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निर्भया के दोषी को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, वकील पर 25 हजार रुपए का जुर्माना

दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया के दोषी पवन कुमार के नाबालिग होने का दावा करने वाली अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने दोषी के वकील एपी सिंह पर पच्चीस हजार का जुर्माना भी लगाया.

convict Pawan Kumar
दोषी पवन कुमार
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Published : Dec 19, 2019, 5:19 PM IST

नई दिल्ली: निर्भया के दोषी पवन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से भी झटका लगा है. कोर्ट ने घटना के वक्त पवन का नाबालिग होने का दावा करने और इस लिहाज से रियायत की मांग करने वाली अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने अदालत का कीमती वक्त बर्बाद करने के लिए दोषी के वकील एपी सिंह पर पच्चीस हजार का भी जुर्माना लगाया.

कोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल को वकील एपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. दरअसल वकील एपी सिंह ने कोर्ट में दो हलफनामे दाखिल किए थे. मार्च में एपी सिंह ने पवन की तरफ से याचिका दाखिल की थी, लेकिन जो हलफनामा दाखिल हुआ वो 10 दिसम्बर का है. इसी वजह से कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को कहा कि एपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई करे.

सुबह टाल दी थी सुनवाई

आज सुबह हाईकोर्ट ने पहले एपी सिंह की मांग पर सुनवाई टाल दी थी, लेकिन बाद में इस आदेश को वापस ले लिया. सुबह सुनवाई के दौरान पवन के वकील एपी सिंह ने आज कोर्ट से सुनवाई टालने की मांग की और कहा कि उन्हें कुछ और दस्तावेज जमा कराने हैं.

ये थी याचिका

पवन की याचिका में कहा गया था कि दिसंबर 2012 में घटना के वक्त वो नाबलिग था. याचिका में कहा गया था कि उम्र की जांच के लिए उसका मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया. उसे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए.

नोटिस जारी करने का आदेश

बता दें कि पिछले 18 दिसंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने इस घटना के चारों दोषियों को तुरंत फांसी देने के मामले पर सुनवाई की थी. पटियाला हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो सभी दोषियों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में पूछे कि वो कौन सा कानूनी विकल्प अपनाना चाहते हैं.

नई दिल्ली: निर्भया के दोषी पवन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से भी झटका लगा है. कोर्ट ने घटना के वक्त पवन का नाबालिग होने का दावा करने और इस लिहाज से रियायत की मांग करने वाली अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने अदालत का कीमती वक्त बर्बाद करने के लिए दोषी के वकील एपी सिंह पर पच्चीस हजार का भी जुर्माना लगाया.

कोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल को वकील एपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. दरअसल वकील एपी सिंह ने कोर्ट में दो हलफनामे दाखिल किए थे. मार्च में एपी सिंह ने पवन की तरफ से याचिका दाखिल की थी, लेकिन जो हलफनामा दाखिल हुआ वो 10 दिसम्बर का है. इसी वजह से कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को कहा कि एपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई करे.

सुबह टाल दी थी सुनवाई

आज सुबह हाईकोर्ट ने पहले एपी सिंह की मांग पर सुनवाई टाल दी थी, लेकिन बाद में इस आदेश को वापस ले लिया. सुबह सुनवाई के दौरान पवन के वकील एपी सिंह ने आज कोर्ट से सुनवाई टालने की मांग की और कहा कि उन्हें कुछ और दस्तावेज जमा कराने हैं.

ये थी याचिका

पवन की याचिका में कहा गया था कि दिसंबर 2012 में घटना के वक्त वो नाबलिग था. याचिका में कहा गया था कि उम्र की जांच के लिए उसका मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया. उसे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए.

नोटिस जारी करने का आदेश

बता दें कि पिछले 18 दिसंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने इस घटना के चारों दोषियों को तुरंत फांसी देने के मामले पर सुनवाई की थी. पटियाला हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो सभी दोषियों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में पूछे कि वो कौन सा कानूनी विकल्प अपनाना चाहते हैं.

Intro:नई दिल्ली। निर्भया के गुनाहगार पवन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने घटना के वक़्त पवन का नाबालिग होने का दावा करने और इस लिहाज से रियायत की मांग करने वाली अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने अदालत का कीमती वक़्त बर्बाद करने के लिए दोषी के वकील ए पी सिंह पर पच्चीस हज़ार का भी जुर्माना लगाया।




Body:वकील एपी सिंह पर कार्रवाई का निर्देश
कोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल को वकील ए पी सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। दरअसल वकील ए पी सिंह ने कोर्ट में दो हलफनामे दाखिल किए। मार्च में ए पी सिंह ने पवन की तरफ से याचिका दाखिल की थी। लेकिन जो हलफ़नामा दाखिल हुआ वो 10 दिसम्बर का है। इसी वजह से कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को कहा कि ए पी सिंह के खिलाफ कार्रवाई करे।
सुबह सुनवाई टाल दिया था
आज सुबह हाईकोर्ट ने पहले एपी सिंह की मांग पर सुनवाई टाल दिया था लेकिन बाद में इस आदेश को वापस ले लिया। सुबह सुनवाई के दौरान पवन के वकील एपी सिंह ने आज कोर्ट से सुनवाई टालने की मांग की और कहा कि उन्हें कुछ और दस्तावेज जमा कराने हैं। 
की जांच के लिए उसका मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया
पवन की याचिका में कहा गया था कि दिसंबर 2012 में घटना के वक़्त वो नाबलिग था। याचिका में कहा गया था कि उम्र की जांच के लिए उसका मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया। उसे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए । 



Conclusion:दोषियों को नोटिस जारी करने का आदेश
आपको बता दें कि पिछले 18 दिसंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने इस घटना के चारों दोषियों को तुरंत फांसी देने के मामले पर सुनवाई की थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो सभी दोषियों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में पूछे कि वो कौन सा कानूनी विकल्प अपनाना चाहते हैं। दोषियों के पास सुप्रीम कोर्ट में क्युरेटिव पिटीशन या राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का कानूनी विकल्प मौजूद है।
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