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AIIMS स्थापना दिवस पर स्वास्थ्य मंत्री को याद आया सफदरजंग के गार्ड का डंडा !

देश के नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया जब एम्स के 66वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर आए तो एक आम आदमी के रूप में उन्हें जो यहां की अव्यवस्थाओं से सामना हुआ था, उसने उन्हें नाराज कर दिया. उनकी नाराजगी उनके भाषण में स्पष्ट रूप से देखने को मिली. उन्होंने एम्स प्रशासन को दे डाली बड़ी नसीहत.

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स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया
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Published : Sep 25, 2021, 10:16 PM IST

नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया एम्स के 66वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे. इससे पहले तीन बार एम्स में भेष बदलकर पहुंचे मंडाविया का अव्यवस्थाओं से दुखी थे. उनका गुस्सा भड़क गया और उन्होंने देश के सबसे बड़े अस्पताल के प्रशासन को बहुत बड़ी सलाह दे डाली. सफदरजंग अस्पताल में एक आम आदमी के रूप में गार्ड ने जो उन्हें डंडा मारा था. उस घटना को याद करते हुए उन्होंने अस्पतालों में सुरक्षा गार्ड की मौजूदगी को ही गलत बताया. उन्होंने कहा कि अस्पताल मरीजों के इलाज के लिए होता है. यहां सभी लोग परेशान आते हैं. वह अस्पताल प्रशासन में तोड़फोड़ या लूटपाट के इरादे से नहीं आते हैं, जिससे सुरक्षा के लिए यहां पर में कोई सुरक्षा गार्ड लगाया जाए.

स्वास्थ्य मंत्री को याद आया सफदरजंग के गार्ड का डंडा
मनसुख मंडाविया ने अस्पताल प्रशासन को नसीहत देते हुए कहा के दिल्ली एम्स में बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं एवं मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में अपना एक बेंच मार्क निर्धारित किया है. इसका मतलब है कि आम लोगों का इस अस्पताल और मेडिकल कॉलेज पर आस्था बढ़ी है. यह कोई साधारण बात नहीं है. यह एम्स की सफलता हो सकती है, लेकिन क्या यह सार्थक भी है ? जब एक-एक मरीज यहां संतुष्ट होकर जाए. बिना किसी परेशानी के इलाज प्राप्त कर ले तभी इस देश के सबसे बड़े अस्पताल को सफल और सार्थक माना जाएगा. इसके लिए एम्स के डायरेक्टर और सभी विभागों के फैकल्टीज को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा. महीने में कम से कम एक बार ब्रेनस्टॉर्मिंग करनी होगी.
Mansukh Mandaviya's tweet
मनसुख मांडविया का ट्वीट

नए स्वास्थ्य मंत्री के निरीक्षण के बाद बदलीं एम्स की व्यवस्थाएं, जानें क्या मिलेंगी सुविधाएं

स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स प्रशासन की कमियों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हमारी जिम्मेदारी सिर्फ मरीजों के इलाज करने भर से समाप्त नहीं हो जाती. डॉ रणदीप गुलेरिया एम्स के डायरेक्टर हैं. उनके पास अगर मरीजों की शिकायत नहीं आ रही है तो उन्हें संतुष्ट नहीं होना चाहिए. एम्स में आम आदमी के तौर पर घूमने पर पता चला कि यहां मरीजों को कैसी-कैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. एम्स में मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाता है, लेकिन क्या मरीज यहां से संतुष्ट होकर जा पाते हैं ? मरीजों की संतुष्टि एम्स प्रशासन की सफलता मानी जाएगी. केवल इलाज कर देने मात्र से इनकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती ? स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मरीजों को केवल डॉक्टर से ही संतुष्ट होने से काम नहीं चलेगा यहां की सुविधाओं और नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, पैथोलॉजी हर जगह उन्हें संतुष्ट होना होगा. जब मरीज संपूर्ण रुप से एम्स की व्यवस्था से संतुष्ट और खुश होगा तभी पूरा एम्स परिवार सफल होगा.


दिल्ली के CGHS में मरीज बनकर पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, जानें आगे क्या हुआ...


