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103 फीसदी बच्चों को तलाशने में मिली कामयाबी, पुलिस कमिश्नर की पहल का असर

दिल्ली में खोने वाले बच्चों को तलाशने के लिए पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अभियान का बड़ा असर देखने को मिला है. बीते अगस्त माह से हुई इस शुरुआत के बाद से 103 फीसदी बच्चों को तलाशने में पुलिस कामयाब रही है. पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने इसे बहुत संतोषजनक काम बताया है, क्योंकि इससे एक बच्चे को वह उसके परिवार से मिलवा देते हैं.

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103 फीसदी बच्चों को तलाशने में मिली कामयाबी
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Published : Feb 20, 2021, 2:20 PM IST

नई दिल्लीः राजधानी से खोने वाले बच्चों को तलाशने के लिए पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अभियान का बड़ा असर देखने को मिला है. बीते अगस्त माह से हुई इस शुरुआत के बाद से 103 फीसदी बच्चों को तलाशने में पुलिस कामयाब रही है. पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने इसे बहुत संतोषजनक काम बताया है, क्योंकि इससे एक बच्चे को वह उसके परिवार से मिलवा देते हैं.

103 फीसदी बच्चों को तलाशने में मिली कामयाबी

यह भी पढ़ेंः-62 फीसदी साइबर अपराध ऑनलाइन ट्रांजेक्शन फ्रॉड से संबंधित, ऐसे बनाते हैं शिकार

पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव द्वारा बीते अगस्त माह में नवजीवन कार्यक्रम चलाया गया. इसके तहत पुलिसकर्मियों को लापता हुए अधिक से अधिक बच्चों को तलाशने के लिए प्रेरित किया गया. इसके लिए उन्हें पुलिस कमिश्नर की तरफ से इनाम देंव की भी घोषणा की गई. उन्होंने कहा कि एक साल में 15 बच्चों को तलाशने पर असाधारण कार्य पुरस्कार दिया जाएगा. एक साल में 50 गुमशुदा बच्चों को तलाशने पर उन्हें बारी से पहले पदोन्नति दी जाएगी. इसका बड़ा असर हुआ और पुलिसकर्मियों ने बच्चों की तलाश कड़ी मेहनत से करनी शुरू की.

यह भी पढ़ेंः-दिल्ली पुलिस ने शुरू किया जागरुकता अभियान

दो लोगों को मिली बारी से पहले पदोन्नति

पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत समयपुर बादली थाने में तैनात महिला पुलिसकर्मी सीमा ढाका ने महज ढाई महीने में 76 बच्चों को तलाशकर उन्हें परिवार से मिलवाया. उसके इस बेहतरीन काम के लिए पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बारी से पहले तरक्की देकर हवलदार सीमा को एएसआई बना दिया. इसी तरह बच्चों को तलाशने वाले क्राइम ब्रांच के एक पुलिसकर्मी को भी बारी से पहले पदोन्नति मिल चुकी है.

उम्र गुमशुदा बच्चे मिले बच्चे
8 वर्ष 328 226
8-12 वर्ष 385 308
12-18 वर्ष 3584 2723

बच्चों के लापता होने की प्रमुख वजह

रास्ता भूलने के चलते, पढ़ाई को लेकर परिजनों का दबाव, परिजनों द्वारा अश्लील बर्ताव, दोस्त के बहकावे में आकर, घर छोड़कर भागने के चलते, अपनी मर्जी से चले गए, पारिवारिक हालात आदि. पुलिस के अनुसार 6 अगस्त 2020 के बाद से कुल 1968 बच्चे लापता हुए हैं जबकि 2027 बच्चों को पुलिस ने तलाशा है. दूसरे शब्दों में कहें तो 103 फीसदी बच्चों को पुलिस तलाश चुकी है.

नई दिल्लीः राजधानी से खोने वाले बच्चों को तलाशने के लिए पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अभियान का बड़ा असर देखने को मिला है. बीते अगस्त माह से हुई इस शुरुआत के बाद से 103 फीसदी बच्चों को तलाशने में पुलिस कामयाब रही है. पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने इसे बहुत संतोषजनक काम बताया है, क्योंकि इससे एक बच्चे को वह उसके परिवार से मिलवा देते हैं.

103 फीसदी बच्चों को तलाशने में मिली कामयाबी

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पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव द्वारा बीते अगस्त माह में नवजीवन कार्यक्रम चलाया गया. इसके तहत पुलिसकर्मियों को लापता हुए अधिक से अधिक बच्चों को तलाशने के लिए प्रेरित किया गया. इसके लिए उन्हें पुलिस कमिश्नर की तरफ से इनाम देंव की भी घोषणा की गई. उन्होंने कहा कि एक साल में 15 बच्चों को तलाशने पर असाधारण कार्य पुरस्कार दिया जाएगा. एक साल में 50 गुमशुदा बच्चों को तलाशने पर उन्हें बारी से पहले पदोन्नति दी जाएगी. इसका बड़ा असर हुआ और पुलिसकर्मियों ने बच्चों की तलाश कड़ी मेहनत से करनी शुरू की.

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दो लोगों को मिली बारी से पहले पदोन्नति

पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत समयपुर बादली थाने में तैनात महिला पुलिसकर्मी सीमा ढाका ने महज ढाई महीने में 76 बच्चों को तलाशकर उन्हें परिवार से मिलवाया. उसके इस बेहतरीन काम के लिए पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बारी से पहले तरक्की देकर हवलदार सीमा को एएसआई बना दिया. इसी तरह बच्चों को तलाशने वाले क्राइम ब्रांच के एक पुलिसकर्मी को भी बारी से पहले पदोन्नति मिल चुकी है.

उम्र गुमशुदा बच्चे मिले बच्चे
8 वर्ष 328 226
8-12 वर्ष 385 308
12-18 वर्ष 3584 2723

बच्चों के लापता होने की प्रमुख वजह

रास्ता भूलने के चलते, पढ़ाई को लेकर परिजनों का दबाव, परिजनों द्वारा अश्लील बर्ताव, दोस्त के बहकावे में आकर, घर छोड़कर भागने के चलते, अपनी मर्जी से चले गए, पारिवारिक हालात आदि. पुलिस के अनुसार 6 अगस्त 2020 के बाद से कुल 1968 बच्चे लापता हुए हैं जबकि 2027 बच्चों को पुलिस ने तलाशा है. दूसरे शब्दों में कहें तो 103 फीसदी बच्चों को पुलिस तलाश चुकी है.

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