नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधीन चलने वाले स्कूलों के टीचरों की सेलरी का मुद्दा कई सालों से अधर में है. शिक्षकों ने हाईकोर्ट में बकाया राशि के लिए केस किया था, जिसकी सोमवार को सुनवाई हुई. शिक्षकों की तरफ से पेश वकीलों ने कोर्ट में कहा कि कमेटी के पास पैसों की कमी नहीं है, इस बारे तमाम गुरुद्वारे की संपत्ति का हवाला भी दिया गया.
वहीं, डीएसजीएमसी के प्रमुख हरमित सिंह कालका ने बताया कि टीचरों द्वारा गैर जिम्मेदाराना रवैया लगातार अपनाया जा रहा है. वे इस मामले में राजनीतिक शिकार बनते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने कोर्ट में अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि राजधानी में स्थित गुरुद्वारों में आय का श्रोत सिर्फ संगत द्वारा चढ़ावे के रूप में आने वाले दसवन्द के रूप में होता है. इन चढ़ावे की राशि पर सबसे पहला हक गुरुद्वारा के रखरखाव पर होने वाले खर्च का है. इसके बाद अगर पैसा बचता है तो एरियर देने में कोई भी परहेज नहीं है.
हरमित सिंह कालका ने कहा कि हमने एक साल के भीतर ही 56 करोड़ रुपए स्कूलों को सहायता के रूप में दिया है. लेकिन आज कोर्ट रूम में साफ तौर पर दिख रहा था कि इन टीचरों को स्पोर्ट करने वालों में वही लोग शामिल है, जो लोग पिछली कमेटी के पदाधिकारी या मेंबर रहे हैं. उनके बहकावे में आकर कुछ लोग गुरुद्वारा कमेटी को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं.
बता दें, हाईकोर्ट की तरफ से सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को बकाया राशि मुहैया कराने के लिए चार हफ्तों का समय दिया गया. कमेटी अध्यक्ष हरमित सिंह कालका ने कहा कि शिक्षक कमेटी के साथ सहयोग नहीं अपना रहे हैं. वह विरोधियों के बहकावे में आ चुके हैं.
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