नई दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) बिल के खिलाफ डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन आज तीसरा दिन भी जारी है. दिल्ली में एम्स सहित कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं. डॉक्टरों के विरोध के बीच गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्यसभा में एनएमसी बिल को पास करा दिया, जबकि 29 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हो गया था. पूरे देश के डॉक्टर इस बिल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल डॉक्टर बिल के विरोध में नहीं हैं बल्कि उसमें कुछ बदलाव की मांग कर रहे हैं.
'बढ़ेगी झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या'
डॉक्टरों का कहना है कि बिल में कुछ ऐसे क्लॉज हैं जिसकी वजह से झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या देश में बढ़ेगी, इसीलिए हम चाहते हैं बिल में बदलाव किया जाए. साथ ही डॉक्टरों की यह भी मांग है प्राइवेट कॉलेजों में फिर से 85 प्रतिशत सीट पर सरकार ही फीस तय करें. बता दें कि सरकार ने इस बिल में 85 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत सीट कर दी थी, जिसका शुरू से ही विरोध हो रहा है.
अस्पतालों में स्वास्थ-सेवाएं बंद
दिल्ली के दिन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भी रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर रखी है. डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से बंद हो चुकी है, ओपीडी और इमरजेंसी सेवा पूरी तरह बाधित होने से मरीज परेशान होकर घर लौटने पर मजबूर हो रहे हैं.
यमुनापार के जग प्रवेश चंद्र अस्पताल का भी यही हाल है. अस्पताल के हर वार्ड का बुरा हाल है, ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है. डॉक्टरों के हड़ताल की वजह से यहां भी मरीजों को इलाज करवाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
चिकित्सा आयोग की होगी स्थापना
बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को 17 जुलाई के दिन मंजूरी दे दी थी. विधेयक का मुख्य उद्देश्य मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के स्थान पर एक चिकित्सा आयोग स्थापित करना है. बताया जाता है कि इससे भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 निरस्त हो जाएगा.