नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान आठ दिसंबर को भारत बंद कर रहे हैं. इसको लेकर राजनीति तेज हो गई है. वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा है कि भारत बंद केवल और केवल एक संकेत है. ताकि केंद्र सरकार उनकी मांगों को माने. वहीं भाकियू के भानू गुट ने भी देश के 22 राज्यों में बंद को सफल बनाने के लिए आव्हान किया है.
किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को 24 विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन मिला है. इनमें कांग्रेस, लेफ्ट के अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं. वहीं आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंघु बॉर्डर पहुंचे.. और यहां किसानों की व्यवस्थाओं का जायजा लिया. मुख्यमंत्री ने यहां भारत बंद को शांतिपूर्ण तरीके से समर्थन करने की घोषणा भी की.
जैसे ही मुख्यमंत्री केजरीवाल किसानों के बीच पहुंचे और किसानों के समर्थन की बात कही. दिल्ली बीजेपी ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर उनसे ऐसी ओछी राजनीति बंद करने के लिए कहा. दिल्ली बीजेपी ने लिखा कि, केजरीवाल जी आपने तो 23 नवंबर को ही दिल्ली में केंद्र के कृषि कानून को लागू कर दिया था। ये ओछी राजनीति करना बंद करें। किसान भाई और दिल्ली की जनता आपके दोहरे चरित्र से परिचित हो चुकी है. आप केवल ऐसे 2 काम बताएं जो आपने दिल्ली में किसानों के हित के लिए किए हों?.
भारत बंद को कई पार्टियों का समर्थन
दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने देश की जनता को भारत बंद का समर्थन करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ये किसानों को मानसिक सपोर्ट होगा.कांग्रेस ने भी देश के अन्नदाताओं के आंदोलन को समर्थन दिया है. दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने वीडियो जारी कर कार्यकर्ताओं से किसानों को सपोर्ट करने का आव्हान किया है.दिल्ली के अलावा आज यूपी के कन्नौज में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव किसानों के समर्थन में किसान यात्रा निकालने जा रहे थे. उन्हें योगी सरकार ने हिरासत में ले लिया.केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किसान आंदोलन को समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. ये सभी पार्टियां अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए किसी भी आंदोलन में शामिल हो जाती हैं.
किसान आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों को एडवाइजरी कर सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने को कहा है... ताकि कोई अप्रिय घटना घटित न हो. आपको बता दें कि अब तक किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 5 दौर की वार्ता हो चुकी है. जिसमें किसान ने सरकार को इन कानूनों को हटाने के लिए हां या न में जवाब देने के लिए कहा था. अब सरकार और किसान नेताओं के बीच 9 दिसंबर को छठे दौर की बातचीत होगी.