नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन (Minister in Delhi Government Satyendar Jain) की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट को बताया कि सत्येंद्र जैन जेल के अंदर भी आनंद उठा रहे हैं. ईडी के तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस बी राजू (Additional Solicitor General S B Raju) ने कहा कि हमने जेल से सीसीटीवी फुटेज मंगाई है, जिसमें सत्येंद्र जैन सलाद देते और जेल में चर्चा करते नजर आ रहे हैं. इसके अलावा साथी अभियुक्तों से मुलाकात करते और मसाज लेते नजर आए हैं.
राजू ने कोर्ट को सत्येंद्र जैन के आचरण के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि वह आरोपियों के साथ जेल में ही कागजों का आदान प्रदान करते हैं. वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल जेल अधिनियम के उल्लंघन और जांच को प्रभावित करने के साथ-साथ जेल के अंदर विशेष सहूलियत ले रहे हैं.
सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर राउज एवेन्यू कोर्ट में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने ईडी का पक्ष रखते हूए आज कोर्ट से कहा की 40-50 बार सत्येंद्र जैन ने हवाला ऑपरेटर को नगद मुहैया कराया है. राजू ने कहा कि गलत जानकारी देना PMLA एक्ट की धारा 50 के तहत अपराध है. लेकिन सत्येंद्र जैन लगातार गलत जानकारी दे रहे हैं. जो क IPC 199 के तहत दंडनीय है. ऐसे में जैन को जमानत न दी जाए.
एस वी राजू ने सत्येंद्र जैन की पत्नी पूनम जैन का बयान पढ़ कर कोर्ट को सुनाया. जैन की कंपनियों में से एक कंपनी के डायरेक्टर पंकुल अग्रवाल का बयान भी कोर्ट में पढ़ा गया आगे एस वी राजू ने कहा की जैन ने बोगस लोगों को कंपनी का कामकाज सौंपा था. पंकुल अग्रवाल भी उसी में से एक था. जैन और उनका परिवार और परिचित लूट कर रहे थे. कंपनी के फर्जी डायरेक्टर बना दिये गए थे और जैन कंपनी को पीछे से चला रहे थे. मनी लॉन्ड्रिंग का इससे बेहतर उदाहरण अभी तक देखने को नही मिला है. यह मामला एक करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का है ऐसे में जमानत न दी जाए.
एस वी राजू ने कहा सत्येंद्र जैन ने दस्तावेज के साथ जालसाजी की. जालसाजी का अपराध भी इसमे शामिल है, पुलिस ने कुछ धाराएं नहीं लगाई हैं. लेकिन आरोप तय करने के दौरान अदालत धाराएं जोड़ सकती है, जो कोई भी बेईमानी से किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने का कारण बनता है. अब कोर्ट कल इस मामले पर सुनवाई करेगा जिसमें बचाव पक्ष ईडी की दलील पर अपना जवाब पेश करेगा.
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विकास ढुल्ल कि अदालत इस मामले में सुनवाई कर रही है. 7 नवंबर को ईडी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि सत्येंद्र जैन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं. वह जेल में रहने के दौरान भी लगातार जांच और साक्ष्यों को प्रभावित कर रहे हैं. वहीं जमानत याचिका पर फैसला सुनाने से पहले पुराने आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सत्येंद्र जैन न तो वरिष्ठ नागरिक हैं और न ही बीमार हैं. इसके अलावा वह महिला होने की श्रेणी में भी राहत की मांग नहीं कर सकते. ऐसे में उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.
इससे पहले सत्येंद्र जैन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा सत्येंद्र जैन के नाम पर ना तो कोई कंपनी है, ना ही वह कंपनी में किसी पद पर है. ऐसे में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता है. उन्हें जमानत दी जानी चाहिए. इससे पहले बचाव पक्ष की तरफ से एन हरिहरन ने अपना पक्ष रखा और सत्येंद्र जैन को जमानत दिए जाने की मांग की है. इस मामले में वैभव जैन वह अंकुश जैन के वकील अपनी दलीलें पूरी कर चुके हैं.
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बता दें इससे पहले जैन की जमानत याचिका की सुनवाई विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल कर रही थी. इस दौरान ईडी ने कोर्ट बदलने की मांग को लेकर एक आवेदन जिला न्यायाधीश विनय कुमार के पास दाखिल किया. आवेदन पर विचार करते हुए जिला प्रधान न्यायाधीश ने जमानत याचिका की सुनवाई और फैसले पर रोक लगाते हुए कोर्ट स्थानांतरण की अनुमति दी थी. इसको लेकर जैन ने हाई कोर्ट में भी अपील की थी लेकिन हाईकोर्ट से अपील खारिज होने के बाद विशेष न्यायाधीश इसकी सुनवाई कर रहे हैं.