नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि उसने अपने छह साल के खातों को जांच के लिए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) को भेज दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान डीजेबी की ओर से पेश वकील ने कहा कि 2015-16 से लेकर 2020-21 तक के वार्षिक खाते तैयार कर लिए गए हैं और उन्हें सीएजी को भेज दिया गया है.
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दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली जल बोर्ड का 2015 से लेकर इस वर्ष तक की वार्षिक बैलेंस शीट मेंटेन करने की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.
इस संबंध में बीजेपी नेता हरीश खुराना ने याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील समृद्धि अरोड़ा ने कहा है कि दिल्ली वाटर बोर्ड एक्ट की धारा 70 के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड को अपने लाभ और हानि का बैलेंस शीट मेंटेन करना होता है. उन्होंने मांग की कि दिल्ली जल बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वह 2015 से लेकर 2021 तक की बैलेंस शीट जारी करे.
याचिका में मांग की गई है कि सीएजी को निर्देश दिया जाए कि वह एक तय समय में दिल्ली जब बोर्ड के खातों का ऑडिट करे. पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पेश वकील संजय घोष ने कहा था कि ये याचिका एक राजनीतिक दल के नेता की ओर से दायर की गई है, जिनके राजनीतिक हित हैं. उन्होंने कहा था कि आडिट का काम चल रहा है.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली वाटर बोर्ड एक्ट की धारा 70 के मुताबिक वार्षिक खाते को मेंटेन करना अनिवार्य है. इन खातों की सीएजी हर साल ऑडिट करेगी. याचिका में कहा गया है कि 11 मई, 24 मई, 22 जुलाई को आरटीआई के जरिये दायर आवेदन के जवाब में कहा गया है कि 2015-16 से लेकर आगे का बैलेंस शीट तैयार किया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली जब बोर्ड और सीएजी दोनों दिल्ली वाटर एक्ट की धारा 70 के मुताबिक अपना संवैधानिक दायित्व निभाने में विफल रहे हैं. वार्षिक वित्तीय खातों को मेंटेन करना पारदर्शिता बरकरार रखने के लिए जरूरी है.
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