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NMC बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टर तीसरे दिन भी हड़ताल पर, मरीज परेशान - मरीज परेशान

नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) बिल के खिलाफ डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन जारी है. जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल डॉक्टर्स NMC बिल के खिलाफ नहीं हैं बल्कि वे इस बिल में कुछ बदलाव चाहते हैं. पढ़ें ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट...

NMC बिल etv bharat
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Published : Aug 2, 2019, 8:43 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) बिल के खिलाफ डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन आज तीसरा दिन भी जारी है. दिल्ली में एम्स सहित कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं. डॉक्टरों के विरोध के बीच गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्यसभा में एनएमसी बिल को पास करा दिया, जबकि 29 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हो गया था. पूरे देश के डॉक्टर इस बिल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल डॉक्टर बिल के विरोध में नहीं हैं बल्कि उसमें कुछ बदलाव की मांग कर रहे हैं.

देशभर में NMCबिल का विरोध

'बढ़ेगी झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या'
डॉक्टरों का कहना है कि बिल में कुछ ऐसे क्लॉज हैं जिसकी वजह से झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या देश में बढ़ेगी, इसीलिए हम चाहते हैं बिल में बदलाव किया जाए. साथ ही डॉक्टरों की यह भी मांग है प्राइवेट कॉलेजों में फिर से 85 प्रतिशत सीट पर सरकार ही फीस तय करें. बता दें कि सरकार ने इस बिल में 85 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत सीट कर दी थी, जिसका शुरू से ही विरोध हो रहा है.

अस्पतालों में स्वास्थ-सेवाएं बंद
दिल्ली के दिन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भी रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर रखी है. डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से बंद हो चुकी है, ओपीडी और इमरजेंसी सेवा पूरी तरह बाधित होने से मरीज परेशान होकर घर लौटने पर मजबूर हो रहे हैं.

यमुनापार के जग प्रवेश चंद्र अस्पताल का भी यही हाल है. अस्पताल के हर वार्ड का बुरा हाल है, ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है. डॉक्टरों के हड़ताल की वजह से यहां भी मरीजों को इलाज करवाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

चिकित्सा आयोग की होगी स्थापना
बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को 17 जुलाई के दिन मंजूरी दे दी थी. विधेयक का मुख्य उद्देश्य मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के स्थान पर एक चिकित्सा आयोग स्थापित करना है. बताया जाता है कि इससे भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 निरस्त हो जाएगा.

नई दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) बिल के खिलाफ डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन आज तीसरा दिन भी जारी है. दिल्ली में एम्स सहित कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं. डॉक्टरों के विरोध के बीच गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्यसभा में एनएमसी बिल को पास करा दिया, जबकि 29 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हो गया था. पूरे देश के डॉक्टर इस बिल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल डॉक्टर बिल के विरोध में नहीं हैं बल्कि उसमें कुछ बदलाव की मांग कर रहे हैं.

देशभर में NMCबिल का विरोध

'बढ़ेगी झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या'
डॉक्टरों का कहना है कि बिल में कुछ ऐसे क्लॉज हैं जिसकी वजह से झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या देश में बढ़ेगी, इसीलिए हम चाहते हैं बिल में बदलाव किया जाए. साथ ही डॉक्टरों की यह भी मांग है प्राइवेट कॉलेजों में फिर से 85 प्रतिशत सीट पर सरकार ही फीस तय करें. बता दें कि सरकार ने इस बिल में 85 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत सीट कर दी थी, जिसका शुरू से ही विरोध हो रहा है.

अस्पतालों में स्वास्थ-सेवाएं बंद
दिल्ली के दिन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भी रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर रखी है. डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से बंद हो चुकी है, ओपीडी और इमरजेंसी सेवा पूरी तरह बाधित होने से मरीज परेशान होकर घर लौटने पर मजबूर हो रहे हैं.

