नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में कोविड-19 के दौरान भी फॉरेन स्टूडेंट के एडमिशन में खासा इजाफा देखने को मिला है. बता दें कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए डीयू में 2019 के मुकाबले 30 फीसदी से अधिक छात्रों ने दाखिला लिया है. जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय को स्नातक, पोस्ट ग्रेजुएशन सहित अन्य पाठ्यक्रमों को मिलाकर लगभग 2,583 आवेदन मिले हैं. वहीं 920 छात्रों को एडमिशन भी दिया जा चुका है और एडमिशन प्रक्रिया अभी भी जारी है. वहीं इसको लेकर डीयू के फॉरेन रजिस्ट्री ऑफिस का कहना है कि इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (आईसीसीआर) के जरिए इस बार गत वर्ष के मुकाबले 3 गुना अधिक एडमिशन हुए हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की कमी होने के चलते भी दाखिला प्रक्रिया नहीं रोकी जा रही है. ऐसे में छात्रों को प्रोविजनल एडमिशन दिया जा रहा है.
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए गत वर्ष से 3 गुना अधिक फॉरेन स्टूडेंट्स के एडमिशन हुए हैं. वहीं इसको लेकर डिप्टी डीन फॉरेन स्टूडेंट्स प्रोफेसर अमरजीव लोचन का कहना है कि दाखिला प्रक्रिया में कोविड- 19 का असर जरूर देखने को मिला है लेकिन अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कई सुविधाएं दी गई हैं और फॉरेन स्टूडेंट्स का आंकड़ा भी इस बार काफी ऊपर गया है. उन्होंने कहा कि अब तक फॉरेन स्टूडेंट्स के दाखिले के लिए 2583 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिसमें से 1323 आवेदन छात्रों ने खुद भेजे हैं तो वहीं 1260 आवेदन इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (आईसीसीआर) के जरिए प्राप्त हुए हैं. उन्होंने कहा कि प्राप्त आवेदन में अब तक 920 दाखिले किए जा चुके हैं और दाखिला प्रक्रिया अभी दिसंबर तक जारी रहेगी. उन्होंने बताया कि 2019 में 700 से भी कम दाखिले हुए थे.
दाखिले में दी गई छूट से छात्रों की संख्या में इजाफा
प्रो. लोचन का कहना है कि जहां 2019 में आईसीसीआर से महज 68 के लगभग छात्रों को दाखिला मिल पाया था वहीं इस बार आईसीसीआर के जरिए अब तक 240 छात्रों का दाखिला हो चुका है. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि एमफिल, पीएचडी में दाखिले की संख्या 300 तक पहुंच जाएगी. वहीं फॉरेन स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या को लेकर उन्होंने बताया कि गत वर्ष दाखिले के लिए कई दस्तावेज अनिवार्य होते थे लेकिन इस बार उन्हें दस्तावेज जमा करने के लिए कुछ छूट दी गई है. उन्होंने कहा कि इस बार किसी भी छात्र का दाखिला दस्तावेज की कमी की वजह से नहीं रोका गया है बल्कि ऐसी परिस्थिति में छात्रों को प्रोविजनल एडमिशन दिया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि फॉरेन स्टूडेंट्स का कोविड-19 के दौरान यात्रा करना भी मुश्किल है. इसी को ध्यान में रखते हुए दाखिला सहित फीस जमा करने की प्रक्रिया भी ऑनलाइन ही रखी गई है. इसके अलावा छात्रों को यह भी छूट दी गई है कि वह रेगुलर क्लास से शुरू होने के बाद भी अपनी फीस जमा कर सकते हैं.
75 से अधिक देश से आए हैं आवेदन
वहीं प्रो. लोचन का कहना है कि अब तक 75 से अधिक देश से छात्रों के आवेदन प्राप्त हुए हैं जिसमें से ज्यादातर आवेदन नेपाल, तिब्बत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और मॉरीशस से आए हैं. वहीं आईसीसीआर के जरिए 68 देशों के छात्रों ने अलग-अलग कोर्स के लिए आवेदन किया है. साथ ही उन्होंने बताया कि यूएसए से करीब 100 आवेदन प्राप्त हुए हैं और साउथ अमेरिका से भी छात्रों के आवेदन आए हैं. उन्होंने कहा कि सभी कॉन्टिनेंट से उन्हें बेहतर रिस्पॉन्स मिला है. उन्होंने बताया कि अगर पाठ्यक्रम की बात करें तो फॉरेन स्टूडेंट्स के बीच एमबीए, बीए पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स और एमए पॉलिटिकल साइंस, बीकॉम ऑनर्स, एमकॉम, बीएमएस, साइकोलॉजी ऑनर्स सबसे अधिक लोकप्रिय रहे हैं.
डीयू में विदेशी छात्रों के लिए होती हैं सीट रिजर्व
बता दें कि फॉरेन स्टूडेंट्स रजिस्ट्री ऑफिस छात्रों से प्राप्त हुए आवेदन को स्क्रूटनी कर अलग-अलग विभागों को भेजता है. वहीं यूजी, पीजी, एमफिल, पीएचडी, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा कोर्सेज सभी पाठ्यक्रमों में फॉरेन स्टूडेंट्स के लिए 5 फीसदी सीटें रिजर्व होती हैं जिसके तहत यूजी के 3500 और पीजी की लगभग 500 सीटें रिजर्व हैं. पीएचडी-एमफिल, पीजी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज में लगभग 550 सीटें हैं लेकिन भाषा के चलते फॉरेन स्टूडेंट्स 65 कॉलेजों में ही दाखिला ले पाते हैं इसलिए सभी सीटें नहीं भर पाती. बता दें कि डीयू में अभी 1600 फॉरेन स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं