नई दिल्ली: दिल्ली पंचायत संघ के प्रमुख थान सिंह यादव ने मेयर शैली ओबराय के फैसले का कड़ा विरोध किया. मेयर के संपत्ति जियो टैगिंग ब्यौरा तैयार करने की समय सीमा तय करने का कड़ा विरोध हो रहा है. संपत्ति जियो टैगिंग ब्यौरा तैयार करने के लिए 31 जनवरी, 2024 तक की अवधी दिल्ली नगर निगम द्वारा दी गई है.
पंचायत संघ प्रमुख ने मेयर से मांग की है कि आप गांवों की हाउस टैक्स माफी, कन्वर्जन, पार्किंग चार्ज से मुक्त, भवन उपनियम से बाहर, गांवों की सील संपत्तियों को खोलने व गांवों को रोजगार के लिए व्यवसायिक श्रेणी में करने के लिए समय सीमा तय करें. ग्रामीणों के हाऊस टैक्स माफ की घोषणा पर स्पष्टता देने की समयबद्धता भी गांवों को बताए जाने की मांग की जा रही है. पंचायत संघ ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों को भी जियो टैगिंग को समय सीमा की डेड लाइन से बाहर किया जाए. अभी तक कॉलोनियों को मालिकाना हक व नगर निगम की मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है.
दूसरा नगर निगम लगातार गांवों व अनधिकृत कॉलोनियों को संपत्ति कर पर धमकी दे रहा है. इससे पहले निगमायुक्त ने 25 लाख रुपए तक संपत्ति कर पर जेल भेजने की धमकी भरा आदेश दिया. अब मेयर द्वारा जियो टैगिंग पर 10 प्रतिशत कर में छूट ना देने की बात की जा रही है. सभी आदेश दिल्ली देहात, गांवों और अनधिकृत कॉलोनियों में आक्रोश बढ़ा रहा है.
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नगर निगम करे जियो टैगिंग: पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने मेयर से कहा कि आप संपत्तियो की जियो टैगिंग कराएं, अच्छा है. जियो टैगिंग करना ज्यादातर लोगों को नहीं आता, इसीलिए जियो टैगिंग स्वयं नगर निगम करें. संपत्ति कर में 10% छूट ना देने की धमकी वापस लें. साथ ही निगम अपनी सुविधाओं को जनता तक पहुंचाने की समय सीमा तय करे. अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो मेयर उन पर भी कानूनी कार्रवाई के लिए समय सीमा तय करे, ताकि जनता को फायदा मिले. पंचायत संघ दिल्ली देहात व गांवों पर शासन प्रशासन के सख्त व बेबुनियाद रवैये को लेकर चेतावनी दे रहा कि अब दिल्ली देहात व ग्रामीण इसे बर्दाश्त नही करेंगे.
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