यमुनापार के जग प्रवेश चंद्र अस्पताल का भी यही हाल है. अस्पताल के हर वार्ड का बुरा हाल है, ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है. डॉक्टरों के हड़ताल की वजह से यहां भी मरीजों को इलाज करवाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

चिकित्सा आयोग की होगी स्थापना
बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को 17 जुलाई के दिन मंजूरी दे दी थी. विधेयक का मुख्य उद्देश्य मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के स्थान पर एक चिकित्सा आयोग स्थापित करना है. बताया जाता है कि इससे भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 निरस्त हो जाएगा.

Intro:हड़ताल कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर का मांग है कि सरकार ने जो एनएमसी बिल लाई है उसमें हम कुछ बदलाव चाहते हैं दरअसल प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि हम बिल के खिलाफ नहीं है बल्कि उसमें कुछ अमेंडमेंट की जरूरत है उसकी हम मांग कर रहे हैं आज दूसरा दिन है और आज एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर डॉक्टरों का कहना है कि डॉक्टर्स के कुछ मेंबर स्वास्थ्य मंत्री से मिलने गए हुए हैं हालांकि अभी भी डॉक्टरों का हड़ताल जारी है जिससे दूरदराज से आए मरीजो को परेशानी हो रही है और बिना दिखाएं ही वापस लौट रहे ।


Body:एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर प्रोटेस्ट कर रहे हैं डॉक्टरों का कहना है कि हम एनएमसी बिल के खिलाफ नहीं है बल्कि इसमें कुछ बदलाव कि हम मांग कर रहे हैं डॉक्टरों का कहना है कि इसमें कुछ ऐसे क्लोज है जिसकी वजह से झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या देश में बढ़ेगी जो आम आदमी के जीवन के साथ खेलेंगे इसीलिए हम चाहते हैं इसमें बदलाव कीया जाए साथ ही उनकी यह भी मांग है कि इस बिल के द्वारा प्राइवेट कॉलेजों में जो पहले पचासी परसेंट सीटों पर सरकार फीस डिसाइड करती थी वह अब 50 परसेंट कर दिया गया हैं जो गलत है इसमें भी हम बदलाव चाहते हैं क्योंकि अगर यह लागू हो गया तो गरीब डॉक्टर नहीं बन पाएगा क्योंकि डॉक्टर की सीटें करोड़ों रुपए में बेचे जाएंगे साथ ही प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि हमारे डॉक्टर आज स्वास्थ्य मंत्री से मिलने गए हैं लेकिन अभी मीटिंग से कोई समाधान नहीं निकला है साथी डॉक्टरों का आरोप है कि हमको अपनी गाड़ी में नहीं जाने दिया गया बल्कि पुलिस के गाड़ी में मंत्री के पाश ले जाया गया हैं । वहीं डॉक्टरों का यह भी कहना है कि हमें प्रोटेस्ट करने से भी रोका जा रहा है जो कि गलत है हम बिल के खिलाफ नहीं हैं बल्कि इसमें हम कुछ बदलाव चाहते हैं जो आम लोग गरीबों के लिए जरूरी है ।


Conclusion:प्रोटेस्ट कर रहे डॉक्टरों का सीधा कहना है कि हम एनएमसी बिल के खिलाफ नहीं है बल्कि इसमें कुछ अमेंडमेंट चाहते हैं क्योंकि कुछ इसमें ऐसे क्लोज है जिसकी वजह से आने वाले समय में भारत की मेडिकल व्यवस्था चरमरा जाएगी और इसमें पैसे का बोलबाला बढ़ेगा और गरीब छात्र डॉक्टर नहीं बन पाएंगे साथ ही छात्रों का यह भी कहना है कि इस बिल के इंप्लीमेंट हो जाने के बाद झोलाछाप डॉक्टर लोगों के जिंदगी के साथ खेलेंगे और उन झोलाछाप डॉक्टरों को सर्टिफिकेट भी मिल जाएगा क्योंकि फिलहाल अभी एक एमबीबीएस बनने में 5 साल लगते हैं लेकिन सरकार की पॉलिसी जो कह रही है इसमें जल्दी झोलाछाप डॉक्टर डिग्रीधारी हो जाएंगे और फिर गरीब लोगों के जीवन के साथ खेलेंगे इसी को लेकर एनएमसी बिल का विरोध कर रहे हैं और आज दूसरे दिन भी हड़ताल पर हैं।
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