EPCA चेयरमैन भूरेलाल का कहना है कि दिल्ली की कुछ बसों में पायलट तौर पर इस फ्यूल का इस्तेमाल शुरू हो गया है. जल्दी ही सार्वजनिक परिवहन में पूरी तरह से इसका इस्तेमाल शुरू होगा और सबकुछ ठीक रहा तो दिल्ली के पर्यावरण के लिए ये एक असरदार कदम साबित होगा.
दिल्ली में अभी तक सीएनजी को सबसे साफ फ्यूल माना जाता था. यही वजह है ज्यादातार गाड़ियां सीएनजी पर दौड़ रही है, लेकिन बीते दिनों सीएनजी के साथ हाइड्रोजन के मिक्सचर वाला फ्यूल यानी एच-सीएनजी सामने आया जिससे एमिशन को और भी कम किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ईपीसीए को हाइड्रोजन फ्यूल की संभावनाएं तलाशने का काम दिया गया था जिसके बाद दिल्ली की कुछ बसों में पायलट तौर पर इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है.
क्या होता है HCNG?
सीएनजी में हाइड्रोजन के मिश्रण को ही एचसीएनजी का नाम दिया गया है. इस फ्यूल में सीएनजी के साथ 17-18 परसेंट तक हाइड्रोजन मिलाई जाती है जिससे कार्बन मोनो आक्साइड का उत्सर्जन 70 से 75 फीसदी तक कम किया जा सकता है.
HCNG से होगा ना के बराबर उत्सर्जन !
जानकार बताते हैं कि सीएनजी से होने वाला उत्सर्जन पहले ही कम है लेकिन एचसीएनजी से यह ना के बराबर हो जाता है. इसकी सबसे खास बात है कि इसके लिए गाड़ी के इंजन में भी कोई बदलाव नहीं करने पड़ते.
HCNG एक बेहतर विकल्प
ईपीसीए चेयरमैन भूरेलाल ने बताया कि सीएनजी में हाइड्रोजन का मिश्रण होने से नॉक्स का क्वांटम कम हो जाता है जिसे कंट्रोल करना सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में वातावरण पर भी इसका सकारात्मक असर होता है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के पर्यावरण की स्थिति को देखते हुए एचसीएनजी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है और इसको लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं.
सार्वजनिक परिवहन में होगा लागू
दिल्ली में सीएनजी फ्यूल का इस्तेमाल लगभग तय माना जा रहा है. सबसे पहले सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में इसको लागू किया जाएगा. आईपीसीए की ही एक पुरानी रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली की 5500 बसों के लिए रोजाना 400 टन एचसीएनजी की जरूरत पड़ेगी. ऐसे मे अभी के सीएनजी पम्पस पर ही एक विकल्प हाइड्रोजन वाले इस फ्यूल के लिए भी दिया जाएगा. इसके लागू होने से दिल्ली की आबोहवा तो सुधरेगी ही, साथ ही ये हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल करने वाला पहला राज्य भी बन जाएगा.