नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी से स्थिति गंभीर होती जा रही है. महामारी के इस समय में आरडब्ल्यूए लोगों की मदद के लिए आगे आया है. दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश पार्ट टू के आरडब्ल्यूए ने कॉलोनी में काम कर रहे कर्मचारियों, उनके परिवार और स्थानीय निवासियों के लिए 32 बेड की क्षमता का आइसोलेशन सेंटर बनाया है.
इसको लेकर आरडब्ल्यूए अध्यक्ष संजय राणा ने कहा कि इस समय परिस्थिति इतनी भयावह है कि मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और अस्पतालों पर बोझ बढ़ता जा रहा है. इसी को कम करने के लिए आरडब्ल्यूए ने एक छोटी सी पहल की है. साथ ही उन्होंने कहा कि यहां पर मरीजों की भर्ती पूरी तरह से निःशुल्क है.
आरडब्ल्यूए ने बनाया आइसोलेशन सेंटर
वहीं आरडब्ल्यूए अध्यक्ष संजय राणा ने बताया कि यह आइसोलेशन सेंटर कॉलोनी के पार्क में बनाया गया है जहां 32 बेड की सुविधा है. साथ ही कहा कि यहां की सारी सुविधा के लिए आरडब्ल्यूए खुद खर्च वहन कर रहा है और मरीज़ों को निःशुल्क भर्ती दी जा रही है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस आइसोलेशन सेंटर को बनाने के लिए स्थानीय निवासियों से लेकर जिला प्रशासन और दिल्ली सरकार का भी पूरा सहयोग मिल रहा है.
ये भी पढ़ें:-दिल्ली: पहले दिन 37 हजार से ज्यादा 18 से 44 आयु वर्ग वालों को लगा टीका
मरीजों की जरूरत का रखा जा रहा है ख्याल
वहीं उन्होंने बताया कि आरडब्ल्यूए इस आइसोलेशन सेंटर में रह रहे कोविड मरीज़ों की हर जरूरत का ध्यान रख रहा है. उन्हें पौष्टिक खाना दिया जा रहा है इसके साथ ही बोटल का पानी पीने को दिया जा रहा है. गौरतलब है कि इन सभी सुविधाओं का खर्च आरडब्ल्यूए खुद वहन कर रहा है, मरीजों से इसके ऐवज में कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा.
ये भी पढ़ें:-ग्रेटर कैलाश: शॉर्ट सर्किट से घर में लगी आग, दमकल विभाग ने बचाई 5 लोगों की जान
आइसोलेशन सेंटर बनाने में करीब 10 दिन का समय लगा
वहीं उन्होंने कहा कि इस आइसोलेशन सेंटर को बनाने में करीब 10-12 दिन का समय लगा है और इसमें लोगों का भी काफी सहयोग मिल रहा है. उन्होंने बताया कि कॉलोनी के डॉक्टर्स दिन रात यहां काम कर रहे हैं.
साथ ही कहा कि काफी दवाइयां तो सरकार की तरफ से मिल रही हैं और यदि डॉक्टर कोई महंगी दवाई लिखते हैं तो उसे भी आरडब्ल्यूए मुहैया करा रहा है जिससे किसी मरीज़ का इलाज न रुके. वहीं उन्होंने कहा कि इस आइसोलेशन सेंटर में सभी सुविधाओं के साथ ही मनोरंजन की भी व्यवस्था की गई है जिससे मरीज़ों को बोरियत महसूस न हो.