नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (central board of secondary education) की 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द किए जाने के फैसले का दिल्ली के उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister of Delhi) और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Education Minister Manish Sisodia) ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह फैसला डेढ़ करोड़ छात्रों और शिक्षकों के हित में लिया गया है.
डेढ़ करोड़ छात्रों के हित में फैसला
वहीं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि परिस्थिति को देखते हुए परीक्षा रद्द किया जाना ही सबसे सही फैसला है क्योंकि परीक्षा आयोजित कर डेढ़ करोड़ बच्चों की जान को खतरे में नहीं डाला जा सकता था. उन्होंने कहा कि हमारे लिए छात्रों की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है इसीलिए लगातार हम परीक्षा रद्द किए जाने की मांग कर रहे थे.
वहीं बिना परीक्षा के छात्रों का मूल्यांकन कैसे किया जाए इसको लेकर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि पिछले दो-तीन वर्षों के छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन किया जा सकता है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी इस पर सीबीएसई की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है, केवल परीक्षा रद्द करने की आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई है.
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असंतुष्ट छात्रों को परीक्षा देने का मिलेगा अवसर
वहीं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Education Minister Manish Sisodia) ने कहा कि यदि इस तरह की मूल्यांकन प्रक्रिया से कोई छात्र संतुष्ट नहीं होता है तो उसे स्थिति सामान्य होने पर दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा. बता दें कि सीबीएसई ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है यदि कोई छात्र अपने अंको से संतुष्ट नहीं होता तो स्थिति सामान्य होने पर परीक्षा आयोजित की जाएगी जिसमें छात्र पुनः परीक्षा दे सकेगा.
9वीं व 11वीं की मूल्यांकन पर जल्द फैसला
वहीं 9वीं और 11वीं के परीक्षा परिणाम को लेकर छात्र द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 9वीं और 11वीं के परीक्षा परिणाम को लेकर दिल्ली सरकार रणनीति तैयार कर रही है जिसे 2 से 3 दिन के अंदर सबके साथ साझा किया जाएगा.
शिक्षकों की मिली जुली प्रतिक्रिया
वहीं बोर्ड की परीक्षा रद्द करने को लेकर शिक्षकों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. कुछ शिक्षक इसे स्वागत योग्य कदम बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि छात्र के जीवन के लिए 12वीं क्लास महत्वपूर्ण है. परीक्षा के विकल्प जरूर देखने चाहिए थे.
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कुछ शिक्षकों का समर्थन तो कुछ निराश
शिक्षक आलोक मिश्रा ने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया कई दिनों से बोर्ड की परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे थे. अच्छी बात है कि आखिरकार केंद्र सरकार ने बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है.
शिक्षिका निधि शर्मा ने भी सरकार के द्वारा परीक्षा रद्द करने के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि फिलहाल की स्थिति में परीक्षा को लेकर छात्र काफी तनाव में थे. साथ ही उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय दाखिले की प्रक्रिया इस तरह से अपनाएंगे कि छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी ना आए क्योंकि यह छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ मामला है.
शिक्षक राजीव झा ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. हालांकि उन्होंने कहा कि मूल्यांकन प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए जिससे किसी छात्र को इसका खामियाजा न भुगतना पड़े.
वहीं शिक्षक पुनित ने परीक्षा रद्द किए जाने पर असहमति जताई. उन्होंने कहा कि बहुत से ऐसे मेधावी छात्र हैं जिनके लिए हर अंक के बहुत मायने हैं. उन्होंने पूरे साल मेहनत की जिससे बेहतर परीक्षा परिणाम लाकर वह अपने पसंदीदा विश्वविद्यालय में दाखिला ले सकें. ऐसे छात्रों और अभिभावकों को परीक्षा रद्द किए जाने से खासी निराशा हुई है.
छात्रों में खुशी की लहर
सीबीएसई की 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द किए जाने पर छात्रों ने खुशी जाहिर की है. छात्रों का कहना है कि इस महामारी के समय लगातार चल रही असमंजस की स्थिति से मानसिक तनाव में थे और नहीं समझ पा रहे थे कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी करें या कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम की लेकिन अब सारी बातें साफ हो गई हैं. साथ ही कुछ छात्र यह सुझाव भी दे रहे हैं कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित नहीं हुई तो कॉलेज में जाने से पहले दाखिला परीक्षा जरूर आयोजित की जाए जिससे सभी को दाखिले का समान रुप से अवसर मिल सके.
मानसिक तनाव से जूझ रहे छात्रों को फैसले से राहत
छात्रों का कहना है कि 12वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहे कई छात्र ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना महामारी के चलते अपने परिवार को खो दिया है तो कई छात्र खुद ही कोरोना के शिकार हो गए हैं. ऐसे में वह परीक्षा की तैयारी पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे. वहीं अब परीक्षा आयोजित ना होने से उन्हें खासी राहत मिली है.