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दिल्ली हाई कोर्ट ने उप-राज्यपाल को वकीलों की नियुक्ति के मामले में नोटिस भेजा - हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस

दिल्ली दंगों और किसानों के आंदोलन से संबंधित मामलों की पैरवी के उप-राज्यपाल की ओर से वकीलों की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस भेजा है.

Delhi High Court
वकीलों की नियुक्ति के मामले में नोटिस भेजा
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Published : Aug 27, 2021, 2:13 PM IST

Updated : Aug 27, 2021, 2:18 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस जारी किया है. ये नोटिस दिल्ली दंगों और किसानों के विरोध के मामले में अदालतों में सरकार की ओर से पेश होने वाले वकीलों के मामले में जारी किया गया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर अब 21 अक्टूबर को करने का आदेश दिया.

दरअसल उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों और किसानों के विरोध के मामलों की कोर्ट में पैरवी करने के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से वकीलों की सूची को दिल्ली सरकार ने अस्वीकार कर दिया था. दिल्ली सरकार ने वकीलों के नए पैनल को नियुक्त किया था. लेकिन बाद में उप-राज्यपाल ने धारा 239एए(4) के तहत मिले विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उसे निरस्त कर दिया था. उप-राज्यपाल ने दिल्ली पुलिस की ओर से सुझाए गए वकीलों को सरकारी वकील के रूप में नियुक्त करने की अनुशंसा की थी. उप-राज्यपाल की अनुशंसा अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हाई कोर्ट ने नए आईटी रूल्स को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति एक रुटीन प्रक्रिया है और इसे अपवाद नहीं माना जाना चाहिए. इसके लिए राष्ट्रपति को भेजना सही नहीं है. ये संघवाद को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि उप-राज्यपाल स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति में हमेशा अड़ंगा लगा रहे हैं और ऐसा कर वे एक चुनी हुई सरकार का अपमान कर रहे हैं. उप-राज्यपाल का ऐसा कदम धारा 239एए का उल्लंघन है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस जारी किया है. ये नोटिस दिल्ली दंगों और किसानों के विरोध के मामले में अदालतों में सरकार की ओर से पेश होने वाले वकीलों के मामले में जारी किया गया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर अब 21 अक्टूबर को करने का आदेश दिया.

दरअसल उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों और किसानों के विरोध के मामलों की कोर्ट में पैरवी करने के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से वकीलों की सूची को दिल्ली सरकार ने अस्वीकार कर दिया था. दिल्ली सरकार ने वकीलों के नए पैनल को नियुक्त किया था. लेकिन बाद में उप-राज्यपाल ने धारा 239एए(4) के तहत मिले विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उसे निरस्त कर दिया था. उप-राज्यपाल ने दिल्ली पुलिस की ओर से सुझाए गए वकीलों को सरकारी वकील के रूप में नियुक्त करने की अनुशंसा की थी. उप-राज्यपाल की अनुशंसा अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है.

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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि सरकारी वकीलों की नियुक्ति एक रुटीन प्रक्रिया है और इसे अपवाद नहीं माना जाना चाहिए. इसके लिए राष्ट्रपति को भेजना सही नहीं है. ये संघवाद को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि उप-राज्यपाल स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति में हमेशा अड़ंगा लगा रहे हैं और ऐसा कर वे एक चुनी हुई सरकार का अपमान कर रहे हैं. उप-राज्यपाल का ऐसा कदम धारा 239एए का उल्लंघन है.

Last Updated : Aug 27, 2021, 2:18 PM IST
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