नई दिल्ली/गाजियाबाद: रविवार, 12 नवंबर 2023 को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा. कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है. गाजियाबाद के शिव शंकर ज्योतिष एवं अनुसंधान केंद्र के आचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक रविवार को स्वाति नक्षत्र होने से लंबी योग बनता है. लंबी योग पूरे दिन और रात रहेगा.
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि इस साल 12 नवंबर 2023 को स्वाति नक्षत्र में दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा. दीपावली पूजन और महालक्ष्मी पूजन के लिए स्थिर लग्न को बेहद शुभ माना गया है. स्थिर लग्न में दीपावली पूजन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में लक्ष्मी स्थिर होती हैं अर्थात आर्थिक स्थिरता का वास होता है.
० व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त
व्यापारिक संस्थानों, कारखानों में लक्ष्मी पूजन के लिए धनु लग्न बहुत ही श्रेष्ठ रहता है. धनु लग्न रविवार, प्रातः 9:20 से 11:24 बजे तक रहेगा. सुबह 11:24 बजे से दोपहर 01:06 बजे तक स्थिर लग्न में शुभ मुहूर्त है. इसमें अमृत का चौघड़िया भी बहुत श्रेष्ठ फलकारक है. दोपहर 01:25 बजे से शाम 02:45 बजे तक शुभ का चौघड़िया बहुत अच्छा मुहूर्त है. इसी दिन शाम 4:30 बजे से 6 बजे तक राहुकाल का समय त्यागने योग्य है. इस अवधि में व्यापारिक संस्थानों में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन कर सकते हैं.
० रात्रि के लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल के बाद मध्य रात्रि तक गृहस्थ लोग अपने घरों में महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लक्ष्मी और गणेश का पूजन करते हैं. इसी अवधि में ब्राह्मण अर्थात विद्वानों द्वारा भी पूजन कराया जाता है.
शाम 05:35 बजे से शाम 07:31 बजे तक वृषभ लग्न (स्थिर लग्न), सुबह की चौघड़िया और प्रदोष काल महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ है. इसके पश्चात शाम 07:31 बजे से रात 09:45 बजे तक मिथुन लग्न आ जाएगा.
दीपावली पूजन के लिए मिथुन लग्न भी उत्तम है. कर्क लग्न रात्रि 21:45 बजे से रात 12:04 बजे तक रहेगा. रात्रि 12:04 बजे से सिंह लग्न आएगा. इसे निशीथ काल भी कहा जाता है. इस मुहूर्त में तांत्रिकों द्वारा सिद्धि भी की जाती है. इस अवधि में मंत्र सिद्ध करने या इश्क की पूजा करने से पूजा का तुरंत फल मिलता है.
० लक्ष्मी गणेश पूजन की विधि
- दीपावली पूजन के शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजन की सामग्री एकत्रित कर लें.
- श्री गणेश, इंद्र, वरुण, कुबेर और नवग्रह देवताओं के पूजन के बाद महालक्ष्मी का आह्वान कर पूजा करें. घर, दुकान या फिर व्यावसायिक प्रतिष्ठान में बहीखाता, कंप्यूटर सहित अन्य जिन उपकरणों का व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियों को पूर्ण करने में उपयोग होता है उनका भी पूजन करें.
- थाली में ग्यारह या इक्कीस मिट्टी के दीपक जलाएं. दीपमालिका पूजा कर दीपकों को द्वार, छत और घर के अन्य स्थानों पर रखें. इसके पश्चात भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की आरती करें और खीर बताशे समेत अन्य मिष्ठान का भोग लगाएं. बाद में प्रसाद वितरित करें.
- दीपावली पूजन की समाप्ति पर मां लक्ष्मी के मंत्र ॐ श्रीं श्रियै नमः, का कमल गट्ठे की माला से इच्छा के अनुसार जाप करें. अथवा श्रीसूक्तम् का पाठ करें. धनतेरस पर लाए हुए मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश का पूजन करें और अगले दिन पुराने लक्ष्मी गणेश की मूर्ति को मंदिर से हटा कर उनका विसर्जन कर दें और नए लक्ष्मी गणेश को मंदिर में स्थापित करें.
० दिवाली पूजन की सामग्री
1. रोली
2. चावल
3. कलावा
4. पान
5. सुपारी
6. लौंग
7. इलाइची
8. बताशे
9. मिष्ठान
10. इत्र
11. फल
12. पुष्पमाला
13. गुलाब
14. कमल के फूल
15. अनार
16. मां लक्ष्मी की मिट्टी की मूर्ति
17. भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति
18. श्री यंत्र
19. कुबेर यंत्र
20. कमलगट्टे कौड़ी
21. श्रीफल
22. एकाक्षी नारियल
23. लक्ष्मी वर्धक वस्तुओं वस्तुएं
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