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दिल्ली के लिए बिजली दरों की घोषणा में हो रही देरी

वित्तीय वर्ष 2022-23 समाप्त हो रहा है, लेकिन डीईआरसी की तरफ से दिल्ली के लिए बिजली दरों की घोषणा में देरी हो रही है. वहीं इस मामले में डीईआरसी ने सफाई देते हुए बताया कि अभी डीईआरसी के अध्यक्ष का पद खाली है, जिस वजह से दरों की घोषणा में देरी हो रही है.

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Published : Feb 13, 2023, 8:35 PM IST

नई दिल्ली: वित्तीय वर्ष 2022-23 समाप्त होने वाला है लेकिन दिल्ली में बिजली शुल्क की घोषणा की जानी बाकी है. बिजली दरों की घोषणा बिजली डीईआरसी (Delhi Electricity Regulatory Commission) की तरफ से की जाती है. वहीं, दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बिजली शुल्क आदेश तैयार है, लेकिन विभिन्न कारणों से इसकी घोषणा में देरी हुई है.

उन्होंने कहा कि टैरिफ ऑर्डर तैयार है मगर अदालती मामलों के कारण इसकी घोषणा में देरी हुई और अब, डीईआरसी के अध्यक्ष सेवानिवृत्त हो गए हैं. हम पद पर नई नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि नए अध्यक्ष टैरिफ की घोषणा कर सके."

डीईआरसी में दो सदस्य और एक अध्यक्ष होता है. वर्तमान में अध्यक्ष व एक सदस्य का पद रिक्त है. बिजली मंत्रालय ने 2021 में एक पत्र में सभी राज्य और केंद्रीय बिजली नियामकों को एक वित्तीय वर्ष के 1 अप्रैल से पहले टैरिफ आदेश जारी करने का निर्देश दिया था. इसने यह भी कहा था कि टैरिफ ऑर्डर लागत को प्रतिबिंबित करने वाला होना चाहिए. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी होने पर डीईआरसी के एक सदस्य नई बिजली दरों की घोषणा कर सकते हैं.

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और बिजली मंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले महीने उपराज्यपाल से डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति को तत्काल मंजूरी देने का आग्रह किया था. वहीं अरविंद केजरीवाल ने न्यायमूर्ति राजीव श्रीवास्तव के नाम को अध्यक्ष पद के लिए मंजूरी दी थी.

इसे भी पढ़े: Money Laundering Case: दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का ED ने किया विरोध

दरअसल, हर साल डीईआरसी दिल्ली में उपभोक्ताओं के लिए नई बिजली दरों की घोषणा करता है. आदर्श रूप से, वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले नई बिजली दरों की घोषणा हो जानी चाहिए. लेकिन कई सालों से टैरिफ ऑर्डर की घोषणा में देरी विभिन्न कारणों से हुई है. आम आदमी पार्टी सरकार का दावा है कि उसने 2015 में सत्ता में आने के बाद से शहर में बिजली दरों में वृद्धि की अनुमति नहीं दी है.

दिल्ली में आखरी बार टैरिफ वृद्धि 2014 में हुई थी. 2002 के बाद से, वितरण कंपनियों के लिए बिजली खरीद लागत में 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में खुदरा बिजली दरों में केवल 91 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

इसे भी पढ़े: Delhi University: CUET UG के लिए डीयू ने लॉन्च की वेबसाइट, मिलेगी महत्वपूर्ण जानकारी

नई दिल्ली: वित्तीय वर्ष 2022-23 समाप्त होने वाला है लेकिन दिल्ली में बिजली शुल्क की घोषणा की जानी बाकी है. बिजली दरों की घोषणा बिजली डीईआरसी (Delhi Electricity Regulatory Commission) की तरफ से की जाती है. वहीं, दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बिजली शुल्क आदेश तैयार है, लेकिन विभिन्न कारणों से इसकी घोषणा में देरी हुई है.

उन्होंने कहा कि टैरिफ ऑर्डर तैयार है मगर अदालती मामलों के कारण इसकी घोषणा में देरी हुई और अब, डीईआरसी के अध्यक्ष सेवानिवृत्त हो गए हैं. हम पद पर नई नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि नए अध्यक्ष टैरिफ की घोषणा कर सके."

डीईआरसी में दो सदस्य और एक अध्यक्ष होता है. वर्तमान में अध्यक्ष व एक सदस्य का पद रिक्त है. बिजली मंत्रालय ने 2021 में एक पत्र में सभी राज्य और केंद्रीय बिजली नियामकों को एक वित्तीय वर्ष के 1 अप्रैल से पहले टैरिफ आदेश जारी करने का निर्देश दिया था. इसने यह भी कहा था कि टैरिफ ऑर्डर लागत को प्रतिबिंबित करने वाला होना चाहिए. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी होने पर डीईआरसी के एक सदस्य नई बिजली दरों की घोषणा कर सकते हैं.

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और बिजली मंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले महीने उपराज्यपाल से डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति को तत्काल मंजूरी देने का आग्रह किया था. वहीं अरविंद केजरीवाल ने न्यायमूर्ति राजीव श्रीवास्तव के नाम को अध्यक्ष पद के लिए मंजूरी दी थी.

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दरअसल, हर साल डीईआरसी दिल्ली में उपभोक्ताओं के लिए नई बिजली दरों की घोषणा करता है. आदर्श रूप से, वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले नई बिजली दरों की घोषणा हो जानी चाहिए. लेकिन कई सालों से टैरिफ ऑर्डर की घोषणा में देरी विभिन्न कारणों से हुई है. आम आदमी पार्टी सरकार का दावा है कि उसने 2015 में सत्ता में आने के बाद से शहर में बिजली दरों में वृद्धि की अनुमति नहीं दी है.

दिल्ली में आखरी बार टैरिफ वृद्धि 2014 में हुई थी. 2002 के बाद से, वितरण कंपनियों के लिए बिजली खरीद लागत में 300 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में खुदरा बिजली दरों में केवल 91 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

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