नई दिल्ली : पूरानी पेंशन स्कीम की मांग को लेकर केंद्र सरकार के अधीन आने वाले कर्मचारी लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी क्रम में रेलवे के कर्मचारियों ने रेलवे स्टेशनों पर भूख हड़ताल शुरू कर दिया है. काम छोड़कर कर्मचारी रेलवे स्टेशनों पर हड़ताल कर रहे हैं. कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वह रेल रोको आंदोलन करेंगे.
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन की ओर से पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर सभी रेलवे स्टेशनों पर सांकेतिक भूख हड़ताल की अपील की गई थी. इसके तहत रेलवे स्टेशनों पर कर्माचारी काम छोड़कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ज्वाइंट फोरम फॉर रेस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम बैनर तले पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
नार्दन रेलवे मेंस यूनियन के सहायक मंत्री अनूप शर्मा ने बताया कि एक जनवरी 2004 के बाद से जो भी भर्ती हुई है. उन्हें न्यू पेंशन स्कीम के तहत रखा गया है. इसका हम लोग विराध कर रहे हैं. गारंटेड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे हैं, जो पहले थी. इस मांग को लेकर तमाम रेलवे स्टेशनों व अन्य स्थानों पर केंद्र सरकार के अधीन आने वाले कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं. आठ जनवरी को शुरू हुआ यह प्रदर्शन 11 जनवरी तक चलेगा. उन्होंने बताया कि अपनी मांगों को लेकर हम लोगों ने सवा करोड़ पेटीशन राष्ट्रपति को देने का काम किया है. इसके साथ ही ब्लॉक, जिला, राज्य स्तर पर बीते 10 अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग को लेकर ऐतिहासिक रैली भी की.
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यूनियन में नई दिल्ली ब्रांच के सेक्रेटरी दिनेश भारद्वाज ने बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम के अंदर जब आदमी रिटायर होता है तो उसकी बेसिक सैलरी का आधा प्लस डीए मिलता है. यदि किसी की सैलरी एक लाख रुपये है तो 50 हजार रुपये पेंशन मिलती है. साथ में डीए भी मिलता है. नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को तीन हजार रुपये पेंशन मिलेगी. इससे कर्मचारियों का बुढ़ापा खराब हो रहा है. यदि हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो हड़ताल करेंगे जरूरत पड़ी तो ट्रेन का चक्का भी जाम करेंगे.
प्रदर्शन में शामिल नीना यादव ने कहा कि हमारी मांग पुरानी स्कीम को वापस करने की है. जिससे कि हम अपना बुढ़ापा अच्छे से काट सकेंगे. पेंशन होगी तो आत्मसम्मान और स्वाभिमान से जी सकेंगे. नई पेंशन स्कीम में तीन हजार रुपये पेंशन से घर परिवार नहीं चल सकता है. रेलवे की महिला कर्मचारी संगठित हैं. हमारी मांगे पूरी नहीं हुईं तो हर आंदोलन में महिलाएं पहली पंक्ति में खड़ी मिलेंगी.
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