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दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज में दो साल से शिक्षकों के वेतन में हो रही है कटौती: डूटा अध्यक्ष - दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज में सैलरी का संकट

दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज में बीते दो साल से शिक्षकों की सैलरी में कटौती की जा रही है. दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को इतना कम फंड जारी कर रही है कि उससे पूरा वेतन देना भी संभव नहीं है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए एरियर, प्रमोशन का एरियर और मेडिकल बिलों का भुगतान भी पूरी तरह रुका हुआ है. सैलरी न मिलने के कारण शिक्षक अब प्रॉविडेंड फंड से अपनी जमा पूंजी निकालने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

शिक्षकों के वेतन में हो रही है कटौती
शिक्षकों के वेतन में हो रही है कटौती
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Published : Sep 10, 2022, 11:49 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज में बीते दो साल से यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की सैलरी में कटौती की जा रही है. जिससे शिक्षकों के सामने परिवार चलाना चुनौती बन रही है. यह कहना है डूटा के अध्यक्ष एके बागी (Delhi University Teachers Association President AK Baghi) का. उन्होंने कहा कि सैलरी के मुद्दे को लेकर हमने सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर धरना किया. दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के पास भी गए. लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. अगर ऐसे ही शिक्षकों की सैलरी में कटौती होती रहेगी तो शिक्षकों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा.

डूटा के अध्यक्ष ने मांग की है कि केंद सरकार इन 12 कॉलेज को अपने अधीन ले. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के 20 और कॉलेजों में कुशासन है. उन कॉलेजों में राजनीतिकरण किया गया है, आप कार्यकर्ताओं को सदस्य नियुक्त किया गया.

वहीं दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने केजरीवाल सरकार द्वारा फंडेड दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों के वित्तीय संकट पर चिंता व्यक्त की है.उन्होंने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना से मांग की है कि इस संकट को दूर कराने के लिए वह हस्तक्षेप करें. क्योंकि कॉलेजों के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को कई महीनों से सैलरी नहीं मिल पा रही. कॉलेज अब शिक्षकों के वेतन में कटौती कर रहे हैं और खर्चे कम करने के लिए पढ़ाई के दिन भी कम किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब से दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार आई है, इन कॉलेजों को फंड जारी करने में लगातार अनियमितता बरती जा रही है. कॉलेजों के प्रिंसिपलों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है जिसकी शिकायत प्रिंसिपल एसोसिएशन द्वारा भी की गई है. दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को इतना कम फंड जारी कर रही है कि उससे पूरा वेतन देना भी संभव नहीं है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए एरियर, प्रमोशन का एरियर और मेडिकल बिलों का भुगतान भी पूरी तरह रुका हुआ है. सैलरी न मिल पाने के कारण शिक्षक अब प्रॉविडेंड फंड से अपनी जमा पूंजी निकालने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

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नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज में बीते दो साल से यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की सैलरी में कटौती की जा रही है. जिससे शिक्षकों के सामने परिवार चलाना चुनौती बन रही है. यह कहना है डूटा के अध्यक्ष एके बागी (Delhi University Teachers Association President AK Baghi) का. उन्होंने कहा कि सैलरी के मुद्दे को लेकर हमने सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर धरना किया. दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के पास भी गए. लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. अगर ऐसे ही शिक्षकों की सैलरी में कटौती होती रहेगी तो शिक्षकों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा.

डूटा के अध्यक्ष ने मांग की है कि केंद सरकार इन 12 कॉलेज को अपने अधीन ले. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के 20 और कॉलेजों में कुशासन है. उन कॉलेजों में राजनीतिकरण किया गया है, आप कार्यकर्ताओं को सदस्य नियुक्त किया गया.

वहीं दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने केजरीवाल सरकार द्वारा फंडेड दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों के वित्तीय संकट पर चिंता व्यक्त की है.उन्होंने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना से मांग की है कि इस संकट को दूर कराने के लिए वह हस्तक्षेप करें. क्योंकि कॉलेजों के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को कई महीनों से सैलरी नहीं मिल पा रही. कॉलेज अब शिक्षकों के वेतन में कटौती कर रहे हैं और खर्चे कम करने के लिए पढ़ाई के दिन भी कम किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब से दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार आई है, इन कॉलेजों को फंड जारी करने में लगातार अनियमितता बरती जा रही है. कॉलेजों के प्रिंसिपलों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है जिसकी शिकायत प्रिंसिपल एसोसिएशन द्वारा भी की गई है. दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को इतना कम फंड जारी कर रही है कि उससे पूरा वेतन देना भी संभव नहीं है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए एरियर, प्रमोशन का एरियर और मेडिकल बिलों का भुगतान भी पूरी तरह रुका हुआ है. सैलरी न मिल पाने के कारण शिक्षक अब प्रॉविडेंड फंड से अपनी जमा पूंजी निकालने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

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