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दिल्ली हाईकोर्ट: टेकफिन कंपनियों को रेगुलेट करने की मांग पर सुनवाई टली - Permission to update on UPI NPCI

दिल्ली हाईकोर्ट ने देश के वित्तीय क्षेत्र में फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी (टेकफिन) कंपनियों को रेगुलेट करने के लिए दिशा निर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Mar 4, 2021, 8:35 PM IST

Updated : Mar 4, 2021, 11:04 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने देश के वित्तीय क्षेत्र में फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी (टेकफिन) कंपनियों को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका पर 15 अप्रैल को अगली सुनवाई का आदेश दिया.

UPI पर ऑपरेट करने की अनुमति देती है NCPI

पिछले 29 जनवरी को सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक और सेबी ने कहा था कि वो टेकफिन कंपनियों को रेगुलेट कर रही हैं. रिजर्व बैंक ने कहा था कि UPI पर आपरेट करने की अनुमति नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एनसीपीआई) देती है. NCPI ने अमेजन, गूगल और व्हाट्स ऐप को मल्टी बैंक मॉडल की तर्ज पर थर्ड पार्टी ऐप की तरह काम करने की अनुमति दी है. रिजर्व बैंक ने कहा था कि उसने कई नॉन बैंकिंग कंपनियों को प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट(PPI) की तरह काम करने की अनुमति दी है. अमेजन को 22 मार्च 2017 को PPI की तरह काम करने की अनुमति दी गई थी.

यूजर्स का डाटा भारत में ही संरक्षित करने का आदेश
रिजर्व बैंक ने कहा था कि तेजी से बढ़ते तकनीक के साथ ही गैर-पंजीकृत पेमेंट कंपनियों को लेकर चिंता जाहिर की जा रही थी. लोगों के पेमेंट मैसेजेज के जरिये यूजर्स की व्यक्तिगत सूचना रखने को लेकर चिंता जताई जा रही थी. उसके बाद रिजर्व बैंक ने सिस्टम प्रोवाइडर्स की ओर से एकत्र किए जा रहे डाटा पर नियंत्रण रखने के लिए 6 अप्रैल 2018 में एक सर्कुलर जारी किया. इसके जरिये सभी सिस्टम प्रोवाईडर्स को यूजर्स का डाटा केवल भारत में ही संरक्षित रखने का आदेश दिया गया.

ये भी पढ़ें- दिल्ली HC: ट्रैक्टर रैली के दौरान मृत किसान की पोस्टमार्टम और जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराए यूपी सरकार

ये भी पढ़ें- सत्येंद्र जैन के पूर्व OSD नियुक्ति में गड़बड़ी मामले में बरी

टेकफिन कंपनियों को रेगुलेट करने की मांग
याचिका अर्थशास्त्री डॉ. रेशमी पी भास्करन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील दीपक प्रकाश, सुभाष चंद्रन, नचिकेता वाजपेयी और दिव्यांना मलिक ने कोर्ट को बताया कि ये टेकफिन कंपनियां वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिये वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी हैं. याचिका में कहा गया है कि इन टेकफिन कंपनियों का संचालन काफी दोषपूर्ण है. इनके संचालन पर रेगुलेशन के लिए कोई नियम और कानून नहीं है. याचिका में दावा किया गया है कि इससे देश की वित्तीय स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

अनियंत्रित संचालन से वित्तीय संकट का अंदेशा
याचिका में कहा गया है कि वित्तीय क्षेत्र में टेकफिन संस्थाओं के अनियंत्रित संचालन से वित्तीय संकट उत्पन्न हो सकता है तथा व्यक्तिगत डेटा के साथ भी दुरुपयोग हो सकता है. तकनीकी कंपनियों को वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने या नियामकों से पूर्व पंजीकरण या अनुमोदन के बिना किसी भी माध्यम से वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिये तुरंत नियम तैयार करने की आवश्यकता है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने देश के वित्तीय क्षेत्र में फेसबुक, गूगल और अमेजन जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी (टेकफिन) कंपनियों को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका पर 15 अप्रैल को अगली सुनवाई का आदेश दिया.

UPI पर ऑपरेट करने की अनुमति देती है NCPI

पिछले 29 जनवरी को सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक और सेबी ने कहा था कि वो टेकफिन कंपनियों को रेगुलेट कर रही हैं. रिजर्व बैंक ने कहा था कि UPI पर आपरेट करने की अनुमति नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एनसीपीआई) देती है. NCPI ने अमेजन, गूगल और व्हाट्स ऐप को मल्टी बैंक मॉडल की तर्ज पर थर्ड पार्टी ऐप की तरह काम करने की अनुमति दी है. रिजर्व बैंक ने कहा था कि उसने कई नॉन बैंकिंग कंपनियों को प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट(PPI) की तरह काम करने की अनुमति दी है. अमेजन को 22 मार्च 2017 को PPI की तरह काम करने की अनुमति दी गई थी.

यूजर्स का डाटा भारत में ही संरक्षित करने का आदेश
रिजर्व बैंक ने कहा था कि तेजी से बढ़ते तकनीक के साथ ही गैर-पंजीकृत पेमेंट कंपनियों को लेकर चिंता जाहिर की जा रही थी. लोगों के पेमेंट मैसेजेज के जरिये यूजर्स की व्यक्तिगत सूचना रखने को लेकर चिंता जताई जा रही थी. उसके बाद रिजर्व बैंक ने सिस्टम प्रोवाइडर्स की ओर से एकत्र किए जा रहे डाटा पर नियंत्रण रखने के लिए 6 अप्रैल 2018 में एक सर्कुलर जारी किया. इसके जरिये सभी सिस्टम प्रोवाईडर्स को यूजर्स का डाटा केवल भारत में ही संरक्षित रखने का आदेश दिया गया.

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टेकफिन कंपनियों को रेगुलेट करने की मांग
याचिका अर्थशास्त्री डॉ. रेशमी पी भास्करन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील दीपक प्रकाश, सुभाष चंद्रन, नचिकेता वाजपेयी और दिव्यांना मलिक ने कोर्ट को बताया कि ये टेकफिन कंपनियां वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिये वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी हैं. याचिका में कहा गया है कि इन टेकफिन कंपनियों का संचालन काफी दोषपूर्ण है. इनके संचालन पर रेगुलेशन के लिए कोई नियम और कानून नहीं है. याचिका में दावा किया गया है कि इससे देश की वित्तीय स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

अनियंत्रित संचालन से वित्तीय संकट का अंदेशा
याचिका में कहा गया है कि वित्तीय क्षेत्र में टेकफिन संस्थाओं के अनियंत्रित संचालन से वित्तीय संकट उत्पन्न हो सकता है तथा व्यक्तिगत डेटा के साथ भी दुरुपयोग हो सकता है. तकनीकी कंपनियों को वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने या नियामकों से पूर्व पंजीकरण या अनुमोदन के बिना किसी भी माध्यम से वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिये तुरंत नियम तैयार करने की आवश्यकता है.

Last Updated : Mar 4, 2021, 11:04 PM IST
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