नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में शुक्रवार को फ्राइडे फिल्म क्लब में झारखंड (तत्कालीन बिहार) के महान क्रांतिकारी जतरा उरांव की ओर से शुरू किए गए ताना भगत आंदोलन पर आधारित फिल्म “लिगेसी ऑफ ताना भगत” (Legacy of Tana Bhagat) दर्शकों को दिखाई गई. आईजीएनसीए के समवेत ऑडिटोरियम में 56 मिनट की यह फिल्म चलाई गई. इस फिल्म को देखने के लिए दिल्ली विश्व विद्यालय(डीयू) के संबद्ध गार्गी कॉलेज, फिल्म इंस्टीट्यूशन और कुछ निजी स्कूलों से छात्रों को विशेष तौर पर बुलाया गया था. खास बात यह रही कि जहां एक तरफ आज का युवा हर फिल्म में मनोरंजन ढूंढता है वहीं इस फिल्म में ऐसा तो कुछ नहीं था. लेकिन एक कहानी थी, कैसे यह आंदोलन शुरू हुआ. इस आंदोलन की कहानी ने छात्रों को काफी प्रभावित किया. यही वजह है कि छात्र और अन्य लोग फिल्म खत्म होने तक अपनी कुर्सी से हिले तक नहीं.
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अब हर माह दिखाई जाएगी फिल्म : आईजीएनसीए से जुड़े राजीव रंजन ने बताया कि यह पहली बार नहीं है, जब हम किसी महान क्रांतिकारी पर बनी फिल्म दिखा रहे हैं. इससे पहले भी इस तरह की फिल्म दिखाते रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान इस पर ब्रेक लगा था. करीब दो साल बाद हमने फिर से इसे शुरू किया है. अब हर माह फ्राइडे फिल्म क्लब में एक फिल्म दिखाई जाएगी. उन्होंने कहा कि आईजीएनसीए के आर्काइव में बहुत फिल्म हैं, जिससे अब हम दर्शकों को दिखाने वाले हैं. उन्होंने बताया कि आज जो फिल्म लिगेसी ऑफ ताना भगत” दिखाई गई है.इसे आईजीएनसीए ने ही प्रोड्यूस किया है.
फिल्म दिखाने का यह है उद्देश्य : आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आईजीएनसीए की ओर से फ्राइडे फिल्म क्लब में सिर्फ क्रांतिकारियों पर आधारित फिल्म नहीं, बल्कि गुम नायकों की कहानी, भारतीय संस्कृति से लुप्त होती संस्कृति पर आधारित फिल्म जो आईजीएनसीए की ओर से प्रोड्यूस की गई हैं उन्हें दर्शको को दिखाया जाएगा. आईजीएनसीए का उद्देश्य है कि लोग जानें कि फ़िल्म सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि ऑडियो विजुअल के माध्यम से कुछ अलग भी दर्शकों को दिखा सकते हैं. आईजीएनसीए ने इस संबंध में कई ऐसे लोगों को आमंत्रित किया है जिन्होंने इतिहास और गुम नायकों पर डॉक्यूमेंट्री बनाई है. हालांकि पहले इसे आईजीएनसीए देखेगा, इसके बाद आम दर्शकों को दिखाया जाएगा.
क्या बोले दर्शक :गार्गी कॉलेज की छात्रा ने बताया कि फिल्म ने काफी प्रभावित किया. इस फिल्म से हमें अपने ऐसे क्रांतिकारी के बारे में जानकारी मिली, जिन्होंने अन्याय के खिलाफ जंग छेड़ी थी. कुछ अन्य छात्रों ने बताया कि हमें खुशी है कि हम जतरा उरांव और ताना भगत आंदोलन के सामाजिक व ऐतिहासिक महत्त्व को समझ सकें. जतरा भगत उर्फ जतरा उरांव का जन्म सितंबर,1888 में झारखंड के गुमला जिला के बिशनुपुर थाना के चिंगरी नवाटोली गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम कोदल उरांव और मां का नाम लिबरी था. वर्ष 1912-14 में उन्होंने ब्रिटिश राज और जमींदारों के खिलाफ अहिंसक असहयोग का आंदोलन को छेड़ा और लगान, सरकारी टैक्स आदि भरने और ‘कुली’ के रूप में मजदूरी करने से मना कर दिया.
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