नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में दस्तावेजों के ई-रजिस्ट्रेशन की मांग करने वाली याचिका पर कोई भी आदेश पारित करने से इनकार करते हुए कहा कि रोम एक दिन में नहीं बना था. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अब आगे इस याचिका पर सुनवाई करने की जरुरत नहीं है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील सत्यकाम ने कहा कि दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन इंफॉर्मेशन सिस्टम पहले से मौजूद है. जिसके जरिये दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. दिल्ली सरकार ने कहा कि दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन को पूरे तरीके से ऑनलाइन करने में कुछ समस्याएं हैं.
याचिकाकर्ता के सुझावों पर गौर करने का निर्देश
याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव बहल ने कहा कि दिल्ली सरकार दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन पूरे तरीके से ऑनलाइन करने में केवल तीन कदम पीछे है. तब कोर्ट ने कहा कि क्या कोर्ट ही सारे फैसले करेगा. अगर वे ऐसा करने को तैयार हैं तो ठीक है. इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपके पास अच्छा आइडिया तो है लेकिन इसके लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरे बदलावों की जरूरत होगी. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता के सुझावों पर गौर करें.
'कोरोना की वजह से दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है'
पिछले 2 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका में कोरोना की वजह से सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में अनावश्यक भीड़ से निपटने के लिए दस्तावेजों के ई-रजिस्ट्रेशन की मांग की गई थी. याचिका वकील डीसी टुटेजा ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि कोरोना की वजह से दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ठप हो गई है. इससे पक्षकारों को काफी नुकसान हो रहा है. लोग किसी एग्रीमेंट या वसीयतनामा या दूसरे दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में 22 सब रजिस्ट्रार दफ्तर हैं जहां संपत्ति के दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है.
'रोजाना कम से कम तीन सौ लोग पहुंचते हैं'
याचिका में कहा गया था कि एक सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में रोजाना औसतन कम से कम तीन सौ लोग अपनी संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए आते हैं. हर संपत्ति के रजिस्ट्रेशन में कम से कम दो पक्षकार और दो गवाह होते हैं. जिसकी वजह से सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में पहुंचने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक हो जाती है. इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आने से वर्तमान संकट में कोरोना का संक्रमण बढ़ने की संभावना ज्यादा है.
ई-रजिस्ट्रेशन के जरिये दस्तावेजों की रजिस्ट्री की मांग
याचिका में कहा गया था कि दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के लिए पक्षकारों की वर्चुअल कराए जाने से कोरोना के संक्रमण का खतरा नहीं होगा. अगर ई-रजिस्ट्रेशन के जरिये दस्तावेजों की रजिस्ट्री कराई जाएगी तो सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में लोग कम संख्या में आएंगे. याचिका में कहा गया था कि वसीयतनामा जैसे गोपनीय दस्तावेजों की रजिस्ट्री के लिए लोगों की उपस्थिति जरुरी होती है लेकिन इसे भी वर्चुअल करने की प्रक्रिया बनाई जा सकती है.