नई दिल्ली: दिल्ली के निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों की जेब ढीली होने वाली है. दरअसल, नए सत्र 2023-24 से फीस बढ़ाने को लेकर निजी स्कूलों की तरफ से तैयारी की जा रही है. अगर वे अपनी योजना में सफल रहे, तो नए सत्र से अभिभावकों की जेब पर ज्यादा बोझ पड़ना तय है. हालांकि, 3 अप्रैल तक फीस बढ़ोतरी को लेकर निजी स्कूलों की तरफ से कोई आदेश जारी नहीं किया जाएगा. तीन अप्रैल तक निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने को लेकर एक प्रपोजल शिक्षा विभाग के निदेशक हिमांशु गुप्ता को देना होगा.
इस प्रपोजल पर अगर निजी स्कूलों द्वारा दी गई जानकारी सटीक पाई जाती है, तो शिक्षा विभाग फीस बढ़ाने का आदेश देगा. इस संबंध में शिक्षा विभाग ने एक आदेश भी जारी कर दिया है. जिन निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रपोजल तैयार किया जा रहा है, वह सभी दिल्ली सरकार के द्वारा आवंटित जमीन पर संचालित हो रहे हैं.
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 1 मार्च को परिपत्र जारी कर विभाग ने सरकारी जमीन पर संचालित हो रहे निजी गैर सहायता व मान्यता प्राप्त विद्यालयों से फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रपोजल मांगा है. इसके लिए विभाग ने आवेदन आमंत्रित किए हैं. फीस बढ़ाने को लेकर प्रपोजल 27 मार्च तक देने थे, लेकिन देखने में मिला कि अभी कई स्कूलों की तरफ से प्रपोजल नहीं भेजा गया. दूसरी तरफ, कई निजी विद्यालयों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें सत्र 2023-24 के लिए ऑनलाइन शुल्क वृद्धि प्रस्ताव प्रस्तुत करने की तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया गया है. स्कूलों की तरफ से कहा गया है कि विद्यालय में अभी सीबीएसई बोर्ड परीक्षा आयोजित की जा रही है, जिसकी वजह से वह इसमें व्यस्त हैं. इसलिए थोड़ा और समय दिया जाए. स्कूलों की तरफ से इस अनुरोध पर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर सत्र 2023-24 के लिए ऑनलाइन शुल्क वृद्धि प्रस्ताव जमा करने की अंतिम तिथि 3 अप्रैल तक बढ़ा दी है.
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फीस बढ़ाने को लेकर निजी स्कूलों के द्वारा भेजे गए प्रस्तावों की जांच शिक्षा निदेशक द्वारा इस संबंध में अधिकृत किसी अधिकारी या शिक्षा विभाग की टीमों के माध्यम से की जाएगी. ऐसे सभी विद्यालयों को सख्त हिदायत दी जाती है कि जब तक उनके प्रस्ताव पर शिक्षा निदेशक द्वारा स्वीकृति नहीं दी जाती है, तब तक कोई फीस वृद्धि न करें. इस तरह की पूर्व स्वीकृति के बिना किसी भी शुल्क में वृद्धि के संबंध में शिकायत को गंभीरता से देखा जाएगा और स्कूलों की मान्यता तक रद्द की जा सकती है. बीते कुछ माह में ऐसा देखने को मिला जब निजी स्कूलों की मान्यता शिक्षा विभाग ने छीन ली थी.