February 13, 2025
इससे पहले वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में राणा के प्रत्यर्पण की घोषणा की गई. संयुक्त बयान में कहा गया, "हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वालों को न्याय के कटघरे में लाने की साझा इच्छा को देखते हुए, अमेरिका ने घोषणा की है कि तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है."
पठानकोट हमलों के अपराधियों को कटघरे में लाने का आह्वान
बयान में कहा गया है, "दोनों नेताओं ने पाकिस्तान से 26/11 मुंबई और पठानकोट हमलों के अपराधियों को शीघ्र न्याय के कटघरे में लाने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि उसकी धरती का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए न किया जाए." संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, नेताओं ने सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के प्रसार को रोकने , आतंकवादियों और नॉन-स्टेट एक्टर्स के ऐसे हथियारों तक पहुंच को रोकने के लिए मिलकर काम करने की भी प्रतिज्ञा की.
आतंकी हमले में अहम भूमिका
बता दें कि 21 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 63 वर्षीय राणा की प्रत्यर्पण के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी. पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी राणा पर 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाने का आरोप है, जिसमें 20 सुरक्षाकर्मियों और 26 विदेशियों सहित 174 लोग मारे गए थे. 26 नवंबर, 2008 को मुंबई के ताज होटल में हुए आतंकी हमलों में 300 से ज्यादा लोग घायल भी हुए थे.
राणा पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी साथी भी था, जिसने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के संभावित ठिकानों की टोह ली थी.
आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को खत्म किया जाए
ज्वाइंट स्टेटमेंट में आतंकवाद के खिलाफ एकजुट लड़ाई पर भी प्रकाश डाला गया है.नेताओं ने इस बात पर फिर से जोर दिया कि आतंकवाद के वैश्विक संकट से लड़ा जाना चाहिए और दुनिया के हर कोने से आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने 26/11 को मुंबई में हुए हमलों और 26 अगस्त, 2021 को अफगानिस्तान में एबी गेट बम विस्फोट जैसे जघन्य कृत्यों को रोकने के लिए अल-कायदा, आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी समूहों से आतंकवादी खतरों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई.
नेताओं ने सामूहिक विनाशक हथियारों और उनकी डिलीवरी सिस्टम के प्रसार को रोकने, आतंकवादियों और गैर-राज्यीय तत्वों की ऐसे हथियारों तक पहुंच को रोकने के लिए मिलकर काम करने की भी प्रतिज्ञा की. खालिस्तानी और नार्को-आतंकवाद के साथ-साथ अवैध आव्रजन नेटवर्क से लड़ने के मुद्दे का उल्लेख करते हुए, दोनों नेताओं ने अवैध आव्रजन नेटवर्क, नार्को-आतंकवादियों, मानव और हथियार तस्करों सहित संगठित अपराध सिंडिकेट के साथ-साथ अन्य तत्वों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के लिए कानून प्रवर्तन सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई, जो सार्वजनिक और राजनयिक सुरक्षा और दोनों देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा पहुंचाते हैं.
पंजाब ने खालिस्तान को खारिज किया
आजाद ने कहा, "जहां तक खालिस्तानी आतंकवाद का सवाल है, पंजाब में इस मुद्दे को पहले ही खारिज किया जा चुका है. हालांकि खालिस्तानी आतंकवाद के नाम पर साजिशकर्ता (गुरपतवंत सिंह पन्नू) भोले-भाले युवाओं को संगठित करते रहते हैं. लोग विदेशों खासकर कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका में अस्थायी काम के लिए जाते हैं और खालिस्तानियों का समर्थन करते हैं. ऐसे में मोदी और ट्रंप की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान बेहद अहम है."
आजाद ने कहा, "हम उम्मीद कर सकते हैं कि अमेरिका अपनी धरती का इस्तेमाल खालिस्तानियों को नहीं करने देगा." पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के मुद्दे का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन निश्चित तौर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाएगा.