नई दिल्ली: गिरमिटिया फाउंडेशन ने शनिवार को दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में गिरमिटिया महोत्सव का आयोजन किया था. मुख्य अतिथि केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी थीं. आयोजन 200 साल पहले भारत से बतौर मजदूर मारीशस, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, सूरीनाम और दक्षिण अफ्रीका गए गिरमिटिया मजदूरों की याद में मनाया गया था. इसका उद्देश्य भारत और गिरमिटिया देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करना है. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कुछ लोगों को सम्मानित भी किया.
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि भारत और खास तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग कभी भूल नहीं सकते हैं. औद्योगिक क्रांति के दौरान ब्रिटिश राज को भारी संख्या में मजदूरों की जरूरत थी. इसको पूरा करने के लिए ब्रिटिश शासक अविभाजित हिंदुस्तान से मेहनतकश लोगों को मजदूर बनाकर ले जाते थे. इन्हीं मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा. इन मजदूरों ने पराये देशों को अपना बना लिया. इनकी मिट्टी तो इनसे छूट गई, लेकिन इन्होंने अपनी संस्कृति को जिंदा रखा. अपने परिश्रम और कौशल के बल पर ये लोग आज दुनिया के विभिन्न देशों में अपना व्यापक प्रभावक्षेत्र स्थापित कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि ये बाहर के लोग नहीं है, गिरमिटिया समाज के लोग हैं, जो 100 से 200 साल पहले हमारे देश के अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग देशों में जाकर बस गए हैं. वहां पर उन्होंने बहुत अच्छे कार्य किए और अपना नाम कमाया. इन लोगों ने कभी गलत रास्ता नहीं अपनाया. इन लोगों ने भारत की संस्कृति और धरोहर को अपने अंदर समेट कर रखा. यह लोग बाहर के नहीं हैं. यह लोग अपने ही है. मुझे खुशी है कि इस मंच पर मुझे मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया. मैं भी कहीं बाहर कि नहीं हूं. आज इन्होंने मुझे इतना बड़ा सम्मान दिया कि गौरवान्वित महसूस कर रही हूं. इस दौरान फिजी के उच्चायुक्त कमलेश शशि प्रकाश, मॉरिशस के उच्चायुक्त हरमन दयाल, सूरीनाम उच्चायुक्त अरुण के ओमार हरेदिन, गुयाना सीडीए रोलंदा एडवर्ड्स, नेशनल म्यूजियम के डीजी आर्मी उपस्थित रहे.
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