नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया के उस प्रावधान पर रोक लगा दी है जिसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में चयन के लिए नेशनल कैंप में शामिल होना अनिवार्य है. जस्टिस रेखा पल्ली ने ये आदेश टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा की याचिका पर दिया.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि चयन का एकमात्र आधार मेरिट होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में स्वतंत्र जांच कराई जाएगी. शर्मा ने कहा कि स्पोर्ट्स कोड में ऐसा कुछ नहीं है जो किसी खिलाड़ी को इस आधार पर रोक लगाए कि उसने कैंप में हिस्सा नहीं लिया है. ऐसा होने से देश एक प्रतिभा से वंचित रह जाएगा.
20 सितंबर को कोर्ट ने केंद्र सरकार और टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था. टेबल टेनिस फेडरेशन ने हाल ही में एशियन चैंपियनशिप के लिए टीम का ऐलान किया था. इस टीम में मनिका बत्रा का नाम शामिल नहीं था. मनिका बत्रा ने इस फैसले के खिलाफ यचिका दायर की है.
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बत्रा की वर्ल्ड रैंकिंग 56वीं है जबकि उसकी जगह 97वीं वर्ल्ड रैंकिंग की सुतीर्थ मुखर्जी को भेजा जा रहा है. फेडरेशन के मुताबिक मनिका ने सोनीपत में हुए नेशनल कैंप में हिस्सा नहीं लिया था जिसकी वजह से उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया.
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एशियन चैंपियनशिप की शुरुआत दोहा में 28 सितंबर से शुरू होने वाली है. टोक्यो ओलंपिक के बाद से मनिका बत्रा और फेडरेशन के बीच संबंध खराब हैं. टोक्यो ओलंपिक में मनिका नेशनल कोच के बिना ही खेलने उतरी थीं जिसकी वजह से फेडरेशन ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था. मनिका ओलंपिक के सिंगल्स में तीसरे राउंड में पहुंची थीं. ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी थीं.