नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में निजी अस्पतालों में नर्सों को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स (PPE) किट्स उपलब्ध नहीं होने की वजह से नर्सों की मौत के मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार और दिल्ली नर्सिंग काउंसिल को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 26 जून तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि इस मामले में एक इंस्पेक्शन कमेटी बनाकर जांच करें और इसकी रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर दाखिल करें. याचिका डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील मनोज वी जॉर्ज ने कोर्ट से कहा कि पिछले 24 घंटे में ही कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान खुद संक्रमित होकर एक नर्स की मौत हो चुकी है. ऐसे कई और मामले भी मार्च से अब तक सामने आ चुके हैं.
दिशा-निर्देशों का नहीं हो रहा पालन
याचिका में कहा गया कि दिल्ली के निजी नर्सिंग होम में खुद केंद्र के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है. नर्सों को इस्तेमाल की गई पीपीई किट पहनने के लिए दी जा रही है. यचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान नर्सों को स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देश के मुताबिक मास्क, दस्ताने और अन्य जरूरी उपकरणों की सप्लाई भी नहीं की जा रही है.
स्वास्थ्यकर्मियों के मानवाधिकारों का हनन
याचिका में कहा गया है कि यह स्वास्थ्यकर्मियों के मानवाधिकारों का हनन है. कोरोना से संक्रमित मरीजों के इलाज में जुटे डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स के बीच में भेदभाव नहीं किया जा सकता है. याचिका में कहा गया है कि नर्स भी फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर हैं, लिहाजा उन्हें भी सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की जरूरत है. लेकिन ज्यादातर निजी नर्सिंग होम में इसका पालन नहीं हो रहा है.
निजी अस्पतालों का डाटा मंगाने की मांग
याचिका में मांग की गई है कि सभी निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों से कोर्ट डाटा मंगाए कि कोरोना से उनके यहां कितने नर्सिंग स्टाफ संक्रमित हुए हैं. इससे यह साफ हो जाएगा कि उनके संक्रमित होने के पीछे अस्पतालों में उनकी सुरक्षा को लेकर की गई व्यवस्थाएं कितनी पुख्ता थीं. याचिका में मांग की गई है कि सभी निजी अस्पतालों के यहां काम करने वाली नर्सों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण बीमा के अंदर रखा जाए.