नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मेडिकल कोर्स में एक एनजीओ की ओर से बहादुरी का अवार्ड जीतने वाले आवेदक को मेडिकल में दाखिला देने के सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दायर केंद्र सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने आवेदक समृद्धि सुशील शर्मा को नोटिस जारी किया.
'सरकार की ओर से दिए गए अवॉर्ड पाने वालों को ही आरक्षण का लाभ'
केंद्र सरकार ने याचिका में कहा है कि मेडिकल में दाखिले के लिए सीटें केवल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार और सरकार के दूसरे बहादुरी का अवार्ड पाने वालों के लिए आरक्षित होती है. ये सीटें किसी एनजीओ की ओर से दिए गए बहादुरी अवार्ड पाने वाले आवेदक के लिए आरक्षित नहीं की जा सकती हैं. बता दें कि आवेदक को इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर (आईसीसीडब्ल्यू) ने बहादुरी का अवार्ड दिया था.
'एनजीओ के खिलाफ आर्थिक धोखाधड़ी की जांच चल रही है'
याचिका में कहा गया है कि आईसीसीडब्ल्यू नामक एनजीओ के खिलाफ आर्थिक धोखाधड़ी की जांच चल रही है. सरकार ने इस एनजीओ से अपने को पहले ही अलग कर चुकी है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ऐसे बहादुरी के अवार्ड कौड़ियों के भाव मिलते हैं और इसका लाभ दाखिले में आरक्षण के लिए नहीं दिया जा सकता है.
बता दें कि आईसीसीडब्ल्यू महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से राजीव गांधी नेशनल क्रेच स्कीम को लागू करने वाली पूर्ववर्ती एनजीओ है. आईसीसीडब्ल्यू 1957 से राष्ट्रीय बहादुरी अवार्ड का आयोजन करती है.
एनजीओ के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर
2015 में आईसीसीडब्ल्यू के खिलाफ आर्थिक धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. उसके बाद एक जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने पाया था कि एनजीओ ने फंड का दुरुपयोग किया है. उसके बाद आईसीसीडब्ल्यू के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406 और 420 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. उसके बाद से सरकार के कई मंत्रालयों ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर आईसीसीडब्ल्यू से अपना नाता तोड़ लिया था.