ETV Bharat / state

विजिलेंस मंत्री ने CM को सौंपी 670 पन्ने की रिपोर्ट, मुख्य सचिव को तुरंत पद से हटाने की सिफारिश, पढ़ें रिपोर्ट की मुख्य बातें - Delhi Chief Secretary naresh kumar

मुख्यमंत्री केजरीवाल के आदेशानुसार मुख्य सचिव पर लगे घोटाले के आरोप को लेकर विजिलेंस मंत्री ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुख्य सचिव ने अपने बेटे की कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा पहुंचाया है. Chief Secretary guilty of benefiting son company

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 14, 2023, 3:09 PM IST

Updated : Nov 14, 2023, 8:00 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव (CS) नरेश कुमार पर लगे कथित भ्रष्टाचार को लेकर सरकार और प्रशासन आमने-सामने की स्थिति में है. सीएस के बेटे की कंपनी को 315 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाने के आरोप पर तकरार जारी है. मंगलवार को विजिलेंस मंत्री आतिशी ने 670 पन्ने की प्राथमिक जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी. इससे पहले सोमवार को डिविजनल कमिश्नर अश्विनी कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोपों को बेबुनियाद बताया था.

बताया जा रहा है कि मुख्य सचिव नरेश कुमार प्रथम दृष्टया जांच में दोषी पाए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार मुख्य सचिव ने बेटे की कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा पहुंचाया है. मामला संज्ञान में तब आया जब द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण पर रिपोर्ट आई.

670 पन्नों की रिपोर्ट में ये की गई सिफारिश...

  1. मुख्य सचिव नरेश कुमार और डिविजनल कमिश्नर अश्वनी कुमार को तुरंत पद से हटाया जाए. ताकि वह जांच को प्रभावित न कर सकें और मामले से जुड़ी सभी फाइलों को तुरंत जब्त किया जाए.
  2. रिपोर्ट को सीबीआई को भेजा जाए ताकि वो मामले की जांच कर सके. ED को भी मामले की जांच के लिए कहा जाए.
  3. जांच लंबित रहने तक नरेश कुमार और अश्विनी कुमार को सर्विस रूल के तहत निलंबित किया जाए. दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए.

जांच रिपोर्ट में कहा गया है...

  1. मुख्य सचिव और जमीन मालिकों के ऐसे संबंध है, जिनको खारिज नहीं किया जा सकता.
  2. मुख्य सचिव का बेटा करण चौहान अनंत राज ग्रुप के सरीन के व्यवसाय से जुड़ा है, जो जमीन मालिकों का दामाद है.
  3. करण चौहान के अपने व्यवसाय को भी सरीन ने सपोर्ट और प्रमोट किया. इन लिंक की ओर जांच जरूरी है.

3 दिन में सौंपी रिपोर्ट: विजिलेंस मंत्री आतिशी ने 11 नवंबर को जांच शुरू की थी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस संबंध में आतिशी से रिपोर्ट मांगी थी. मंत्री आतिशी ने दिल्ली के विजिलेंस विभाग के निदेशक और डिविजनल कमिश्नर को पत्र लिखकर उनसे इस संबंध में सभी फाइलें मांगी थी. मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे से जुड़ी एक कंपनी को 315 करोड रुपए का फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है.

आरोप है कि द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण में हेरफेर कर उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को 315 करोड रुपए का फायदा पहुंचाया है. बीते शुक्रवार को इसकी शिकायत मिलते ही मुख्यमंत्री ने विजिलेंस मंत्री को जांच के आदेश दिए थे. हालांकि, इस पर मुख्य सचिव ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी थी और सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था. सोमवार को जिला दिल्ली के मंडलायुक्त अश्वनी कुमार ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर सभी आरोपों को निराधार बताया था.

ये भी पढ़ें: मुख्य सचिव पर लगे आरोप बेबुनियाद, छवि खराब करने की हो रही कोशिश, डिविजनल कमिश्नर का दावा

जानें क्या है मामला: दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे पर आरोप है कि उन्होंने डीएम को जमीन का मुआवजा बढ़ाने के लिए कहा था. पिछले तीन जिला अधिकारी ने जमीन का मुआवजा बढ़ाने से इनकार कर दिया था. नरेश कुमार के मुख्य सचिव बनने के 40 दिनों के बाद हेमंत कुमार साउथ वेस्ट जिले के डीएम बने और उन्होंने जमीन की मुआवजा राशि 41.50 करोड़ से बढ़कर 353 करोड़ रुपए करने के आदेश दिए.