स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मरीज की संतुष्टि ही डॉक्टर की सफलता है. जब कोई मरीज एम्स में इलाज के लिए आए तो हमें उसे देश के एक सम्मानित नागरिक की तरह देखना चाहिए और उसी के अनुरूप उसके साथ व्यवहार करना चाहिए. ना तो डॉक्टर को उस पर अनावश्यक अपना गुस्सा निकालने की जरूरत है और ना ही अस्पताल के किसी दूसरे स्टाफ को. ऐसा होगा तभी एक सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होगा.

नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया एम्स के 66वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे. इससे पहले तीन बार एम्स में भेष बदलकर पहुंचे मंडाविया का अव्यवस्थाओं से दुखी थे. उनका गुस्सा भड़क गया और उन्होंने देश के सबसे बड़े अस्पताल के प्रशासन को बहुत बड़ी सलाह दे डाली. सफदरजंग अस्पताल में एक आम आदमी के रूप में गार्ड ने जो उन्हें डंडा मारा था. उस घटना को याद करते हुए उन्होंने अस्पतालों में सुरक्षा गार्ड की मौजूदगी को ही गलत बताया. उन्होंने कहा कि अस्पताल मरीजों के इलाज के लिए होता है. यहां सभी लोग परेशान आते हैं. वह अस्पताल प्रशासन में तोड़फोड़ या लूटपाट के इरादे से नहीं आते हैं, जिससे सुरक्षा के लिए यहां पर में कोई सुरक्षा गार्ड लगाया जाए.

स्वास्थ्य मंत्री को याद आया सफदरजंग के गार्ड का डंडा
मनसुख मंडाविया ने अस्पताल प्रशासन को नसीहत देते हुए कहा के दिल्ली एम्स में बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं एवं मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में अपना एक बेंच मार्क निर्धारित किया है. इसका मतलब है कि आम लोगों का इस अस्पताल और मेडिकल कॉलेज पर आस्था बढ़ी है. यह कोई साधारण बात नहीं है. यह एम्स की सफलता हो सकती है, लेकिन क्या यह सार्थक भी है ? जब एक-एक मरीज यहां संतुष्ट होकर जाए. बिना किसी परेशानी के इलाज प्राप्त कर ले तभी इस देश के सबसे बड़े अस्पताल को सफल और सार्थक माना जाएगा. इसके लिए एम्स के डायरेक्टर और सभी विभागों के फैकल्टीज को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा. महीने में कम से कम एक बार ब्रेनस्टॉर्मिंग करनी होगी.
Mansukh Mandaviya's tweet
मनसुख मांडविया का ट्वीट

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स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स प्रशासन की कमियों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हमारी जिम्मेदारी सिर्फ मरीजों के इलाज करने भर से समाप्त नहीं हो जाती. डॉ रणदीप गुलेरिया एम्स के डायरेक्टर हैं. उनके पास अगर मरीजों की शिकायत नहीं आ रही है तो उन्हें संतुष्ट नहीं होना चाहिए. एम्स में आम आदमी के तौर पर घूमने पर पता चला कि यहां मरीजों को कैसी-कैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. एम्स में मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाता है, लेकिन क्या मरीज यहां से संतुष्ट होकर जा पाते हैं ? मरीजों की संतुष्टि एम्स प्रशासन की सफलता मानी जाएगी. केवल इलाज कर देने मात्र से इनकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती ? स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मरीजों को केवल डॉक्टर से ही संतुष्ट होने से काम नहीं चलेगा यहां की सुविधाओं और नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, पैथोलॉजी हर जगह उन्हें संतुष्ट होना होगा. जब मरीज संपूर्ण रुप से एम्स की व्यवस्था से संतुष्ट और खुश होगा तभी पूरा एम्स परिवार सफल होगा.


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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मरीज की संतुष्टि ही डॉक्टर की सफलता है. जब कोई मरीज एम्स में इलाज के लिए आए तो हमें उसे देश के एक सम्मानित नागरिक की तरह देखना चाहिए और उसी के अनुरूप उसके साथ व्यवहार करना चाहिए. ना तो डॉक्टर को उस पर अनावश्यक अपना गुस्सा निकालने की जरूरत है और ना ही अस्पताल के किसी दूसरे स्टाफ को. ऐसा होगा तभी एक सफल होने के साथ-साथ सार्थक भी होगा.

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