नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुमशुदा बच्चों की तलाश को लेकर दिल्ली पुलिस के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने दिल्ली के हर पुलिस थाने में पुलिस अधिकारियों को इन दिशा-निर्देशों की हैंडबुक रखने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि गुमशुदा बच्चों को तलाशने में जांच अधिकारियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बच्चे काफी मूल्यवान धरोहर होते हैं और उन्हें सुरक्षित माहौल का अधिकार है. हाईकोर्ट ने इन दिशा-निर्देशों में स्टैंडिंग आपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) का हिन्दी, पंजाबी और ऊर्दू में अनुवाद करने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट ने सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इन दिशा-निर्देशों और एसओपी को ट्रेनिंग मॉड्यूल में शामिल करें. ताकि दिल्ली पुलिस में शामिल नए रिक्रूट इससे सीख सके. इसके लिए जरूरी है कि हर पुलिस थाने में इन दिशा-निर्देशों और एसओपी की हैंडबुक रखा जाए, ताकि जांच के दौरान उन्हें मदद मिल सके. हाईकोर्ट ने बच्चों की गुमशुदगी से जुड़ा मानकीकृत चेकलिस्ट तैयार कर उन्हें सभी पुलिस थानों में रखने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने लापता बच्चों की तलाश के लिए साइबर तकनीक से जांच की विशेष ट्रेनिंग देने का निर्देश दिया.
इसके पहले सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 3 वर्ष से 8 वर्ष के बच्चों के गुम होने के मामले में निर्देश दिया था कि अगर गुम हुए चार महीने या उससे ज्यादा हो जाएं तो संगठित गिरोह के हाथ होने की आशंका को देखते हुए जिलों की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग युनिट्स (एएचटीयू) बतौर नोडल एजेंसी काम करेगी. हाईकोर्ट ने जिलों के एएचटीयू को निर्देश दिया था कि वे स्थानीय पुलिस के अलावा दूसरी एजेंसियों के साथ समन्वय के साथ काम करेंगे. एएचटीयू जांच अधिकारियों को विशेषज्ञों के साथ-साथ तकनीकी साक्ष्यों के संग्रह और उनका विश्लेषण करने में मदद करेगी. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि हर जिले में डीसीपी रैंक या उससे ऊपर का अधिकारी हर पखवाड़ा हर गुमशुदा बच्चे के मामले की जांच की समीक्षा करेंगे.
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हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि हर जिले की एएचटीयू यूनिट में एसीपी या उससे ऊपर के रैंक का पुलिस अधिकारी नियमित रूप से गुमशुदा बच्चों के लंबित या बंद हो चुके मामलों का विश्लेषण करेगा. उनके पैटर्न की पहचान करेगा कि कहीं संगठित गिरोह तो काम नहीं कर रहा है. अगर ऐसा लगे कि बच्चों की गुमशुदगी के मामले में मानव तस्करी या संगठित गिरोह का हाथ है तो उस पर 24 घंटे के भीतर कार्रवाई होनी चाहिए. और बच्चों को छुड़ाने के लिए ऑपरेशन लांच करना चाहिए.
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि हर जिले में इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर के पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एएचटीयू की एक टीम का गठन हो जो आपरेशन मिलाप के तहत बच्चों को छुड़ाने का काम करे. कोर्ट ने जांच के लिए दिल्ली पुलिस को रेडियो टैक्सी या कैब की सेवा लेनी चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चों की गुमशुदगी के 72 घंटे के अंदर विज्ञापन देना होगा. हाईकोर्ट ने रेल मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो जांच अधिकारियों की दिल्ली से बाहर की यात्रा के लिए आपात कोटा उपलब्ध कराए ताकि जांच अधिकारियों को दिल्ली के बाहर जाने में परेशानी न हो.