नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के जरिए आयोजित की जा रही ऑनलाइन ओपन बुक (OBE) परीक्षा के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) ने ऑनलाइन सिगनेचर पिटिशन को आयोजित किया. इसमें 15,701 लोगों के हस्ताक्षर सहित इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा गया.
इसके जरिए ये मांग की गई कि इस मसले में प्रधानमंत्री खुद हस्तक्षेप करें और डीयू के मनमाने रवैए को रोकें. वहीं डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि इस तरह की परीक्षा छात्रों के बीच भेदभाव पैदा कर सकती है, क्योंकि 85 फ़ीसदी छात्र ऐसे हैं जिनके पास ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए के लर्निंग मटेरियल, स्मार्टफोन, लैपटॉप या अन्य पाठ्यसामग्री उपलब्ध नहीं है.
छात्रों की परेशानी और बढ़ी
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा फाइनल ईयर के छात्रों के लिए आयोजित की जा रही ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा का दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ शुरू से विरोध करता रहा है. वहीं इसको लेकर डूटा के अध्यक्ष राजीव रे ने कहा कि विश्वविद्यालय के इस ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम का जो परीक्षण है, उससे छात्रों में भेदभाव की स्थिति उत्पन्न होगी. उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान कई छात्रों के परिवारों की आजीविका छीनी जा चुकी है. ऐसे में मानसिक रूप से छात्र परेशान हैं. इस स्थिति में छात्रों के साथ खड़े रहकर उनका साहस बढ़ाने के बजाय दिल्ली विश्वविद्यालय उनकी परेशानियों को अनदेखा कर उन पर इस परीक्षा का बोझ लादकर उन्हें और परेशान करने पर अमादा है.
'85 फीसदी छात्र परीक्षा देने के लिए सक्षम नहीं'
वहीं प्रोफेसर राजीव रे ने कहा कि डूटा द्वारा सर्वे कम रेफरेंडम कराया गया था जिसमें 52,100 छात्रों ने खुद को अभी परीक्षा के लिए असक्षम बताया था जबकि 85 फीसदी छात्रों ने कहा था कि उनके पास इंटरनेट, लैपटॉप, ई-लर्निंग जैसे पाठ्यसामग्री भी उपलब्ध नहीं है. वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन सभी आंकड़ों की अनदेखी कर मनमाने ढंग से परीक्षा आयोजित कर रहा है.
प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग
कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन से इसको लेकर बात करने के बाद भी जब कोई हल नहीं निकला तो दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने ऑनलाइन पिटीशन अभियान शुरू किया. 15701 लोगों द्वारा साइन किए हुए इस पिटीशन को प्रधानमंत्री को सौंपा गया है जिसमें उपर्युक्त सभी तथ्य लिखे गए हैं. साथ ही यह मांग की गई है कि इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री हस्तक्षेप करें क्योंकि यदि परीक्षा आयोजित होती है तो उन छात्रों के साथ बहुत नाइंसाफी होगी, जो यह परीक्षा देने में असक्षम हैं विशेष तौर पर ईडब्ल्यूएस और दिव्यांग कैटेगरी के छात्र.
मूल्यांकन के आधार पर छात्र हो पास
उन्होंने प्रधानमंत्री से इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की. साथ ही कहा कि असाधारण परिस्थिति को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय को भी वही रास्ता अपनाना चाहिए जो आईआईटी जैसे संस्थानों ने अपनाया है. छात्रों को उनकी गत परीक्षाएं और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर पास कर देना चाहिए जिससे किसी भी छात्र के साथ भेदभाव की स्थिति उत्पन्न ना हो.