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मुद्रित पुस्तकों का विकल्प नहीं हो सकती ई-बुक्स: प्रोफेसर कुमुद शर्मा

मंडी हाउस स्थित साहित्य अकादमी के सभागार में "पुस्तक, जिसने बदल दिया मेरा जीवन" नामक परिसंवाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा कि ई-बुक मुद्रित पुस्तकों का विकल्प नहीं हो सकतीं.

"पुस्तक, जिसने बदल दिया मेरा जीवन" नामक परिसंवाद का आयोजन
"पुस्तक, जिसने बदल दिया मेरा जीवन" नामक परिसंवाद का आयोजन
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Published : Apr 23, 2023, 10:51 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और साहित्य अकादमी की पहली महिला उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा

नई दिल्ली: विश्व पुस्तक दिवस पर रविवार को दिल्ली के मंडी हाउस स्थित साहित्य अकादमी के सभागार में "पुस्तक, जिसने बदल दिया मेरा जीवन" नामक परिसंवाद का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और साहित्य अकादमी की पहली महिला उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने की.
प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा "वर्तमान समय हाई टेक्नोलॉजी का युग है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसके कारण ज्ञान का संवर्धन और संरक्षण बढ़ गया है, और ज्ञान बहुत जल्दी लोगों के पास पहुँचता है. लेकिन किताबों के प्रति जो पाठकों का रोमांस है वह काम होता गया है."

उनका कहना है कि आप गूगल पर ई-बुक पढ़ सकते हैं, लेकिन ई-बुक मुद्रित पुस्तकों का विकल्प नहीं हो सकती हैं. कैसे पुस्तकों ने बदला जीवन
इस परिसंवाद में देशभर से आए साहित्य जगत के विख्यात वक्ताओं ने अपनी बातें रखी. सभी वक्ताओं ने उन पुस्तकों पर अपने विचार रखे, जिन पुस्तकों ने उनके जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाले हैं.

दार्शनिक एवं नाट्यशास्त्रविद् भारत गुप्त ने नाट्य शास्त्र के विषय पर अपनी बातें रखीं. उन्होंने ड्रामा और वास्तविकता के अंतर को समझाया. कहा कि 15 साल के अभ्यास के बाद उन्होंने अपनी एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "ईस्ट इज ईस्ट, एंड वेस्ट इज ईस्ट" है. चिकित्सक और लेखक विनोद खेतान ने बताया कि 80 के दशक में उपन्यास पढ़ना और फिल्में देखना गलत माना जाता था. उन्होंने अपने जीवन की एक घटना बताई जिसमें उनको उपन्यास पढ़ने के लिए डांट पड़ी थी.
उन्होंने पुस्तक राजदरबारी का अद्भुत विवरण किया. उन्होंने कहा, "एक किताब को पढ़ने से जीवन नहीं बदल सकता. जीवन में बदलाव के लिए कई साहित्यों का प्रभाव पढ़ता है."

ये भी पढ़ें: Amritpal in Dibrugarh Jail: असम की डिब्रूगढ़ जेल लाया गया कट्टरपंथी अमृतपाल, जेल में सुरक्षा कड़ी

बचपन में पढ़ाई न करने पर पिता की डांट के बाद कुछ दिनों तक टेलर का काम सीखने का जिक्र करते हुए मशहूर पेंटर आर्टिस्ट हेमराज ने कहा, "आर्ट की किताबें ऐसी होती है जिसमें चित्र ज्यादा होते हैं उनका अलग आनंद है. बचपन से पेंटिंग का शौक रखने वाले हेमराज ने अपने जीवन को एक किताब के रूप में पेश किया. उन्होंने अपने जीवन पर पड़ने वाले आर्ट बुक के प्रभाव को बयां किया.

हेमराज का मानना है कि किताबें शादी का एक ऐसा बुफे सिस्टम है जिसमें जिसको जितना लेना है उतना लो, और जब लेना हो तब लो. उन्होंने किताबों को अपने जीवन में सबसे बड़ा गुरु माना है. मशहूर ओडिसी नृत्यांगना जया मेहता ने बताया कि किताबों को पढ़ने की भूख उनके जीवन में हमेशा रही. कहा, एक डांसर के लिए डांस और किताब दोनों ही जीवन की एक यात्रा है. बहुचर्चित किताब "एक पिता की जन्म कथा" के लेखक और कार्टूनिस्ट माधव जोशी ने अपने जीवन में किताब के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि पहले उन्होंने किताब लिखी, उसके बाद अन्य किताबों को पढ़ना शुरू किया.

कई अखबारों के लिए लेख लिखने वाले सुधीश पचौरी ने रामचरितमानस को सबसे बड़ा और लोगों पर प्रभाव छोड़ने वाला टेक्स्ट बताया. कहा कि ये किताब कभी न कभी आपके जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव जरूर डालती है. उन्होंने कम्युनिस्ट कैपिटलिज्म, बाईबल आदि किताबों का जिक्र किया. धूपन गायक उदय कुमार मलिक ने स्वामी विवेकानंद की किताबों का जिक्र करते हुए अपनी बातों को रखा.

आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व पुस्तक दिवस?
आज के दिन कुछ महान लेखकों का जन्म हुआ था, तो कुछ महान लेखकों की मृत्यु भी. 23 अप्रैल को मैनुअल मेजिया वैलेजो और मौरिस ड्रूनल का जन्म हुआ था और इसी दिन विलियम शेक्सपियर, मिगुएल डे सर्वेंट्स और जोसेप प्ला और इंका गार्सिलसो डे ला वेगा की मृत्यु हुई थी. इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं है. यही कारण है कि विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस को चिह्नित करने के लिए 23 अप्रैल की तिथि का चयन किया गया.

ये भी पढ़ें: DCW Issues Notice: महिला रेसलर की शिकायत पर एफआईआर दर्ज न करने पर दिल्ली पुलिस को नोटिस

दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और साहित्य अकादमी की पहली महिला उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा

नई दिल्ली: विश्व पुस्तक दिवस पर रविवार को दिल्ली के मंडी हाउस स्थित साहित्य अकादमी के सभागार में "पुस्तक, जिसने बदल दिया मेरा जीवन" नामक परिसंवाद का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और साहित्य अकादमी की पहली महिला उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने की.
प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा "वर्तमान समय हाई टेक्नोलॉजी का युग है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसके कारण ज्ञान का संवर्धन और संरक्षण बढ़ गया है, और ज्ञान बहुत जल्दी लोगों के पास पहुँचता है. लेकिन किताबों के प्रति जो पाठकों का रोमांस है वह काम होता गया है."

उनका कहना है कि आप गूगल पर ई-बुक पढ़ सकते हैं, लेकिन ई-बुक मुद्रित पुस्तकों का विकल्प नहीं हो सकती हैं. कैसे पुस्तकों ने बदला जीवन
इस परिसंवाद में देशभर से आए साहित्य जगत के विख्यात वक्ताओं ने अपनी बातें रखी. सभी वक्ताओं ने उन पुस्तकों पर अपने विचार रखे, जिन पुस्तकों ने उनके जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाले हैं.

दार्शनिक एवं नाट्यशास्त्रविद् भारत गुप्त ने नाट्य शास्त्र के विषय पर अपनी बातें रखीं. उन्होंने ड्रामा और वास्तविकता के अंतर को समझाया. कहा कि 15 साल के अभ्यास के बाद उन्होंने अपनी एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "ईस्ट इज ईस्ट, एंड वेस्ट इज ईस्ट" है. चिकित्सक और लेखक विनोद खेतान ने बताया कि 80 के दशक में उपन्यास पढ़ना और फिल्में देखना गलत माना जाता था. उन्होंने अपने जीवन की एक घटना बताई जिसमें उनको उपन्यास पढ़ने के लिए डांट पड़ी थी.
उन्होंने पुस्तक राजदरबारी का अद्भुत विवरण किया. उन्होंने कहा, "एक किताब को पढ़ने से जीवन नहीं बदल सकता. जीवन में बदलाव के लिए कई साहित्यों का प्रभाव पढ़ता है."

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बचपन में पढ़ाई न करने पर पिता की डांट के बाद कुछ दिनों तक टेलर का काम सीखने का जिक्र करते हुए मशहूर पेंटर आर्टिस्ट हेमराज ने कहा, "आर्ट की किताबें ऐसी होती है जिसमें चित्र ज्यादा होते हैं उनका अलग आनंद है. बचपन से पेंटिंग का शौक रखने वाले हेमराज ने अपने जीवन को एक किताब के रूप में पेश किया. उन्होंने अपने जीवन पर पड़ने वाले आर्ट बुक के प्रभाव को बयां किया.

हेमराज का मानना है कि किताबें शादी का एक ऐसा बुफे सिस्टम है जिसमें जिसको जितना लेना है उतना लो, और जब लेना हो तब लो. उन्होंने किताबों को अपने जीवन में सबसे बड़ा गुरु माना है. मशहूर ओडिसी नृत्यांगना जया मेहता ने बताया कि किताबों को पढ़ने की भूख उनके जीवन में हमेशा रही. कहा, एक डांसर के लिए डांस और किताब दोनों ही जीवन की एक यात्रा है. बहुचर्चित किताब "एक पिता की जन्म कथा" के लेखक और कार्टूनिस्ट माधव जोशी ने अपने जीवन में किताब के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि पहले उन्होंने किताब लिखी, उसके बाद अन्य किताबों को पढ़ना शुरू किया.

कई अखबारों के लिए लेख लिखने वाले सुधीश पचौरी ने रामचरितमानस को सबसे बड़ा और लोगों पर प्रभाव छोड़ने वाला टेक्स्ट बताया. कहा कि ये किताब कभी न कभी आपके जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव जरूर डालती है. उन्होंने कम्युनिस्ट कैपिटलिज्म, बाईबल आदि किताबों का जिक्र किया. धूपन गायक उदय कुमार मलिक ने स्वामी विवेकानंद की किताबों का जिक्र करते हुए अपनी बातों को रखा.

आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व पुस्तक दिवस?
आज के दिन कुछ महान लेखकों का जन्म हुआ था, तो कुछ महान लेखकों की मृत्यु भी. 23 अप्रैल को मैनुअल मेजिया वैलेजो और मौरिस ड्रूनल का जन्म हुआ था और इसी दिन विलियम शेक्सपियर, मिगुएल डे सर्वेंट्स और जोसेप प्ला और इंका गार्सिलसो डे ला वेगा की मृत्यु हुई थी. इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं है. यही कारण है कि विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस को चिह्नित करने के लिए 23 अप्रैल की तिथि का चयन किया गया.

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