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HC: ऑनलाइन लोन देने वाले ऐप्स पर नियंत्रण की मांग पर सुनवाई टली

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Published : Feb 19, 2021, 8:33 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कर्ज देने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया था.

ऑनलाइन लोन देने वाले ऐप्स
ऑनलाइन लोन देने वाले ऐप्स

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कर्ज देने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया था. आज इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी क्योंकि जिस बेंच के पास सुनवाई के लिए लिस्टेड थी उसके जज दूसरे बेंच के मामलों की सुनवाई कर रहे थे.



लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं ऐप्स
याचिका धरिंधर करीमोजी ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने 23 दिसंबर 2020 को सर्कुलर जारी कर आम लोगों को अनाधिकृत डिजिटल प्लेटफार्म से लेन देन करने में सावधानी बरतने की सलाह दी थी. याचिका में मांग की गई है कि लोन देने के लिए चलने वाले मोबाइल ऐप और दूसरे प्लेटफार्म पर नियंत्रण किया जाए. लोन देने वाले ऐसे ऐप्स लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं.

ये भी पढ़ें- HC: छात्रों को दाखिला देने के दो दिनों के अंदर दाखिला प्रमाण पत्र देने का निर्देश



35-40 फीसदी तक सर्विस चार्ज लेते हैं
याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार हर राज्य में ऐसे ऐप्स से लोन लेने वाले लोगों की शिकायत का निवारण करने के लिए मेकानिज्म बनाने का दिशा-निर्देश जारी करे. याचिका में कहा गया है कि तुरंत लोन देने वाले ऐसे तीन सौ ऐप्स हैं. ये ऐप डेढ़ हजार रुपये से तीस हजार रुपये तक का लोन एक से दो हफ्ते के लिए देते हैं. ये ऐप्स कर्ज लेने वालों से कर्ज की रकम का 35 से 45 फीसदी सर्विस चार्ज या प्रोसेसिंग फीस के नाम पर वसूलते हैं और वो रकम काटकर ही कर्ज लेनेवालों के खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कर्ज देने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया था. आज इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी क्योंकि जिस बेंच के पास सुनवाई के लिए लिस्टेड थी उसके जज दूसरे बेंच के मामलों की सुनवाई कर रहे थे.



लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं ऐप्स
याचिका धरिंधर करीमोजी ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने 23 दिसंबर 2020 को सर्कुलर जारी कर आम लोगों को अनाधिकृत डिजिटल प्लेटफार्म से लेन देन करने में सावधानी बरतने की सलाह दी थी. याचिका में मांग की गई है कि लोन देने के लिए चलने वाले मोबाइल ऐप और दूसरे प्लेटफार्म पर नियंत्रण किया जाए. लोन देने वाले ऐसे ऐप्स लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं.

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35-40 फीसदी तक सर्विस चार्ज लेते हैं
याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार हर राज्य में ऐसे ऐप्स से लोन लेने वाले लोगों की शिकायत का निवारण करने के लिए मेकानिज्म बनाने का दिशा-निर्देश जारी करे. याचिका में कहा गया है कि तुरंत लोन देने वाले ऐसे तीन सौ ऐप्स हैं. ये ऐप डेढ़ हजार रुपये से तीस हजार रुपये तक का लोन एक से दो हफ्ते के लिए देते हैं. ये ऐप्स कर्ज लेने वालों से कर्ज की रकम का 35 से 45 फीसदी सर्विस चार्ज या प्रोसेसिंग फीस के नाम पर वसूलते हैं और वो रकम काटकर ही कर्ज लेनेवालों के खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं.

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