कथित मामले में कंपनी ने द्वारका एक्सप्रेसवे के पास 2015 में जमीन मात्र 75 लाख में खरीदी थी. अब महंगे रेट पर भूमि अधिग्रहण हुआ, जिससे कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा हुआ है. मुख्य सचिव ने बेटे की कई अन्य कंपनियां को भी सरकारी ठेके दिये. इन कंपनियों की भी जांच की सिफारिश की बात कही है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के मुख्य सचिव से जुड़े भ्रष्टाचार मामले की जांच शुरू, विजिलेंस मंत्री आतिशी ने मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव (CS) नरेश कुमार पर लगे कथित भ्रष्टाचार को लेकर सरकार और प्रशासन आमने-सामने की स्थिति में है. सीएस के बेटे की कंपनी को 315 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाने के आरोप पर तकरार जारी है. मंगलवार को विजिलेंस मंत्री आतिशी ने 670 पन्ने की प्राथमिक जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी. इससे पहले सोमवार को डिविजनल कमिश्नर अश्विनी कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोपों को बेबुनियाद बताया था.

बताया जा रहा है कि मुख्य सचिव नरेश कुमार प्रथम दृष्टया जांच में दोषी पाए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार मुख्य सचिव ने बेटे की कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा पहुंचाया है. मामला संज्ञान में तब आया जब द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण पर रिपोर्ट आई.

670 पन्नों की रिपोर्ट में ये की गई सिफारिश...

  1. मुख्य सचिव नरेश कुमार और डिविजनल कमिश्नर अश्वनी कुमार को तुरंत पद से हटाया जाए. ताकि वह जांच को प्रभावित न कर सकें और मामले से जुड़ी सभी फाइलों को तुरंत जब्त किया जाए.
  2. रिपोर्ट को सीबीआई को भेजा जाए ताकि वो मामले की जांच कर सके. ED को भी मामले की जांच के लिए कहा जाए.
  3. जांच लंबित रहने तक नरेश कुमार और अश्विनी कुमार को सर्विस रूल के तहत निलंबित किया जाए. दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए.

जांच रिपोर्ट में कहा गया है...

  1. मुख्य सचिव और जमीन मालिकों के ऐसे संबंध है, जिनको खारिज नहीं किया जा सकता.
  2. मुख्य सचिव का बेटा करण चौहान अनंत राज ग्रुप के सरीन के व्यवसाय से जुड़ा है, जो जमीन मालिकों का दामाद है.
  3. करण चौहान के अपने व्यवसाय को भी सरीन ने सपोर्ट और प्रमोट किया. इन लिंक की ओर जांच जरूरी है.

3 दिन में सौंपी रिपोर्ट: विजिलेंस मंत्री आतिशी ने 11 नवंबर को जांच शुरू की थी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस संबंध में आतिशी से रिपोर्ट मांगी थी. मंत्री आतिशी ने दिल्ली के विजिलेंस विभाग के निदेशक और डिविजनल कमिश्नर को पत्र लिखकर उनसे इस संबंध में सभी फाइलें मांगी थी. मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे से जुड़ी एक कंपनी को 315 करोड रुपए का फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है.

आरोप है कि द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण में हेरफेर कर उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को 315 करोड रुपए का फायदा पहुंचाया है. बीते शुक्रवार को इसकी शिकायत मिलते ही मुख्यमंत्री ने विजिलेंस मंत्री को जांच के आदेश दिए थे. हालांकि, इस पर मुख्य सचिव ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी थी और सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था. सोमवार को जिला दिल्ली के मंडलायुक्त अश्वनी कुमार ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर सभी आरोपों को निराधार बताया था.

ये भी पढ़ें: मुख्य सचिव पर लगे आरोप बेबुनियाद, छवि खराब करने की हो रही कोशिश, डिविजनल कमिश्नर का दावा

जानें क्या है मामला: दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे पर आरोप है कि उन्होंने डीएम को जमीन का मुआवजा बढ़ाने के लिए कहा था. पिछले तीन जिला अधिकारी ने जमीन का मुआवजा बढ़ाने से इनकार कर दिया था. नरेश कुमार के मुख्य सचिव बनने के 40 दिनों के बाद हेमंत कुमार साउथ वेस्ट जिले के डीएम बने और उन्होंने जमीन की मुआवजा राशि 41.50 करोड़ से बढ़कर 353 करोड़ रुपए करने के आदेश दिए.

कथित मामले में कंपनी ने द्वारका एक्सप्रेसवे के पास 2015 में जमीन मात्र 75 लाख में खरीदी थी. अब महंगे रेट पर भूमि अधिग्रहण हुआ, जिससे कंपनी को 850 करोड़ का नाजायज फायदा हुआ है. मुख्य सचिव ने बेटे की कई अन्य कंपनियां को भी सरकारी ठेके दिये. इन कंपनियों की भी जांच की सिफारिश की बात कही है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के मुख्य सचिव से जुड़े भ्रष्टाचार मामले की जांच शुरू, विजिलेंस मंत्री आतिशी ने मांगी रिपोर्ट

Last Updated : Nov 14, 2023, 8:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.