नई दिल्ली: दिल्ली उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया अमेरिका में आयोजित होने वाले शिक्षा सम्मेलन में हिस्सा ले सकेंगे. उनके सम्मेलन में शामिल होने के प्रस्ताव को उपराज्यपाल ने अपनी मंजूरी दे दी है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मनीष सिसोदिया को उनके निजी सचिव और सचिव (शिक्षा) के विदेश दौरे से संबंधित फाइल को मंजूरी दी है.
उपराज्यपाल कार्यालय से शिक्षा विभाग द्वारा इस आशय की फाइल पर एक विरोधाभासी प्रस्ताव को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि, उक्त यात्रा का खर्च आयोजकों द्वारा वहन किया जाएगा और सरकार पर कोई वित्तीय दायित्व नहीं होगा. साथ ही यह भी लिखा गया है कि मनीष सिसोदिया के दौरे का खर्च यात्रा जीएनसीटीडी (दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग) द्वारा वहन की जाएगी. उपराज्यपाल ने प्रस्तावित दौरे के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने की शर्त पर सहमति प्रदान कर दी है.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने सचिव, शिक्षा विभाग के निदेशक निदेशक और उनके सचिव और के साथ सिटी पोर्टलैंड, ओरेगन, यूएसए में 21-24 मार्च तक आयोजित होने वाले TESOL शिक्षा सम्मेलन में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की थी. इस विदेश दौरे के लिए स्वीकृति लेने के लिए उप निदेशक के अनुमोदन के बाद फ़ाइल उपराज्यपाल को भेजी गई. इस प्रस्ताव में स्पष्टता का अभाव देखने को मिला था. सिसोदिया की यात्रा का खर्च कौन वहन करेगा इस बारे में एक पैरा में विभाग ने लिखा था कि यात्रा के सभी खर्च आयोजक TESOL द्वारा वहन किया जाएगा और सरकार पर कोई वित्तीय दायित्व नहीं होगा. जबकि बाद के पैरा में कहा गया कि यात्रा का सभी खर्च दिल्ली सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. उपराज्यपाल ने यह देखते हुए कि, ये दोनों बयान एक-दूसरे के विरोधाभासी थे और यह स्पष्ट नहीं था कि शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की यात्रा के लिए खर्च वहन करेगी या नहीं, प्रस्तावित यात्रा के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी. बशर्ते आयोजक इसका खर्च वहन करें.
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बता दें कि तीन दिन पहले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के स्कूलों के टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे जाने की अनुमति देने की मांग को लेकर उपराज्यपाल को पत्र लिखा था. लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. सिसोदिया ने एलजी को भेजे अपने पत्र में लिखा था कि, दिल्ली सरकार के स्कूलों के प्राइमरी टीचर्स की ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे जाने संबंधित फाइल आपकी टेबल पर 20 जनवरी से पड़ी है, आपने न तो इस प्रस्ताव को अपनी सहमति दी है और न ही इस पर असहमति जताते हुए निर्णय लेने के लिए माननीय राष्ट्रपति जी के पास भेजने की प्रक्रिया शुरू की है.
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