नई दिल्ली: मेडिकल बिल के नाम पर 15 लाख रुपये से अधिक का फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है. रेलवे के असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर (एएसओ) ने पद का दुरुपयोग कर फर्जी मेडिकल बिल पास किये और जालसाजी की. रेलवे ने एएसओ को सस्पेंड कर दिया है. डिप्टी सेक्रेटरी (एडमिन) रेलवे बोर्ड की शिकायत पर आरोपी एएसओ के खिलाफ नई दिल्ली साइबर पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी व अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
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रेलवे बोर्ड के डिप्टी सेक्रेटरी सुशील कुमार सिंह के बयान पर बुधवार को यह एफआईआर दर्ज की गई. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि एएसओ ने सीजीएचएस लाभार्थी के लिए रीइंबर्समेंट के नाम पर फर्जी मेडिकल बिलों को मंजूरी देकर अपने पद का गलत उपयोग किया है, क्योंकि ऐसे बिल कभी आए ही नहीं थे. शुरुआती जांच में रेलवे ने पाया गया कि बिल के आधार पर फर्जी नामों से ई-फाइलें खोलकर पे एंड अकाउंट ऑफिस रेलवे बोर्ड रेल भवन को मंजूरी आदेश जारी किया गया है.
इसके बाद चार बैंक खातों में 15 लाख 17 हजार 545 रुपये भेजे गए. पहला बिल वंदना सोढी 3 लाख 91 हजार 451 रुपये बसंत मेमोरियल हॉस्पिटल रायपुर का है. दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि इस फर्जीवाड़े का पता चलने के बाद आरोपी अधिकारी ने बीते 7 नवंबर से ऑफिस आना भी बंद कर दिया. इतना ही नहीं उसका फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है, जिसके चलते विभागीय कार्रवाई करते हुए 8 नवंबर को आरोपी को सस्पेंड कर दिया गया. इसके साथ ही पुलिस में भी शिकायत दी गई. माना जा रहा है कि फर्जीवाड़ा काफी बड़ा भी हो सकता है. पिछला रेकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है.
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