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आसाराम बापू पर लिखी किताब पर रोक के खिलाफ आज फैसला सुना सकता है हाईकोर्ट - आसाराम बापू किताब अमेजन

दिल्ली हाई कोर्ट आज आसाराम बापू पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई याचिका पर फैसला सुना सकता है. किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस की याचिका पर जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने पिछले 8 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी.

book written on Asaram Bapu
आसाराम बापू पर लिखी किताब
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Published : Sep 9, 2020, 9:26 AM IST

नई दिल्ली: हाईकोर्ट आज आसाराम बापू पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई याचिका पर फैसला सुना सकता है. किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस की याचिका पर जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने पिछले 8 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी.

आज फैसला सुना सकता है हाईकोर्ट

बता दें कि नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम बापू जेल में बंद है. उनपर एक किताब लिखी गई है. जिसके प्रकाशन को लेकर विवाद हो रहा है.



प्रकाशक की ओर से सिब्बल ने रखी थी दलीलें


पिछले 8 सितंबर किताब के प्रकाशक कॉलिन हार्पर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें रखीं थी. जबकि आसाराम के साथ रेप मामले की सह-आरोपी संचिता गुप्ता की ओर से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने अपनी दलीलें रखीं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि ट्रायल कोर्ट का रोक का फैसला प्रि-मैच्योर था.


‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कंविक्शन’


आसाराम पर लिखी किताब का नाम है ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कंविक्शन’. इस किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने किताब की रिलीज पर रोक लगाकर संविधान की धारा 19 का उल्लंघन किया है.


ट्रायल कोर्ट ने प्रकाशक का पक्ष सुने बिना फैसला दिया


याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने बिना प्रकाशक का पक्ष सुने फैसला सुना दिया. ट्रायल कोर्ट का फैसला किताब के प्रकाशन के पहले ही सेंसरशिप लगाने जैसा है. याचिका में कहा गया है कि किताब में आसाराम बापू से संबंधित सभी तथ्यों को रखा गया है. बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आसाराम बापू पर लिखी किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दिया था.


सह-आरोपी ने ट्रायल कोर्ट में दायर की है याचिका


ट्रायल कोर्ट में याचिका रेप मामले के सह-आरोपी संचिता गुप्ता ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील विजय अग्रवाल और नमन जोशी ने कोर्ट को बताया कि किताब को सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा किया गया है लेकिन ये ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती है. याचिका में कहा गया है कि इस किताब से संचिता गुप्ता की अपील पर असर पड़ने की आशंका है.


30 सितंबर तक प्रकाशन पर लग चुकी है रोक


संचिता गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर किया है जो लंबित है. हाईकोर्ट सजा को निलंबित करने का आदेश दे चुका है. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर तक इस किताब के प्रकाशन पर रोक लगा दिया है. कोर्ट ने 30 सितंबर तक इस किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स, अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी इस किताब को प्रकाशित करने या बेचने पर रोक लगा दिया है.


राजस्थान के आईपीएस अधिकारी ने लिखी है किताब


ये किताब को अजय पाल लांबा ने लिखी है. अजय पाल लांबा फिलहाल जयपुर में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं. उन्होंने आसाराम की गिरफ्तारी करनेवाली टीम की अगुवाई की थी. इस किताब के सह-लेखक संजीव माथुर हैं. बता दें कि अप्रैल 2018 में जोधपुर की स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को एक नाबालिग से रेप का दोषी पाया था. आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. इस मामले में सह-आरोपी संचिता गुप्ता उसी हॉस्टल की वॉर्डन थी, जहां नाबालिग 2013 से रह रही थी.

नई दिल्ली: हाईकोर्ट आज आसाराम बापू पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई याचिका पर फैसला सुना सकता है. किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस की याचिका पर जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने पिछले 8 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी.

आज फैसला सुना सकता है हाईकोर्ट

बता दें कि नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम बापू जेल में बंद है. उनपर एक किताब लिखी गई है. जिसके प्रकाशन को लेकर विवाद हो रहा है.



प्रकाशक की ओर से सिब्बल ने रखी थी दलीलें


पिछले 8 सितंबर किताब के प्रकाशक कॉलिन हार्पर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें रखीं थी. जबकि आसाराम के साथ रेप मामले की सह-आरोपी संचिता गुप्ता की ओर से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने अपनी दलीलें रखीं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि ट्रायल कोर्ट का रोक का फैसला प्रि-मैच्योर था.


‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कंविक्शन’


आसाराम पर लिखी किताब का नाम है ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कंविक्शन’. इस किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने किताब की रिलीज पर रोक लगाकर संविधान की धारा 19 का उल्लंघन किया है.


ट्रायल कोर्ट ने प्रकाशक का पक्ष सुने बिना फैसला दिया


याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने बिना प्रकाशक का पक्ष सुने फैसला सुना दिया. ट्रायल कोर्ट का फैसला किताब के प्रकाशन के पहले ही सेंसरशिप लगाने जैसा है. याचिका में कहा गया है कि किताब में आसाराम बापू से संबंधित सभी तथ्यों को रखा गया है. बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आसाराम बापू पर लिखी किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दिया था.


सह-आरोपी ने ट्रायल कोर्ट में दायर की है याचिका


ट्रायल कोर्ट में याचिका रेप मामले के सह-आरोपी संचिता गुप्ता ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील विजय अग्रवाल और नमन जोशी ने कोर्ट को बताया कि किताब को सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा किया गया है लेकिन ये ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती है. याचिका में कहा गया है कि इस किताब से संचिता गुप्ता की अपील पर असर पड़ने की आशंका है.


30 सितंबर तक प्रकाशन पर लग चुकी है रोक


संचिता गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर किया है जो लंबित है. हाईकोर्ट सजा को निलंबित करने का आदेश दे चुका है. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर तक इस किताब के प्रकाशन पर रोक लगा दिया है. कोर्ट ने 30 सितंबर तक इस किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स, अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी इस किताब को प्रकाशित करने या बेचने पर रोक लगा दिया है.


राजस्थान के आईपीएस अधिकारी ने लिखी है किताब


ये किताब को अजय पाल लांबा ने लिखी है. अजय पाल लांबा फिलहाल जयपुर में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं. उन्होंने आसाराम की गिरफ्तारी करनेवाली टीम की अगुवाई की थी. इस किताब के सह-लेखक संजीव माथुर हैं. बता दें कि अप्रैल 2018 में जोधपुर की स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को एक नाबालिग से रेप का दोषी पाया था. आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. इस मामले में सह-आरोपी संचिता गुप्ता उसी हॉस्टल की वॉर्डन थी, जहां नाबालिग 2013 से रह रही थी.

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