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सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति खत्म, गेस्ट टीचरों ने किया स्वागत - सरकारी स्कूल में टीचर पुनर्नियुक्ति

रिटायरमेंट के बाद शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा निदेशालय ने खत्म करने का फैसला किया है. इस फैसले का विरोध करते हुए सरकारी स्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष सीपी सिंह ने कहा कि निदेशालय को फैसला लेने से पहले विचार-विमर्श करना चाहिए था.

GSTA delhi opposed finishing reemployment of teachers after retirement in govt schools decision
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति पर GSTA का विरोध
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Published : Sep 11, 2020, 1:01 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों के रिटायरमेंट के बाद पुनर्नियुक्ति तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गई है. वहीं इस सत्र से सरकारी स्कूल में कोई पुनर्नियुक्ति नहीं की जाएगी. इस संबंध में दिल्ली शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने एक सर्कुलर जारी कर दिया है. इस फैसले का सरकारी स्कूल शिक्षक संघ (GSTA) ने विरोध किया है. संघ का कहना है कि निदेशालय को ऐसे फैसले लेने से पहले विचार-विमर्श करना चाहिए था, तो वहीं अतिथि शिक्षकों ने इसका स्वागत किया है.

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति पर GSTA का विरोध

पुनर्नियुक्त शिक्षकों की सेवा खत्म

बता दें कि शिक्षा निदेशालय ने पुनर्नियुक्ति को खत्म करने का फैसला लिया है. इसके तहत सरकारी स्कूलों और सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की सेवाएं खत्म हो जाएंगी. वहीं फैसले से करीब एक हजार से अधिक शिक्षकों पर इसका असर पड़ेगा. इनमें प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और शिक्षक शामिल हैं.

वहीं इस फैसले पर सरकारी स्कूल शिक्षक संघ (जीएसटीए) के अध्यक्ष सीपी सिंह ने कहा कि निदेशालय के इस आदेश से पुनर्नियुक्त शिक्षकों की सेवाएं खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि निदेशालय को फैसला लेने से पहले विचार-विमर्श करना चाहिए था. साथ ही कहा कि हम शिक्षकों की आवाज उठाएंगे और अगर जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे.

गेस्ट टीचरों ने किया स्वागत

वहीं ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के सदस्य शोएब राणा ने निदेशालय के फैसले का स्वागत किया गया है. उन्होंने कहा कि यह एक्सटेंशन सिर्फ लोगों को खुश करने के लिए दिया जा रहा था, जिस पर अब विराम लग गया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले एक्सटेंशन से युवाओं का भविष्य अंधकार में जा रहा था. साथ ही कहा कि अब इस फैसले के बाद युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे. वर्ष 2006 में कांग्रेस सरकार ने स्कूल में शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाकर 62 साल कर दी थी. इसके तहत 60 साल पूरे होने पर शिक्षकों को दो वर्ष के लिए पुनर्नियुक्त किया जाता था.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों के रिटायरमेंट के बाद पुनर्नियुक्ति तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गई है. वहीं इस सत्र से सरकारी स्कूल में कोई पुनर्नियुक्ति नहीं की जाएगी. इस संबंध में दिल्ली शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने एक सर्कुलर जारी कर दिया है. इस फैसले का सरकारी स्कूल शिक्षक संघ (GSTA) ने विरोध किया है. संघ का कहना है कि निदेशालय को ऐसे फैसले लेने से पहले विचार-विमर्श करना चाहिए था, तो वहीं अतिथि शिक्षकों ने इसका स्वागत किया है.

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति पर GSTA का विरोध

पुनर्नियुक्त शिक्षकों की सेवा खत्म

बता दें कि शिक्षा निदेशालय ने पुनर्नियुक्ति को खत्म करने का फैसला लिया है. इसके तहत सरकारी स्कूलों और सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की सेवाएं खत्म हो जाएंगी. वहीं फैसले से करीब एक हजार से अधिक शिक्षकों पर इसका असर पड़ेगा. इनमें प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और शिक्षक शामिल हैं.

वहीं इस फैसले पर सरकारी स्कूल शिक्षक संघ (जीएसटीए) के अध्यक्ष सीपी सिंह ने कहा कि निदेशालय के इस आदेश से पुनर्नियुक्त शिक्षकों की सेवाएं खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि निदेशालय को फैसला लेने से पहले विचार-विमर्श करना चाहिए था. साथ ही कहा कि हम शिक्षकों की आवाज उठाएंगे और अगर जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे.

गेस्ट टीचरों ने किया स्वागत

वहीं ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के सदस्य शोएब राणा ने निदेशालय के फैसले का स्वागत किया गया है. उन्होंने कहा कि यह एक्सटेंशन सिर्फ लोगों को खुश करने के लिए दिया जा रहा था, जिस पर अब विराम लग गया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले एक्सटेंशन से युवाओं का भविष्य अंधकार में जा रहा था. साथ ही कहा कि अब इस फैसले के बाद युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे. वर्ष 2006 में कांग्रेस सरकार ने स्कूल में शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाकर 62 साल कर दी थी. इसके तहत 60 साल पूरे होने पर शिक्षकों को दो वर्ष के लिए पुनर्नियुक्त किया जाता था.

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