नई दिल्ली/गाजियाबाद: शनिवार को दिल्ली एनसीआर के कई इलाकों के प्रदूषण स्तर में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर डार्क रेड जोन में दर्ज किया गया है यानी कि यहां का AQI 400 का आंकड़ा पार कर चुका है. वहीं गाजियाबाद और नोएडा की बात करें तो दोनों शहरों का एकयूआई रेड जोन में बरकरार है. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में दिल्ली एनसीआर के हवा में सुधार हो सकता है. आज दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 369 दर्ज किया गया है.
० दिल्ली
अलीपुर- 394
शादीपुर- 388
डीटीयू दिल्ली- 385
आईटीओ दिल्ली- 349
सिरिफोर्ट- 396
मंदिर मार्ग- 373
आरके पुरम- 411
पंजाबी बाग- 320
लोधी रोड- 350
नॉर्थ केंपस डीयू- 361
सीआरआरआई मथुरा रोड- 280
पूसा- 387
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3- 345
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम- 404
नेहरू नगर- 433
द्वारका सेक्टर 8- 395
पटपड़गंज- 417
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज- 400
अशोक विहार- 398
सोनिया विहार- 395
जहांगीरपुरी 3- 405
रोहिणी -396
विवेक विहार- 415
नजफगढ़- 366
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम- 401
नरेला- 410
ओखला फेस टू 2- 409
वजीरपुर- 418
बवाना- 391
श्री औरबिंदो मार्ग- 396
मुंडका- 408
आनंद विहार- 411
IHBAS दिलशाद गार्डन- 303
० गाजियाबाद
वसुंधरा- 390
इंदिरापुरम- 327
संजय नगर- 352
लोनी- 349
० नोएडा
सेक्टर 62- 388
सेक्टर 125- 275
सेक्टर 1- 353
सेक्टर 116- 403
० Air quality Index की श्रेणी:- एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
० (PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.
० Sinusitis और Bronchitis का खतरा:- डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.