नई दिल्लीः लॉकडाउन के बाद फाकाकशी सबसे बड़ा मसला बन गया है. दिल्ली सरकार की ओर से 500 से ज्यादा स्थानों पर खाने की वयवस्था की गई है, लेकिन राजधानी दिल्ली में ऐसे भी इलाके हैं जहां सरकार की ओर कोई मदद नहीं मिल रही है. दिल्ली विश्वविद्यालय के मोरिस नगर इलाके में निगम और दिल्ली सरकार का कोई स्कूल नहीं होने के कारण लोगों के पास खाने-पीने की कोई वयवस्था नहीं.
ETV भारत की टीम ने लोगों से की बात
स्थानीय निवासी रविन्द्र प्रसाद ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि लॉकडाउन के बाद यहां काम खत्म हो चुका है और किराए पर रहते हैं. खाने-पीने की सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है. मेरे जैसे सैकड़ों लोग हैं, जो गरीब मजदूर है और सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि मैं लोगों के घरों में अखबार डालने का काम करता हूं.
'अखबार भी नहीं लेते हैं लोग'
रविन्द्र प्रसाद ने कहा है कि कोरोना वायरस के कारण जब से लॉकडाउन हुआ है लोगों ने अखबार लेना बंद कर दिया है. लोगों का कहना है कि अखबार के साथ वायरस भी उनके घर आ जाएगा. उन्होंने कहा कि यहां मोरिस नगर इलाके में कोई सरकारी स्कूल नहीं है. इलाके के लोग ही गरीबों को खिला रहे हैं. मस्जिद एंग्लो अरेबिक स्कूल के इमाम मुफ्ती कासिम कासमी ने भी etv भारत से बात की.
मुफ्ती कासिम कासमी भी कर रहे मदद
इमाम मुफ्ती कासिम कासमी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इंसानों की मदद करते हुए धर्म नहीं देखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारे पास कुछ छात्रों का कॉल आया था, जिन्होंने मुझे यहां के हालात बताए और कहा कि अगर मुमकिन हो तो यहां भी मदद पहुंचाई जाए. उन्होंने कहा कि हमारे पास 10 राशन किट्स थी, जो हम यहां जरूरत मंदों की देने आए हैं.