नई दिल्ली : राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि अकेले कार में बैठे शख्स को मास्क लगाना अनिवार्य है. अदालत ने कहा कि मास्क कोरोना महामारी से बचाने में सुरक्षा कवच का काम करता है और कोरोना को फैलने से रोकता है. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने एक वकील की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में मास्क को लेकर दाखिल सभी चार याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अदालत ने आगे कहा कि भले ही एक कार पर केवल एक व्यक्ति बैठा हो तो भी कार एक सार्वजनिक स्थान है.
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मास्क है एक सुरक्षा कवच
हाईकोर्ट ने कहा कि मास्क से कोरोना का संक्रमण फैलता है. मास्क एक सुरक्षा कवच है जो पहनने वाले के साथ-साथ आसपास के लोगों की सुरक्षा करता है. कोर्ट ने कहा कि वाहन एक सार्वजनिक स्थान है जहां कोरोना से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन होना चाहिए.
एक वकील सौरभ शर्मा कार में अकेले बिना मास्क के पकड़े जाने पर दिल्ली पुलिस की ओर से चालान काटे जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि वाहन चलाते समय मास्क पहनना अप्रैल 2020 में ही अनिवार्य कर दिया गया था.
गृह मंत्रालय के प्रेस कांफ्रेंस का हवाला दिया
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील जोबी पी वर्गीश ने कहा कि 4 अप्रैल 2020 के आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अकेले वाहन चलाने वाले को मास्क पहनना जरूरी नहीं है. 17 सितंबर 2020 को याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी किया था.
बिना मास्क के चला रहे थे वाहन
बता दें कि सौरभ शर्मा पिछले 20 सालों से प्रैक्टिस कर रहे हैं।. पिछले 9 सितंबर को जब वे अपने दफ्तर जा रहे थे तो गीता कालोनी में दिल्ली पुलिस ने उनकी कार को रोका.
एक अधिकारी ने पहले उनका कार में बैठे फोटो लिया और उन्हें कार से उतरने को कहा. कार से उतरकर पूछताछ करने पर पुलिस वालों ने बताया था कि मास्क नहीं पहनने की वजह से 500 रुपये का जुर्माना लगेगा.
याचिकाकर्ता ने पुलिस अधिकारियों को ये समझाने की कोशिश की कि चूंकि वह कार में अकेले यात्रा कर रहा था, इसलिए उसने कोई अपराध नहीं किया है. याचिकाकर्ता ने पुलिस अधिकारियों से वह आदेश दिखाने को कहा, जिसमें कोई व्यक्ति अकेले निजी वाहन में यात्रा कर रहा है तो उसे मास्क पहनना जरूरी करने का प्रावधान हो, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिखाया.
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पुलिस अधिकारियों ने याचिकाकर्ता की बातों को अनसुना कर 500 रुपये का चालान काट दिया, जब पुलिसवाले नहीं माने तो याचिकाकर्ता ने विरोधस्वरूप चालान की रकम जमा की.
10 लाख रुपये का मांगा था हर्जाना
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील केसी मित्तल, जोबी वर्गीश और युगनेश मित्तल ने मानसिक प्रताड़ना की एवज में याचिकाकर्ता को 10 लाख रुपये का हर्जाना देने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता पर चालान गैरकानूनी रूप से काटा गया है और पुलिस वालों ने सार्वजनिक रूप से प्रताड़ित किया है.