नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि दिल्ली सरकार ने अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) को मध्यस्थता भुगतान करने के लिए इक्विटी के रूप में 3,565 करोड़ रुपए देने से इनकार कर दिया है. DMRC ने हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि 21 दिसंबर के अपने पत्र में दिल्ली सरकार ने कहा है कि DMRC शेयरधारकों को विवादों या संविदात्मक चूक से उत्पन्न भुगतान के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है. डीएमआरसी अपने दायित्व को पूरा करने के लिए खुले बाजार से या बाहरी सहायता प्राप्त कोष या भारत सरकार से ऋण लेकर धन जुटा सकती है.
अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणि बुधवार को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के समक्ष डीएमआरसी की तरफ से पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि मामला विचाराधीन है. डीएमआरसी को उम्मीद है कि यह गतिरोध 16 जनवरी तक सुलझ जाएगा. डीएएमईपीएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा कि कठिनाई यह है कि आज कोई आश्वासन नहीं आ रहा है. आज एक प्रतिबद्धता बनानी होगी. एक तारीख आनी है, जब वे भुगतान करेंगे. अदालत ने मामले को 19 जनवरी को अगली सुनवाई के सूचीबद्ध कर दिया.
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दिल्ली हाईकोर्ट मई 2017 से मध्यस्थता आदेश के निष्पादन की मांग वाली डीएएमईपीएल (रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी) की याचिका पर विचार कर रहा है. कुल मध्यस्थता राशि 7,200 करोड़ रुपए बताई गई है. DAMEPL का दावा है कि इसे अभी भी लगभग 4,500 करोड़ रुपए मिलना बाकी है. मार्च 2022 में उच्च न्यायालय ने डीएमआरसी को 31 मई तक दो समान किस्तों में ब्याज के साथ डीएएमईपीएल को पूरी शेष राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया था. इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को बरकरार रखा था. दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से मामले में तेजी से आगे बढ़ने और तीन महीने में फैसला करने को कहा था.
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